अबकी बार किसी ब्राह्मण दावेदार की लगेगी लॉटरी, ऐसे मिल रहे भाजपा जिलाध्यक्ष को लेकर संकेत
चंदौली जिले में भाजपा जिलाध्यक्ष
ब्राह्मण पदाधिकारी को मिल सकती है जिम्मेदारी
भाजपा जिलाध्यक्ष के लिए ऐसी दी जी रही है दलील
चंदौली के भाजपा जिलाध्यक्ष चयन के लिए कुछ ही घंटे शेष बचे हैं। ऐसा कहा जा रहा है कि कभी भी नए भाजपा जिलाध्यक्ष की घोषणा हो सकती है। इस बार ब्राह्मण समाज में जिलाध्यक्ष को लेकर विशेष चर्चा सुनने को मिल रही है। जनपद में कोई भी ब्राह्मणों का प्रतिनिधित्व करने वाला जनप्रतिनिधि या संगठन में जवाबदेह नहीं दिखाई दे रहा है। इससे लोग आशा जता रहे है कि इस बाद चंदौली में में ब्राह्मण को भाजपा का जिलाध्यक्ष बनाकर इतिहास रचा जा सकता है।
वैसै अगर देखा जाय तो भाजपा के कई जिलों में जातीय समीकरण साधने के लिए ऐसा किया जाता रहा है, लेकिन चंदौली जिले में ऐसा नहीं हो पाया है। ताजा माहौल को देखते हुए राजपूत जाति से कई जन प्रतिनिधि तथा संगठन में अपने अपने दायित्वों का निर्वहन कर रहे हैं। अगर पिछड़े समाज की बात की जाय तो चंदौली के निवासी अनिल राजभर, जहां योगी कैबिनेट में मंत्री शिवपुर की विधानसभा से विधायक हैं तो वहीं जिला पंचायत अध्यक्ष पर भी पिछड़े समाज से दीनानाथ शर्मा काबिज हैं। जिले में भाजपा पिछड़ा आयोग के सदस्य के रूप में शिवमंगल बियार था तथा सतेंदर बारी का चयन हुआ हैं। पिछड़े समाज से चकिया से शंभू यादव तथा चहनिया से अरुण जायसवाल ब्लाक प्रमुख हैं।
इतना ही नहीं जिले से राजपूत वर्ग से दो राज्यसभा सांसद, एक विधायक, एक विधान परिषद सदस्य और पांच ब्लॉक प्रमुख तथा निवर्तमान जिलाध्यक्ष हैं। फिलहाल भाजपा में पूरे जनपद में ब्राह्मण समाज से कोई भी जनप्रतिनिधि या संगठन में बड़े ओहदे पर नहीं है, जिससे ब्राह्मण समाज के लोग अपने आप को भाजपा में असहज महसूस कर रहे। इसीलिए तगड़ी दावेदारी मानी जा रही है।
इसी बात को लेकर चट्टी चौराहों पर चर्चा हो रही है कि इस बार संगठन 2027 के विधान सभा के चुनाव को देखते हुए ब्राह्मण समाज से भाजपा जिलाध्यक्ष बना सकती है।
चर्चा में लोग एक संकेत मान रहे है कि जिलाध्यक्ष के चयन के पर्यवेक्षक के रूप में ब्राह्मण नेता कन्नौज के पूर्व सांसद सुब्रत पाठक को भेजा गया है। जिलाध्यक्ष के चयन में वह भी एक खास कड़ी माने जा रहे हैं।
हालांकि आने वाले कुछ घंटों में यह तय हो जाएगा कि किन-किन पहलुओं पर संगठन के लोगों द्वारा चर्चा करके नए जिलाध्यक्ष का चयन किया जाता है। लेकिन अगर ब्राह्मण का चेहरा नहीं आगे किया गया तो भाजपा को झटका भी लग सकता है।