जिलाध्यक्ष को बदल इतिहास कायम कर सकती है भाजपा, देखिए किसकी होती है ताजपोशी
 

चंदौली जिले में लंबे समय तक जिलाध्यक्ष की कुर्सी पर राजपूत वर्ग के नेताओं का कब्जा रहा है। इसको लेकर खूब चर्चाएं भी होती रही हैं, लेकिन भाजपा अपना फैसला बदलती नहीं है।
 

मिशन 2027 के देखकर लिया जाएगा फैसला

जातिगत आधार पर भी हो सकता है फैसला

भाजपा जिलाध्यक्ष को लेकर तरह-तरह की चर्चाएं

शुरू हो गयी है खेमेबाजी

चंदौली जनपद में अभी तक भारतीय जनता पार्टी के जिलाध्यक्ष की कुर्सी पर किसी ब्राह्मण वर्ग के दावेदार को नहीं बैठाया गया है और न ही किसी दलित को यह मौका मिला है। तमाम तरह की दलीलों और आंकड़े पेश करके सर्वाधिक बार क्षत्रिय और एक बार पिछड़ी जाति के सर्वेश कुशवाहा को जिलाध्यक्ष बनाया गया है। इस पूरे खेल व गणित को हमेशा राजनाथ सिंह से जोड़ा जाता रहा है। जिलाध्यक्ष की कुर्सी पर बैठने वाला हर एक क्षत्रिय का किसी न किसी बहाने उनसे कनेक्शन जोड़ा जाता रहा है। जब सर्वेश कुशवाहा को मौका मिला तो उनको सांसद डॉ. महेन्द्र नाथ पांडेय के खेमे का कहा जाने लगा। अब बार डॉ. महेन्द्र नाथ पांडेय को पूरे प्रदेश के संगठनात्मक चुनाव की जिम्मेदारी मिलने के बाद तरह तरह के कयास लगाए जाने लगे हैं।

चंदौली जिले में लंबे समय तक जिलाध्यक्ष की कुर्सी पर राजपूत वर्ग के नेताओं का कब्जा रहा है। इसको लेकर खूब चर्चाएं भी होती रही हैं, लेकिन भाजपा अपना फैसला बदलती नहीं है। राजपूत के अलावा दो कार्यकाल पिछड़े वर्ग से आने वाले सर्वेश कुशवाहा का रहा है। वे ही गैर क्षत्रिय जिलाध्यक्ष बनने में सफल हो पाए थे। लेकिन नयी कार्यकारिणी के जरिए भारतीय जनता पार्टी आगामी 2027 के विधान सभा के चुनाव के लिए रणनीति बना रही है। इसलिए वह जातीय के समीकरण को पूरी तरह से साधने की कोशिश कर रही है।

 चंदौली जनपद में देखा जाए तो इस समय ब्राह्मण समाज का कोई भी जनप्रतिनिधि नहीं है, जिससे ब्राह्मण अपने को उपेक्षित महसूस कर रहे है, जबकि राजपूत जाति से दो राज्य राज्यसभा सांसद, एक विधान परिषद सदस्य, एक विधायक है। जबकि जनपद के नौ ब्लॉकों में से प्रमुख पद पर भी राजपूत जाति से पांच लोगों का कब्जा है। पिछड़े वर्ग से मुगलसराय विधानसभा से विधायक तथा अनुसूचित वर्ग से चकिया विधान सभा के विधायक भी हैं, लेकिन ब्राह्मण जाति से कोई भी जन प्रतिनिधि जिले में नहीं होने के कारण लोगों में चर्चा है कि इस बार चंदौली के भाजपा जिलाध्यक्ष की कुर्सी को लेकर इतिहास लिखा जा सकता है।

चंदौली जिले में ब्राह्मण वर्ग एक निर्णायक भूमिका में रहता है। ब्राह्मणों के नेता डॉक्टर महेंद्र नाथ पांडेय के लोकसभा चुनाव में हारने के बाद ब्राह्मण उपेक्षित महसूस कर रहे हैं। 2027 के चुनाव को साधने तथा ब्राह्मणों को एकजुट करने के लिए ब्राह्मण जिलाध्यक्ष बनाया जा सकता है। इसलिए सबसे ज्यादा ब्राह्मण दावेदार भी मैदान में हैं।

 हालांकि जिला अध्यक्ष को लेकर तरह-तरह की चर्चाएं हैं, लोग अपने-अपने हिसाब से चयन की बात कर रहे हैं। अब आने वाला 5 दिन के समय में नए जिला अध्यक्ष का चयन हो जाएगा तो इन चर्चाओं पर विराम लग जाएगा।