ब्लैक राइस के बाद ब्लैक गेहूं भी चंदौली में मचाएगा धूम, किसानों ने शुरू की खेती
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चंदौली जिले में ब्लैक राइस (Black RIce) के बाद ब्लैक गेहूं (black wheat) के लिए किसानों को जागरूक किया जा रहा है। चंदौली में अब ब्लैक ह्वीट यानी काला गेहूं की भी खेती होने लगी है। औषधीय गुणों से भरपूर काला गेहूं भी काला राइस की तरह डायबिटीज के रोगियों के लिए बहुत फायदेमंद है। विदेशों में भी इसकी खूब मांग है। इससे किसानों को सामान्य गेहूं की तुलना में डेढ़ से दो गुना अधिक मुनाफा होगा। वहीं एग्रो कंपनी किसानों से संपर्क करके काले गेहूं की खेती करने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं। इस सीजन में पांच से अधिक किसान काले गेहूं की खेती कर रहे हैं।
कृषि वैज्ञानिक डा. समीर पांडेय ने बताया कि काले गेहूं की बुआई करने के लिए नवंबर अच्छा सीजन है। किसानों के पास पूरे महीने खेती करने का मौका है। इसके बाद भी इसकी बुआई हो सकती है, लेकिन पैदावार में गिरावट देखने को मिल सकती है। इसलिए नवंबर में जितनी जल्दी हो सके काले गेहूं की बुआई कर देनी चाहिए।
चंदौली जिले के कृषि वैज्ञानिक डा. समीर पांडेय ने बताया कि काले गेहूं की उपज एक बीघे में दस से 12 क्विंटल तक होने की उम्मीद है। जबकि सामान्य गेहूं एक बीघे में अधिकतम सात से आठ क्विंटल तक पैदा होता है। काले गेहूं की फसल सामान्य गेहूं के जैसे ही होती है लेकिन इसकी बुआई सीड्रिल (गेहूं की बोवाई मशीन) से करने पर पैदावार अधिक होगी। इससे उर्वरक और बीज की बचत होगी। जहां तक काले गेहूं के बीज बाजार में उपलब्ध है। अगर किसान जैविक विधि से काले गेहूं की खेती करेगा तो उसके उपज की कीमत और अधिक मिलेगी।
काले गेहूं की दो विशेषताएं ( Benefits of Black Wheat)
काले गेहूं की दो विशेषताएं हैं। सामान्य गेहूं के मुकाबले काले गेहूं की पैदावार काफी अधिक है। इसके अलावा काला गेहूं की मांग अधिक होने के चलते इसकी बाजार में कीमत बहुत अधिक है। किसान को चार से छह हजार तक प्रति क्विंटल मूल्य प्राप्त होगा। वर्तमान में जिले के कुछ किसानों ने काले गेहूं की खेती की शुरुआत कर दी है। हालांकि सरकारी गोदामों में काले गेहूं के बीज उपलब्ध नहीं है। इसलिए किसान गैर प्रांतों से बीज मंगा रहे हैं।
किसान आनंद मौर्य लाए हैं बीज (Black Wheatin Sakaldiha)
सकलडीहा ब्लाक के दानूपुर गांव के किसान आनंद मौर्य ने बताया कि पिछले वर्ष सात विस्वा में काले गेहूं की खेती की था। लगभग तीन क्विंटल उपज प्राप्त हुई। काले गेहूं के बीज हरियाणा के करनाल के नावी रिसर्च सेंटर की निदेशक मोनिका गर्ग ने उपलब्ध कराई थी। निदेशक ने बताया था कि गेहूं में आयरन, प्रोटीन के साथ ब्लडप्रेशर और सुगररोधी इंफोसाइन नामक तत्व है। सामान्य गेहूं के मुकाबले काले गेहूं की रोटी काफी स्वादिष्ट और मुलायम होती है।
कृषि उपनिदेशक राजीव कुमार भारती का कहना है कि जिले में काले गेहूं की खेती की शुरुआत कुछ किसानों ने की है। पिछले वर्ष सकलडीहा के एक किसान ने खेती की थी। लेकिन इस वर्ष काले गेहूं की खेती करने वाले किसानों की संख्या पांच से अधिक है। इसकी खेती करने वाले किसान और बढ़ सकते हैं। काले गेहूं में औषधीय गुण होने के चलते बाजार में इसकी मांग अधिक है। काले गेहूं की खेती करने वाले किसानों को प्रोत्साहित किया जाएगा।