मिशन शक्ति फेज-5 के तहत पहल, प्रीतपुर गांव की कुमारी चंचल ने निभाया एक दिन का रोल

कुमारी चंचल, जो दसवीं की पढ़ाई कर रही हैं ने उत्तर प्रदेश बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सदस्य के रूप के आज एक दिन के लिए आधिकारिक सीट संभाली।
 

 चंदौली बालिका को सदस्य की जिम्मेदारी

गांव की बालिका को मिला प्रतीकात्मक रूप से एक दिन का चार्ज

उत्तर प्रदेश राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की बनी सदस्य  

राज्य सरकार के मिशन शक्ति चरण-5 के तहत चंदौली के प्रीतपुर गांव की किसान की बेटी कुमारी चंचल ने अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस की पूर्व संध्या पर आज 10 अक्टूबर 24 को लखनऊ स्थित उत्तर प्रदेश बाल अधिकार संरक्षण आयोग के सदस्य पद पर प्रतीकात्मक रूप से एक दिन के लिए भूमिका निभाई।

चंदौली जिले के जिला प्रोबेशन अधिकारी प्रभात कुमार ने बताया कि मिशन शक्ति पहल का उद्देश्य महिलाओं और लड़कियों की सुरक्षा, आत्मनिर्भरता और सम्मान को बढ़ावा देना है।चंदौली के एक किसान की सात बेटियों में से एक, सोलह वर्षीय चंचल कुमारी, 11 अक्टूबर को अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस से ठीक पहले गुरुवार को उत्तर प्रदेश राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग (यूपीएससीपीसीआर) की सदस्य का पदभार संभाला। चंदौली के अपने गांव में बाल विवाह उन्मूलन के प्रयासों के लिए जानी जाने वाली चंचल पहली बार लखनऊ आकर बहुत रोमांचित हैं।

कुमारी चंचल, जो दसवीं की पढ़ाई कर रही हैं ने उत्तर प्रदेश बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सदस्य के रूप के आज एक दिन के लिए आधिकारिक सीट संभाली। आयोग की माननीय सदस्य डा0 सुचिता चतुर्वेदी ने उन्हें एक दिन के लिए आयोग का सदस्य नियुक्त किया, जिससे वह अपनी कुर्सी पर बैठ सकें।

उत्तर प्रदेश बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सदस्य की कुर्सी पर बैठकर चंचल ने आयोग द्वारा किए जा रहे बाल अधिकार संरक्षण संबंधी विभिन्न कार्यों को प्रतीकात्मक रूप से संबोधित किया। चंचल ने कहा, "मैं इस पद पर काम करके मुझे बहुत ख़ुशी हो रही है, मैं गौरवान्वित महसूस करती हूं और आयोग में सदस्य की भूमिका निभाते हुए मुझमें जिम्मेदारी का भाव  विकसित हुआ।"

आयोग की माननीय सदस्य डॉ. सुचिता चतुर्वेदी ने चंचल को आयोग के कार्यों और सदस्य की भूमिका और जिम्मेदारियों के बारे में जानकारी दी । उत्तर प्रदेश बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सदस्य के रूप में चंचल ने एक केस को सुना और उसपर आदेश जारी किया। चंचल ने शिक्षा के अधिकार की पुरजोर वकालत की, उंसने कहा कि शिक्षा को सुनिश्चित करके बाल श्रम , बाल विवाह और बच्चो के खिलाफ हिंसा में कमी लायी जा सकती है।  उसने कहा कि शिक्षा सामाजिक समरसता को बढाने में भी अमूल्य योगदान करती हैं।  

इस अवसर पर आयोग की माननीय सदस्य डॉ. सुचिता चतुर्वेदी ने संस्था मानव संसाधन एवं महिला विकास संस्थान के प्रयासों की सराहना की। चंचल को लखनऊ में उत्तर प्रदेश राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग में प्रतीकात्मक सदस्य बनाने के लिए संस्था को जनपद चंदौली के जिला प्रोबेशन अधिकारी श्री प्रभात कुमार का विशेष प्रेरणा और सहयोग रहा।