आने वाले चुनावों में नेताओं व अफसरों से पूछे जाएंगे चंदौली से जुड़े ये 25 सवाल, कर लीजिए तैयारी

यह सवाल किसी सोशल मीडिया के साथ ने उठाया तो उसके दर्द को पढ़कर चंदौली जिले के जनप्रतिनिधियों से जानने व पूछने का मन कर गया...
 

चंदौली जिले के जनप्रतिनिधियों से सवाल

कब व कैसे दूर होंगी चंदौली की ये समस्याएं

जनता के इन सवालों का क्या है जवाब

डबल इंजन व स्थानीय स्तर पर भी एक ही है सरकार

कौन लेगा इन समस्या को हल कराने का जिम्मा

चंदौली जिले की जनता आज भी कई मूलभूत और आवश्यक सुविधाओं से महरूम है और जनता चाहती है कि यहां के अफसर और राजनेता इन मुद्दों पर जरूर विचार करें और जिला योजना, दिशा तथा नगर पंचायत, नगर पालिका और जिला पंचायत की होने वाली बैठकों में इन समस्याओं के समाधान पर भी विचार विमर्श करें। साथ ही साथ इस बात की कोशिश करें कि यह समस्याएं जितनी जल्दी हल हो सकें उसको हल करवा दें.. क्योंकि यह समस्या ऐसी समस्या है, जिससे चंदौली जिले की जनता हर रोज रूबरू होती है।

 हो सकता है कि चंदौली जिले के राजनेताओं और अधिकारियों को इन समस्याओं का सामना ना करना पड़ता हो, लेकिन चंदौली जिले की रहने वाली जनता चाहे वह सत्ता पक्ष के सपोर्टर हो या विपक्ष के विचारों को समर्थन देने वाली.... सभी को इन समस्याओं से हर रोज जूझना पड़ता है।

 यह चंदौली के विकास और यहां के लोगों की जरूरत के हिसाब से प्राथमिकता वाले काम हैं। इस पर लंबे लंबे भाषण देने के बजाय काम करने की जरूरत है, ताकि इसके लिए एक समयबद्ध कार्य योजना बनाकर बारी-बारी से काम किया जा सके और एक-एक करके इन सारी समस्याओं का समाधान कर दिया जाए....

1. गंदगी और प्रदूषण फैलाती नगर पंचायतों व नगरपालिका की बस्तियां व बाजार। इसके लिए तीनों नगर पंचायतों के साथ साथ सकलडीहा, धानापुर, चहनियां बाजार के कूड़ा कचरा प्रबंधन पर काम करने की जरूरत है ताकि जिले के कूड़े को घरों व गलियों से एकत्रित करने के बाद सही जगह पर व सही तरीके से निस्तारित कराने की व्यवस्था हो सके।

2. चंदौली जिले के रेलवे व नदियों पर बनने वाले पुल व ओवर ब्रिज। जिले में कई परियोजनाओं पर काम काफी धीमी गति से हो रहा है और कोई भी काम निर्धारित समय सीमा में पूरा होता नहीं दिख रहा है। इस पर नेताजी लोगों को केवल मीटिंग करने व दिखावे वाली समीक्षा के बजाय समयबद्ध कार्य योजना बनवाकर सही तरीके से प्रचार प्रसार की है, ताकि जनता को पता चले कि कौन सा पुल कब तक जरूर बन जाएगा।


3. बिना बस स्टैंड के वाहन चलाने की परंपरा आज भी जिले में जोरदार तरीके से कायम है और कई जगहों पर पार्किंग व वाहन स्टैंडों के नाम पर बाकायदा वैध व अवैध वसूली भी की जाती है। चकिया व मुगलसराय में सरकारी बस स्टैंड के नाम पर जो दो जगहें हैं..उनकी हालत देखेंगे तो सारे विकास-पुरुष खुद शरमाने लगेंगे।

4. चंदौली जिले की चंदासी कोयला मंडी का गुणगान भाषणों व गिनती गिनाने वाले कार्यों में सारे दल के राजनेता करते हैं। सरकारी विभाग यहां से करोड़ों का राजस्व लेते हैं पर यहां की सड़क व धूल की समस्या केवल नेताओं को चर्चा व कागजों में अच्छी लगती है। अगर सांसद व विधायक जी को बिना मास्क के एक दिन यहां की रहने वाली जनता के तरह सांस लेना हो तो शायद यह दर्द समझ पाएंगे।  

5. कोई चंदौलीवासी अपना गांव घर छोड़कर कहीं जाना नहीं जाना चाहते हैं, पर रोजी रोजगार या बच्चों की पढ़ाई के लिए जाना उनकी मजबूरी है। क्योंकि हाईस्कूल के बाद पढ़ाई के लिए जो जरूरी सुविधाएं व स्कूलों में शिक्षक होने चाहिए वह नहीं हैं। उसके उपर की पढ़ाई तो और भी मासा-अल्लाह है। न भरोसा हो चंदौली जिला मुख्यालय के डिग्री कालेज के साथ साथ, चकिया, धानापुर व नौगढ़ के महाविद्यालय पर घूम आइए और देखकर जनता को बताइए कि जितनी व्यवस्थाएं हैं वह काफी हैं क्या..

6. चंदौली, सैयदराजा, सकलडीहा व अन्य रेलवे स्टेशनों पर जो ट्रेनें पहले रुकती थीं, उसे भी कम कर दिया गया है..इस पर भी जनप्रतिनिधियों को ध्यान देने की जरूरत है, ताकि वह अगले चुनाव में गिनवा सकें कि पहले कितनी ट्रेनें उनकी विधानसभाओं के रेलवे स्टेशनों पर रूकती थीं और अब क्या हाल है।

7. चंदौली के पॉलीटेक्निक के बिल्डिंग और संसाधन कई लोगों को न सिर्फ आश्रय देने का काम करती है, बल्कि चंदौली जिले के तमाम चुनावों को निपटाने की साक्षी रही है। अगर इन भवनों की केवल कायदे से मरम्मत व रखरखाव हो जाय तो पालिटेक्निक का कायाकल्प हो जाए। पर दुर्भाग्य है चंदौली जिले का कि जहां से हर रोज जिलाधिकारी व मुख्य विकास अधिकारी गुजरते हैं और इसी के भवन में रहकर पूरे जिले की योजना बनाते हैं..पर इसके पुनरुद्धार की कोई ज़रूरत नहीं समझते..कुछ जो नए काम हो रहे हैं..उसको आप खुद जांचपरख कर समझ सकते हैं कि कितना उपयोगी हैं।

8. जब से रेलवे ओवर ब्रिज बन रहा है तब से कैली रोड ही चंदौली की दोनों बाजारों को जोड़े हुए है, पर यहां से गुजरने वाले ओवरलोड वाहनों ने सड़क को कबाड़ा कर दिया है..यह सड़क कब कैसे 12 महीने आम लोगों के चलने लायक रहेगी..इस पर भी सोचने विचारने की जरूरत होगी। साथ कैली रोड से विकास भवन की ओर जाने वाली वैकल्पिक सड़क पर भी अफसरों व राजनेताओं के रहमोकरम की जरूरत है।


9. चंदौलीवासियों और उनके बच्चों को भी मोदी सरकार का डिजिटल इंडिया का कांसेप्ट अच्छा लगने लगा है और लोग मोबाइल और टीवी पर चिपकते देखे जा रहे हैं और हर हर का कोई न कोई बच्चा अलग अलग तरह के इंजीनियर बनने की सोच रखे हुए है। कोई सॉफ्टवेयर इंजीनियर तो कोई और ब्रांच में जाने की सोच रहा है। पर दुर्भाग्य है कि पूरे जिले में कोई ऐसा पार्क नहीं है, जहां पर आप अपने बच्चों व परिवार के साथ घंटे दो घंटे बिता सकें या आपके बच्चे आपकी आंखों के सामने बैठकर खेल सकें।

10. युवा पीढ़ी के लोग जब देश दुनिया में खेलकर मेडल जीतते हैं तो चंदौली के युवाओं को काफी टीस लगती है, क्योंकि चंदौली जिले में कोई खेल का स्टेडियम नहीं है और खेल की कोई अच्छी कोचिंग वाली सुविधाएं...खेल विभाग व युवा कल्याण विभाग केवल विभागीय बजट खर्च करने के लिए ब्लाक स्तरीय व जिला स्तरीय प्रतियोगिताओं को करवाकर माननीयों के हाथों बच्चों को गिफ्ट दिलवाकर फोटो खिंचवाने का काम करता है।


 11. चंदौली जिले के कई लोग 100 एमबीपीएस का पैसा देकर दूरसंचार विभाग की मनमानी झेलते हैं और वह आपको सिर्फ 20 एमबीपीएस की स्पीड का इंटरनेट देता है..आप चाहकर भी उनका कुछ उखाड़ नहीं सकते हैं क्योंकि आपके पास कोई और ऑप्शन नहीं है। दूर संचार विभाग शायद सोचता होगा कि कहीं आप ज़्यादा स्पीड से ऑनलाइन होकर पाकिस्तान से टकरा न जाएं।

12. गांव व शहरों के लोगों की शिकायत आम है कि फोन का कनेक्शन कटा होने पर भी बिल उतना ही भेजता है, जितना हर समय आता है। लगता है कि दूरसंचार विभाग पूरा बिल जमा कराने की आपकी आदत को बरकरार रखना चाहता है। आपने कनेक्शन लेकर विभाग को ज्यादा काम कराने की गलती की है..इससे पूरा बिल देने की सजा से पूरी किया जा सकता है।  

10. चंदौली जिले के अपना डिपो है, लेकिन साहब लोग उसे बनारस जिले से चलाते हैं..पूछा जाय तो या तो नेहरू को जिम्मेदार बता देंगे या आपकी दस पुस्तों की उस गलती को गिना देंगे, जिसके कारण चंदौली में अब तक दूसरे दलों के लोग जीतते आए हैं।

11. अगर आपको कैंट रेलवे स्टेशन या कैंट डिपो जाना हो या किसी चीज का इलाज कराने के लिए बीएचयू तक जाना हो तो आप चंदौली जिले से कोई कायदे की एक बस या सीधी सवारी गाड़ी नहीं पा सकते। आपको जीप-टेंपो या खटारा बसों में धक्के खाकर ही जाना है। इसके बाद भी आंकांक्षात्मक जनपद बनकर पूरे देश में अपनी रैंकिंग का गुणगान कर रहे हैं।   

12. चंदौली जिले के नेताओं व अफसरों को शायद ठीक से न पता होगा कि चंदौली जिले के जिला अस्पताल, चकिया के संयुक्त चिकित्सालय सहित जिले के प्राथमिकत व सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों का कचरा कहां व कैसे निस्तारित होता है..जहां भी और जैसे भी निस्तारित होता है..उसे नेताजी और जिले के साहब लोग उचित मानते हैं क्या।

13. चंदौली जिले के विकास भवन व जिले के कार्यालयों को कब तक दूसरे के रहमोकरम व किराए के मकानों में चलवाते रहेंगे। कब तक चंदौली जिले की तहसीलों व जिला स्तरीय न्यायालयों को अपनी जमीन पर अपना भवन मिलेगा, जहां जाकर लोग थोड़ा सा गुड फील कर सकेंगे।

14. चंदौली जिले के अंदर बिजली के ट्रांसफार्मर व पावर हाउसों के सामान को बदलने व मरम्मत में जो देरी होती है..क्या इसके लिए जिले के किसी राजनेता व अफसर ने सोचकर कोई कार्रयोजना बनायी है, जिससे 24-48 घंटे में ट्रांसफार्मर बदल जाया करें..या पावर हाउस की खराबी चंद घंटों में दूर हो सके।

15. चंदौली जिले की नहरों व ट्यूबवेलों के साथ साथ लिफ्ट कैनालों का हालचाल लेने के लिए तमाम बार नेताजी लोग गए होंगे लेकिन यह सारी चीजें जरूरत के समय किसानों को सही तरीके से चालू हालत में मिल जाएं..इसके लिए चंदौली की जनता को उनको कितनी बार लगातार सांसद या विधायक बनाना होगा।

16. खाद की रैक भी जिले में उतर रही थी और उसका स्टाक भी भरपूर मिल रहा था..आगे भी बिना रोक टोक के मिलता रहे इसके लिए साहब व नेताजी लोगों को फिर से याद दिलाना पड़ेगा या अपने आप इसको देख लेंगे।

17. चंदौली जिले में बालू-गिट्टी व मिट्टी के अवैध खनन व गैर जनपद से खनन करके आने वाले सामानों के विक्रय का अड्डा भी बन चुका है..इसके लिए ठोस कार्य योजना है या नहीं।

18. चंदौली जिले में हर रोज पकड़े जाने वाले पशु तस्करी वाले जानवर कहां जाते हैं और क्या होता है उनका..इसका हिसाब किताब किसी के पास है क्या..या उन्हें किसानों की फसलें चरने के लिए खुला छोड़ा जाता है..एक साल में सभी थानों में पकड़े गए व खपाए गए जानवरों का हिसाब लेकर बता दीजिए..जिले के लोग जानना चाहते हैं।

19. चंदौली जिले के पर्यटन व टूरिज्म को बढ़ावा देने के नाम पर देवदरी-राजदरी-नौगढ़ के साथ साथ अन्य ऐतिहासिक स्थलों को कितना स्तरीय तरीके से विकसित कर दिया गया है कि वहां पर्यटक आसानी से पहुंच जाएं और इसे देखकर दोबारा आने या किसी अन्य परिचित को जाने के लिए कहने की हिम्मत जुटा सकें।

20. तहसील दिवस व थाना दिवस के मामलों का निस्तारण गुणवत्ता के तरीके से होता है या खानापूर्ति होती है..इसको किसी ने जांचने परखने की कोशिश की या नहीं...यदि हां तो क्या क्या किया है...और नहीं किया तो क्यों नहीं किया...आखिर नेताजी अफसरों से क्यों नहीं पूछते कि यह मामला आपके कार्यालय में इतने दिनों से पेंडिंग क्यों है..आखिर एक व्यक्ति को बार बार एक ही मामले में शिकायत या अर्जी क्यों देनी पड़ती है..क्या इसे ही सुशासन कहते हैं।

21. धान व गेहूं खरीद केन्द्रों पर खरीद व भंडारण के साथ साथ तय समय में भुगतान की प्रक्रिया का साल में कितने बार मूल्यांकन करते हैं या हकीकत जानने की कोशिश करते है। केवल सीजन में जाकर दो चार फोटो व दिशा निर्देश देने तक आप लोग क्यों सीमित हैं। यह भी जानने की जरूरत है कि चंदौली जिले में और कौन कौन सी फसलों की खरीद हो सकती है और सरकार की ओर से जिले में क्या व्यवस्था है।

22. जिला पंचायत के बजट व उसके खर्चे के साथ साथ उसकी काम की गुणवत्ता को लेकर खूब सवाल उठते हैं..क्या किसी जनप्रतिनिधि व अफसर के अंदर दम है कि वह दूध का दूध पानी का पानी कर सके और दावा कर सके कि उसके रहते जिला पंचायत के बजट में एक पैसे की बेइमानी नहीं होगी व ऐसा काम होगा कि जिला याद करेगा।  

23. चंदौली जिले में जनप्रतिनिधियों की निधि से होने वाले काम मानक के अनुरूप हों और कम से कम उनके पांच साल के कार्यकाल तक जरूर चलें..क्या ऐसा आश्वसन दिया जा सकता है क्या।

24. जिले की किसान बंधु, उद्योग बंधु व सिंचाई बंधु जैसी बैठकों में सांसद व विधायक के आने से इन बैठकों की गुणवत्ता व संवेदनशीलता बढ़ सकती है क्या..या ये लोग इस बैठक में शामिल होने के पात्र नहीं हैं।

25. जिले में लावारिस मिलने वाले बच्चों, महिलाओं व पुरूषों के लिए एक अच्छा आश्रय गृह जिले में होना चाहिए..क्या इसके लिए कोई पहल होनी चाहिए या जो सरकारी खर्चे पर चल रहे हैं..उसकी मासिक रिव्यू व विजिट जनप्रतिनिधियों को भी जरूर करनी चाहिए।   

यह सवाल किसी सोशल मीडिया के साथ ने उठाया तो उसके दर्द को पढ़कर चंदौली जिले के जनप्रतिनिधियों से जानने व पूछने का मन कर गया। आप अभी इसे पढ़ें या न पढ़ें आने वाले चुनाव में यह सारी बातें मुद्दा बनेंगी..बाकी आप लोगों की मर्जी..।