करोड़ों की सरकारी जमीन पर भू-माफियाओं की नजर : खड़ेहरा गांव में जांच कराएंगे SDM सकलडीहा
खड़ेहरा गांव में खेल मैदान का फर्जी आवंटन
करोड़ों की बेशकीमती भूमि पर भू-माफियाओं की नजर
ग्रामीणों द्वारा एसडीएम सकलडीहा को ज्ञापन प्रेषित
25 साल पुरानी पत्रावली की होगी गहन जांच
सार्वजनिक खेल मैदान बचाने के लिए आंदोलन की चेतावनी
चंदौली जनपद के सकलडीहा तहसील क्षेत्र अंतर्गत खड़ेहरा गांव में एक सनसनीखेज मामला प्रकाश में आया है। यहाँ गांव के सार्वजनिक खेल मैदान को गलत तरीके से आवंटित किए जाने को लेकर ग्रामीणों में भारी आक्रोश व्याप्त है। ग्रामीणों का गंभीर आरोप है कि भू-माफियाओं ने सत्ता और प्रशासन की मिलीभगत से साजिश रचकर गांव के बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया है। वर्षों पुराने इस खेल मैदान को नियमों की अनदेखी कर कागजों पर निजी व्यक्तियों के नाम आवंटित कर दिया गया है, जिसे लेकर अब गांव में तनाव की स्थिति बनी हुई है।
बेशकीमती हाईवे किनारे की जमीन पर साजिश
ग्रामीणों के अनुसार, खड़ेहरा गांव में लगभग ढाई एकड़ से अधिक का विस्तृत भूभाग वर्षों से खेल मैदान के रूप में दर्ज रहा है। यह स्थान न केवल बच्चों और युवाओं के खेलकूद का केंद्र है, बल्कि गांव की तमाम सामाजिक गतिविधियों के लिए भी एकमात्र सार्वजनिक स्थल है। वर्तमान में चंदौली–सैदपुर हाईवे से सटे होने के कारण इस जमीन की बाजार दर करोड़ों में पहुँच गई है। आरोप है कि इसी बढ़ी हुई कीमत के लालच में भू-माफियाओं ने लगभग दो दर्जन लोगों के नाम इस जमीन का फर्जी आवंटन करा लिया है। ग्रामीणों का कहना है कि अब इस आवंटित भूमि को बेचने की तैयारी की जा रही है, जिससे गांव का खेल मैदान अस्तित्वहीन हो जाएगा।
प्रशासनिक हस्तक्षेप और ग्रामीणों की मांग
इस मामले की गंभीरता को देखते हुए ग्रामीणों के एक प्रतिनिधिमंडल ने सकलडीहा के उप जिलाधिकारी (SDM) कुंदन राज कपूर से मुलाकात की और उन्हें एक विस्तृत मांग पत्र सौंपा। ग्रामीणों ने मांग की है कि पूरे आवंटन प्रक्रिया की उच्चस्तरीय जांच कराई जाए और दोषियों के खिलाफ कठोर दंडात्मक कार्रवाई की जाए। स्थानीय युवाओं ने चेतावनी दी है कि यदि प्रशासन ने समय रहते इस अवैध आवंटन को निरस्त नहीं किया और खेल मैदान को बहाल नहीं किया, तो वे बड़े पैमाने पर सड़क जाम और आंदोलन करने को विवश होंगे।
जांच के घेरे में 25 साल पुराने दस्तावेज
शिकायत मिलने के बाद सकलडीहा प्रशासन हरकत में आया है। उप जिलाधिकारी कुंदन राज कपूर ने मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए बताया कि यह प्रकरण प्रथम दृष्टया लगभग 25 वर्ष पुराना प्रतीत होता है। उन्होंने राजस्व विभाग को मामले से संबंधित पुरानी पत्रावली तत्काल निकलवाने के निर्देश दिए हैं। एसडीएम ने स्पष्ट किया कि जमीन के मूल स्वरूप की जांच की जा रही है। यदि राजस्व अभिलेखों में यह भूमि खेल मैदान के रूप में दर्ज पाई जाती है, तो किसी भी परिस्थिति में इसका निजी आवंटन वैध नहीं माना जाएगा। उन्होंने आश्वासन दिया कि तथ्यों की गहनता से जांच कर सार्वजनिक संपत्ति को सुरक्षित किया जाएगा।
गाँव में बढ़ता आक्रोश और भविष्य की चिंता
खड़ेहरा गांव में इस प्रकरण को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है। लोगों का कहना है कि यदि गांव की सार्वजनिक संपत्तियां इस तरह भू-माफियाओं की भेंट चढ़ती रहीं, तो आने वाली पीढ़ी के पास खेलकूद और सामाजिक मेल-मिलाप के लिए कोई स्थान शेष नहीं बचेगा। ग्रामीणों को अब प्रशासन की जांच रिपोर्ट और एसडीएम की कार्रवाई का इंतजार है। फिलहाल, राजस्व टीम पत्रावलियों के सत्यापन में जुटी है, लेकिन ग्रामीणों ने साफ कर दिया है कि वे अपनी जमीन को बचाने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं।