खतरे की घंटी : खुद नहीं बदलीं तो बदल दी जाएंगी चंदौली जिले में 50+ कई आंगनवाड़ियां
 

 

उत्तर प्रदेश सरकार कई विभागों में तमाम तरह के सुधार कार्य कर रही है, ताकि जनता को अच्छी सेवाएं और सुविधाएं प्रदान की जा सके। इसी क्रम में सरकार ने बाल विकास परियोजना विभाग में नियुक्त आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की कार्यशैली में सुधार के लिए एक सख्त दिशा निर्देश जारी किया है।

 सरकार ने कहा है कि अगर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता अपनी सेवा जारी रखना चाहती है, तो उसे अपनी कार्यशैली बदलनी होगी और अपना कार्य अच्छा से अच्छा तरीके से करना होगा, नहीं तो सरकार उनकी सेवा जारी रखने पर पुनर्विचार कर सकती है।

 

बताया जा रहा है कि सबसे पहले 50 वर्ष से अधिक आयु वाली आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के कार्यों का मूल्यांकन किया जाएगा। इस दौरान जो महिलाएं कार्य करती अपने काम में ढिलाई बरतते मिलेंगी, उनकी सूची शासन को भेजी जाएगी और शासन से मंजूरी मिलने पर उनकी सेवा समाप्त भी की जा सकती है।

बाल विकास परियोजना विभाग में तैनात अफसरों का कहना है कि अब परफार्मेंस (कार्य) के आधार पर उनकी सेवा आगे चलेगी या नहीं, इसका निर्धारण होगा। विभाग के मुताबिक, इसके तहत सबसे पहले 50 वर्ष से अधिक आयु वाली कार्यकर्ताओं के कार्यों का मूल्यांकन किया जाएगा। इसमें जो शिथिल मिलेंगी, उनकी सूची शासन को भेजी जाएगी। ऐसे कार्यकर्ताओं पर शासन स्तर से सेवा समाप्ति की कार्रवाई होगी।


इस बारे में प्रमुख सचिव व निदेशक ने सूबे के सभी डीपीओ को निर्देश दे रखा है। इसके लिए विभागीय स्तर से प्रक्रिया की जा रही है।

चंदौली जिले के करीब 1690 आंगनबाड़ी व 133 मिनी केंद्रों में 1743 आंगनबाड़ी कार्यकर्ता हैं, जबकि 80 पद रिक्त है। इनमें करीब 35 फीसद कार्यकर्ता 50 से अधिक आयु की हैं। इनके कार्यों की अब मानीटरिंग ही नहीं, बल्कि उनके परफारमेंस से उनकी सेवा अवधि भी तय होगी। कोरोना का संक्रमण कम होने के साथ ही पहले चरण में 50 वर्ष से अधिक आयु वाली कार्यकर्ताओं के कार्यों की समीक्षा होगी। इसमें जो अक्षम मिलेंगी, उनकी सेवा जाएगी। इसलिए उन्हें सेवा में बने रहने के लिए शत-प्रतिशत विभागीय कार्यों को संपादित करना होगा। 


दरअसल, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की शिथिल कार्यशैली से विभाग की किरकिरी हो रही है। इससे योजनाओं का लाभ जनता-जनार्दन को मिलने में मुश्किलें आ रहीं। अफसरों का मानना कि उम्र दराज कार्यकर्ताओं की सेवा समाप्ति के साथ ही नए को सेवा करने का मौका मिलेगा।

आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के कार्यों की समीक्षा एमपीआर (मासिक प्रगति रिपोर्ट) व पीएलआइ (परफारमेंस लिक्ड इंसेटिव) के आधार पर की जाएगी। एमपीआर के तहत कार्यकर्ता द्वारा किए गए गृह भेंट, पंजीकरण आदि की समीक्षा होगी, जबकि पीएलआइ के तहत बच्चों का वजन, कुपोषण, लाल से पीला और पीले से हरी श्रेणी में आने वाले बच्चों के प्रतिशत से होगा। हालांकि यह सब कोरोना संक्रमण का प्रभाव कम होने के बाद विभाग करेगा।