DFO साहब ने जारी किया फरमान : पौधे सूखे तो जिम्मेदार होंगे वनकर्मी, होगा तगड़ा एक्शन भी

झरियावा नाला का निरीक्षण करते समय डीएफओ ने वहां की गंदगी देखकर नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि पौधशालाओं और प्लांटेशन क्षेत्रों में किसी भी प्रकार की गंदगी बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
 

DFO बी. शिवशंकर ने का पौधशाला और पौधारोपण स्थलों का औचक निरीक्षण

साफ-सफाई और सुरक्षा को लेकर दिए कड़े निर्देश

झरियावा नाला में गंदगी देख डीएफओ हुए नाराज़

चंदौली जिले के नौगढ़ में काशी वन्य जीव प्रभाग, रामनगर के जयमोहनी रेंज में प्रभागीय वनाधिकारी बी शिव शंकर ने शनिवार को पौधारोपण स्थलों और पौधशालाओं का औचक निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि अगर किसी भी स्थान पर रोपे गए पौधे सूखते हैं तो उसकी पूरी जिम्मेदारी संबंधित वनकर्मी की होगी।

आपको बता दें कि डीएफओ ने बाघी पौधशाला, मनरहवा नाला, झरियावा नाला, और कैंपा योजना के खद्री नाला का निरीक्षण कर पौधों की सुरक्षा और देखभाल को लेकर मौके पर मौजूद कर्मचारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए।

पौधों को नियमित पानी और जैविक खाद जरूरी

निरीक्षण के दौरान डीएफओ ने निर्देश दिया कि सभी रोपित पौधों की समय-समय पर निराई, गुड़ाई और पानी देने की जिम्मेदारी वन विभाग की है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक पौधशाला में पौधों की उचित देखभाल होनी चाहिए और गंभीरता से लापरवाही पाए जाने पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

झरियावा में गंदगी देख जताई नाराजगी

झरियावा नाला का निरीक्षण करते समय डीएफओ ने वहां की गंदगी देखकर नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि पौधशालाओं और प्लांटेशन क्षेत्रों में किसी भी प्रकार की गंदगी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने निर्देश दिया कि सूखे पत्तों की भी नियमित सफाई की जाए।

कैंपा योजना में रोपे गए पौधों को मिले पूरी सुरक्षा

खुद्री नाला क्षेत्र में कैंपा योजना के अंतर्गत लगे सागौन, नीम, अमरूद, शीशम, पीपल और बरगद जैसे पौधों की देखरेख को लेकर विशेष निर्देश दिए गए। डीएफओ ने कहा कि इन पौधों में समय-समय पर जैविक खाद मिलाई जाए और पौधों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए।

वन विभाग पर टिकी है भविष्य की हरियाली

डीएफओ बी शिव शंकर ने वनकर्मियों को चेतावनी भरे लहजे में कहा कि पौधों की असमय मौत केवल प्रशासनिक औपचारिकता नहीं, बल्कि प्राकृतिक विरासत की क्षति है, जिसे गंभीरता से लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि हर पौधा सिर्फ एक आंकड़ा नहीं बल्कि पर्यावरण का भविष्य है।