4 साल से अटकी है इको टूरिज्म सर्किट विकसित करने की योजना वाली फाइल, ये बनाया गया था प्लान
इको टूरिज्म सर्किट की योजना बनाकर बीत गए 4 साल
अब तक नहीं हुआ कोई काम
योगी सरकार ने हरी झंडी दिखाकर की थी शुरुआत
उसके बाद भी अटक गया पर्यटन विकसित करने का काम
आपको बता दें कि चार साल पहले राजदरी के वन विश्राम गृह में वन सारनाथ से लेकर सोनभद्र विभाग के प्रिंसिपल तक के सभी पर्यटन केंद्रों तक ड्राई रन हुआ था। चीफ ऑफ फॉरेस्ट की अध्यक्षता में बन निगम, उत्तर प्रदेश पर्यटन निगम और टूरिज्म गिल्ड के प्रतिनिधियों के साथ विभ्य-वाराणसी इको टूरिज्म की अवधारणा को मूर्त रूप देने के लिए कार्यशाला हुई थी।
इसमें टूरिज्म के विशेषज्ञों ने इस सर्किट में पीपीपी मॉडल पर समर हट, शौचालय, मनोरंजन पार्क, मिनी चिकित्सालय, लोकल उत्पादों की ब्रॉडिंग के लिए स्ट्रीट बेडर शिप के साथ ही पर्यटन स्थलों को विकसित करने की योजना पर व्यापक चर्चा की थी। इसके विकास की जिम्मेदारी उत्तर प्रदेश वन निगम को दी गई थी। इसमें उत्तर प्रदेश वन विभाग और उत्तर प्रदेश पर्यटन निगम को सहयोगी बनाया गया था ।कार्य शाला के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हरी झंडी दिखाकर सारनाथ से सोनभद्र तक ड्राई रन के लिए वाहनों को रवाना किया था।
अब पुरे चार साल बीतने के बाद भी यह योजना मूर्त रूप नहीं ले सकी। इससे क्षेत्र में पर्यटन के विकास के साथ रोजगार सूजन की संभावनाएं भी मूर्त रूप नहीं ले सकीं। क्षेत्र के पर्यावरणविद् परशुराम सिंह कहते हैं कि वाराणसी-विंध्य इको टूरिज्म सर्किट बनने से रोजगार के नए अवसर उत्पन्न होते लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
इस संबंध में रामनगर वन जीव विभाग के डीएफओ दिलीप श्रीवास्तव ने बताया कि वन विभाग ने राजदरी,औरवाटाड और छान पातर जैसे पर्यटन स्थलों को विकसित किया है। इससे क्षेत्र में सैलानियों के लिए सुविधाएं भी बढ़ी हैं।