पूर्व IPS अमिताभ ठाकुर अचानक जा पहुंचे चंदौली कोतवाली, मांगा पकड़े गए जानवरों का हिसाब
आजाद अधिकार सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने पशु तस्करी को लेकर कहीं बड़ी बात
आखिर कहां जाते हैं पकड़े गए जानवर
कैसे होती है इन जानवरों की देखरेख
कई सवालों पर नहीं मिला संतोषजनक जवाब
चंदौली जनपद के जिला मुख्यालय पर शनिवार को पुलिस के कार्यशैली की परख के लिए पूर्व आईपीएस अधिकारी व राष्ट्रीय आजाद अधिकार सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमिताभ ठाकुर पहुंचकर सदर थाने में पकड़े गए पशुओं के सुपुर्दगी आदि की जानकारी लिया।
पूर्व आईपीएस अधिकारी के थाने में पहुंचने पर पुलिसकर्मियों में खलबली मची रही और उच्च अधिकारी भी टेलीफोन से हर गतिविधियों की जानकारी लेने में जुटे रहे। पूर्व आईपीएस अधिकारी व आजाद अधिकार सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष लगातार चंदौली की पुलिस की गतिविधियों पर अपना कमेंट देते रहते हैं।उन्होंने चंदौली जिला मुख्यालय पर पहुंचकर पुलिस की गतिविधियों की परख करते हुए बताया कि चंदौली जनपद के थाने में 7 महीने के अंदर लगभग ढाई सौ पशु पकड़े गए हैं और उनकी जांच भी नही कराई गई कि वह किस आस्था में हैं। पशुओं को सुपुर्द करते समय उनकी फोटो एवं वीडियो भी नहीं ली गई है और नहीं उनका वेरिफिकेशन किया गया कि वह किस हालत में है।
पूर्व आईपीएस अधिकारी का इशारा था कि तस्करी से बचने के लिए जिन पशुओं को पकड़ा जाता है, वह पशु घूम कर फिर उन तस्करों के यहां पहुंच जाते हैं। इस संबंध में उन्होंने उच्च अधिकारियों से बात कर सुपुर्द किये गए पशुओं के बारे में वेरिफिकेशन आदि की जानकारी करने की बात कही है। ताकि इस बात की जानकारी का पता लगाया जा सके कि आखिर पकड़े गए पशु कहां जाते हैं।
उन्होंने जिला न्यायालय एवं पुलिस लाइन नहीं बनने के मामले में भी पीएलआई न्यायालय में दाखिल कर शीघ्र जिला मुख्यालय पर जिला न्यायालय एवं पुलिस लाइन के लिए कार्य करेंगे।
न्यायालय एवं पुलिस लाइन नहीं होने से होने वाली समस्याओं को लेकर हमारी पार्टी अंतिम लड़ाई करने के लिए तैयार है।
पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर पुलिस की गतिविधियों पर विशेष नजर लगाए रहते हैं जहां भी पुलिस की गलती मिलती है तत्काल उसको वायरल करते हुए उस पर कार्यवाही की मांग कर देते हैं। उनका कहना है कि बिहार बॉर्डर से उत्तर प्रदेश में प्रवेश करने के लिए चंदौली मुहाना है और यहां पुलिस के लिए भ्रष्टाचार का एक माध्यम है। पूर्व आईपीएस अधिकारी व आजाद अधिकार सेने के राष्ट्रीय अध्यक्ष के साथ उनके सहयोगी भी उनके साथ डटे रहे।