ऐसी चर्चा है साहब : छब्बू पटेल के बारे में कुछ ऐसा कह रहे हैं मुगलसराय विधानसभा के लोग, पॉजिटिव है तो निगेटिव भी
 

चंदौली जिले की मुगलसराय विधानसभा सीट पर कांग्रेस पार्टी के टिकट पर छब्बू पटेल के चुनाव लड़ने की चर्चा एक बार फिर से तेज हो गई है, लेकिन इस फैसले से कांग्रेस पार्टी के कुछ नेताओं को मायूसी हो सकती है।
 

जानिए छब्बू पटेल के कांग्रेस पार्टी से लड़ने के बारे में क्या सोच रहे विधानसभा के लोग

आप भी दीजिएगा अपनी राय

चंदौली जिले की मुगलसराय विधानसभा सीट पर कांग्रेस पार्टी के टिकट पर छब्बू पटेल के चुनाव लड़ने की चर्चा एक बार फिर से तेज हो गई है, लेकिन इस फैसले से कांग्रेस पार्टी के कुछ नेताओं को मायूसी हो सकती है। वहीं कांग्रेस पार्टी एक बार फिर अपने जनाधार में बढ़ोतरी के चक्कर में कार्यकर्ताओं की उपेक्षा करते दिख सकती है। फिलहाल छब्बू अपनी बिरादरी के मजबूत नेताओं में एक माने जाते हैं, लेकिन उनको बदले राजनीतिक हालात में बदलने की कोशिश करनी चाहिए।

 कहा जा रहा है कि कांग्रेस पार्टी के कई नेता और कार्यकर्ता पिछले कई सालों से मुगलसराय विधानसभा क्षेत्र में दिन रात एक कर के पार्टी को जिंदा रखने की कोशिश में लगे हैं। ऐसे में अगर किसी दूसरे दल से आए व्यक्ति को उम्मीदवार बनाकर कांग्रेस पार्टी चुनाव मैदान में उतारती है तो कांग्रेस पार्टी के कई ऐसे कार्यकर्ता चुनाव में निष्क्रिय हो जाएंगे, जिन्होंने पार्टी के लिए पिछले कई सालों से अपना पसीना बहाया है। बाहरियों को टिकट देकर और कभी दूसरे दल समझौता करके कांग्रेस वैसे भी अपने पैर पर कुल्हाड़ी मार रही है।

भाजपा में रहे होते तो सांसद होते

वहीं राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि छब्बू पटेल में अब वह दमखम नहीं है, जो पहले हुआ करता था। भारतीय जनता पार्टी से मोहभंग होने के बाद छब्बू पटेल अपना जनाधार खोते चले गए हैं। राजनीति में हमेशा आपके मन का नहीं होता है। कभी कभी आपको दूसरे के लिए भी त्याग करना होता है, जिस भाजपा ने 5 बार टिकट दिया और तीन बार विधायक बनाया अगर छब्बू पटेल भाजपा के नहीं हुए तो किसी और दल के कैसे हो जाएंगे। देख लीजिएगा टिकट नहीं मिला तो कांग्रेस में भी नहीं टिकेंगे। छब्बू पटेल भाजपा में रहे होते तो सांसद होते। पांडेयजी को पार्टी गाजीपुर से नहीं लाती। लेकिन राजनीतिक लालच उनका करियर खराब कर रही है।

बिरादरी के लिए कौन से 5 काम किए हैं

एक पत्रकार ने कहा कि इस बात में थोड़ा दम जरूर है कि उन्हें अपनी बिरादरी का वोट मिलेगा, लेकिन कितना मिलेगा इसकी गारंटी कोई नहीं ले सकता। क्योंकि पटेल अर्थात कुर्मी बिरादरी के कई नेता भारतीय जनता पार्टी और अन्य दलों के साथ भी हैं। वह भी उन वोटों में सेंध लगाने की कोशिश करेंगे। सारी बिरादरी के वह ठेकेदार तो हैं नहीं कि वह जहां जाएंगे सब वहीं चले जाएंगे। छब्बू पटेल गिनाएं कि चुनाव जीतने के बाद बिरादरी के लिए कौन से 5 काम किए हैं, जिससे बिरादरी का मान सम्मान बढ़ा हो। केवल चुनाव लड़ने के लिए बिरादरी की गिनती करते हैं।

जनता सबको मौका देती है तो सबक भी सिखाती है

 एक कांग्रेसी कार्यकर्ता ने कहा कि छब्बू पटेल का कांग्रेस पार्टी में स्वागत है, उन्हें अभिभावक बन कर कांग्रेस पार्टी के युवा नेताओं का मार्गदर्शन करना चाहिए। अगर वह चुनाव लड़ेंगे तो एक दगे हुए कारतूस साबित होंगे। उनकी पोल भी खुल जाएगी। बस समय का इंतजार करिए और देखते रहिए। जनता सबको मौका देती है तो सबक भी सिखाती है।

कांग्रेस पार्टी में पहले सेवा करें

छब्बू पटेल का कांग्रेस पार्टी में आए हैं वह उनका पुराना घर है, जहां से राजनीति का ककहरा सीखे हैं, लेकिन राजनीतिक लाभ और विधायक बनने के लिए भाजपा में गए और वहां दाल गलनी बंद हुयी तो बसपा में रहे। अब वहां भी टिकट मिलता नहीं दिखा तो कांग्रेस याद आ गयी। जिसके जरिए वह कांग्रेस में आए हैं वह अपनी राजनीतिक गोटी सेंक रहे हैं। उनको अपने लिए वोट बैंक तैयार करना है। छब्बू पटेल का कांग्रेस पार्टी में आए हैं तो साल दो साल टिकट मांगना छोड़ पार्टी के लिए ऐसा काम करें कि पार्टी उनको लोकसभा लड़ा दे। विधानसभा के चक्कर में काहे पड़े हैं। विधायक तो कई बार रह ही चुके हैं।