सब्जियों का सीधे निर्यात कर सकेंगे किसान, ये है सरकारी प्लान

अभी तक वाराणसी के निर्यातक किसानों से सब्जियां खरीद कर विदेश भेजते हैं। अब चंदौली के किसान सीधे अपनी सब्जियों का निर्यात कर सकेंगे।
 

उद्यान विभाग किसानों को देगा प्रशिक्षण

तीन नदियों के किनारे बसे किसानों की बढ़ेगी आय

जानिए किस तरह की बनायी गयी है योजना

चंदौली जिले के किसान अब अपनी सब्जियों का विदेश में सीधे निर्यात कर सकेंगे। अभी तक वाराणसी की संस्थाओं के माध्यम से सब्जी विदेश भेजते थे। कृषि उत्पाद के साथ औद्यानिक उत्पादों के भी निर्यात की राह खुलेगी। इसके लिए उद्यान विभाग की ओर से किसानों को प्रशिक्षण दिया जाएगा।

आपको बता दें कि अभी तक वाराणसी के निर्यातक किसानों से सब्जियां खरीद कर विदेश भेजते हैं। अब चंदौली के किसान सीधे अपनी सब्जियों का निर्यात कर सकेंगे। जिले में तीन नदियों का प्रवाह है। इनके किनारे बसे हजारों किसान सब्जियों की खेती करते हैं।

बताते चलें कि इनमें ज्यादातर किसान स्थानीय बाजार के हिसाब से खेती करते हैं। अब उद्यान विभाग किसानों का चयन कर उनको निर्यात के मानकों को पूरा करने वाली सब्जियों की खेती करने, उनकी छटाई और पैकिंग का प्रशिक्षण दिया जाएगा। जिला उद्यान अधिकारी एसपी वर्मा ने बताया कि अभी तक व्यापारी और किसान वाराणसी और गोरखपुर की मंडियों में सब्जी बेचने जाते हैं।

इसके बाद वहां से नेपाल समेत दूसरे पड़ोसी देशों में सब्जियों को सड़क मार्ग से भेजा जाता है। अब जिले के किसानों को निर्यात के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा। इसके लिए वाराणसी से प्रशिक्षक बुलाए जाएंगे। चुनाव के बाद चयनित किसानों को निर्यात के मानकों के अनुरूप सब्जियों की पैदावार, उनकी छटाई और पैकिंग की जानकारी दी जाएगी। इसके अलावा किसानों को भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान में तैयार उन्नत प्रजाति के सब्जियों के बीज व पौधों के बारे में जानकारी दी जाएगी।

यहां बड़े पैमाने पर होती है खेती -

गंगा के किनारे बसे 40 गांव, कर्मनाशा नदी के तटवर्ती गांव नौबतपुर, चारी, चिरईगांव, मुड्डा, धनाइतपुर, अरंगी, अदसड़, ककरैत और करौती गांव में सब्जियों की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है।

इसी तरह चंद्रप्रभा नदी के किनारे बसे विजयपुरवा, सिकंदरपुर, शेरपुर, करेमुआ, भैसही आदि गांवों के हजारों किसान सब्जी की खेती आधुनिक और परंपरागत तरीके से कर रहे है।

इस संबंध में उद्यान अधिकारी ने बताया कि जिले में आठ हजार हेक्टेयर में सब्जियों की खेती के साथ 25 हेक्टेयर में फूलों की खेती होती है।