चंदौली के किसानों के लिए खतरे की घंटी, नहीं सुधरे तो बंजर हो जाएंगे खेत

ऐसे में साफ जाहिर होता है कि कहीं ना कहीं किसानों की मि‌ट्टी की गुणवत्ता खराब हो रही है। गुणवत्ता बनाए रखने के लिए जैविक, हरी खाद के साथ जिप्सम व सल्फर का प्रयोग किसानों को करना चाहिए।
 

5400 किसानों के खेतों की मिट्टी जांची

गुणवत्ता में लगातार आ रही गिरावट

कृषि वैज्ञानिकों की सलाह

किसान मिट्टी की जांच के बाद करें संतुलित मात्रा में उर्वरक का उपयोग

चंदौली जिले में किसान मनमाने तरीके से उर्वरक का उपयोग कर रहे हैं, जिससे खेती बारी वाली उपजाऊ जमीन बंजर होने लगी है, जिले में मिट्टी जांच की रिपोर्ट को देखा जाय तो किसानों के लिए खतरे की घंटी बजने लगी है।
जिले के 9 ब्लाकों के 5400 किसानों के खेतों की मिट्टी की जांच भूमि परीक्षण प्रयोगशाला में की गई। इसमें मिट्टी के सेहत में बेहद गिरावट देखी गई। ऐसे में कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि जिले के किसानों को बिना मिट्टी जांच कराए उर्वरकों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। आए दिन मिट्टी के सेहत में गिरावट आ रही है।

आपको बता दें कि अगर बिना मिट्टी की जांच कराए उर्वरकों का प्रयोग किया तो इसका असर फसल ही नहीं मिट्टी पर भी पड़ेगा। ऐसे में मिट्टी की जांच जरूरी है।

बताते चलें कि जनपद में लगभग 1.20 लाख हेक्टेयर में खेती की जाती है, लेकिन किसानों की ओर से अंधाधुंध रासायनिक उर्वरकों के प्रयोग के कारण मिट्टी की उर्वरा शक्ति घटती जा रही है। ऐसे में कृषि वैज्ञानिकों और किसी विभाग के अधिकारियों की मानें तो उर्वरा शक्ति को बनाए रखने के लिए किसानों को जैविक खाद के साथ साथ हरी खाद का प्रयोग करना होगा। तभी उर्वरा शक्ति बच सकती है।

 जिले में सत्र 2023-2024 में विशेष अभियान चलाकर 5400 किसानों के खेतों की मिट्टी की निशुल्क जांच की गई है। भूमि परीक्षण प्रयोगशाला अध्यक्ष शुभ कुमार मौर्या ने कहा कि 0.8 जीवाश्म कार्बन होना चाहिए, लेकिन यह घटकर 0.1 से 0.5 के बीच है।

वहीं सल्फर की मात्रा 15 पीपीएम होनी चाहिए, लेकिन यह 10 के नीचे है। वहीं जिंक 1.2 होना चाहिए, लेकिन यह घटकर 0. 6 के नीचे है।

ऐसे में साफ जाहिर होता है कि कहीं ना कहीं किसानों की मि‌ट्टी की गुणवत्ता खराब हो रही है। गुणवत्ता बनाए रखने के लिए जैविक, हरी खाद के साथ जिप्सम व सल्फर का प्रयोग किसानों को करना चाहिए।

इस संबंध में चंदौली जिले के भूमि परीक्षण प्रयोगशाला के अध्यक्ष शुभ कुमार मौर्या ने बताया कि जनपद में अभियान चलाकर 5400 किसानों की मिट्टी की जांच निशुल्क की गई है। अब अगर किसान स्वयं जांच कराता है तो सामान्य के लिए 23 रुपये और सूक्ष्म जांच के लिए 105 रुपये शुल्क निर्धारित है। किसान अपने खेत की मिट्टी देकर मुख्यालय स्थित प्रयोगशाला में जांच करा सकते हैं।