धीरे-धीरे बढ़ने लगा है गंगा का पानी, आसपास के इलाकों में बाढ़ का खतरा
 

हर साल बाढ़ के कारण इन गांवों की उपजाऊ जमीन गंगा में समाहित हो जाती है। इस वर्ष भी गंगा का जलस्तर जिस तेजी से बढ़ रहा है, उससे खेतों के कटाव की आशंका बढ़ गई है।
 

टांडा कला घाट पर बढ़ा गंगा का जलस्तर

तटवर्ती गांवों में बढ़ी बाढ़ की आशंका

जानिए किन गांवों में बढ़ रहा है पानी भरने का खतरा

चंदौली जिले के चहनिया ब्लॉक के टांडाकला घाट के अलावा कई इलाकों में गंगा के जलस्तर में लगातार वृद्धि हो रही है, जिससे तटवर्ती गांवों में बाढ़ का खतरा गहराने लगा है। पानी अब घाट की सीढ़ियों को पार कर गंगा मंदिर तक पहुंच गया है। इससे ग्रामीणों, किसानों और घाट किनारे रहने वालों में बेचैनी बढ़ गई है।

गंगा के जलस्तर में लगातार हो रही वृद्धि के कारण टांडा कला घाट पर गंगा कटान रोकने के लिए लगाए जा रहे पत्थरों तक पानी पहुंच गया है। इससे जहां बचाव कार्यों पर असर पड़ा है, वहीं ग्रामीणों को खेतों के कटने और फसल बर्बाद होने की चिंता सताने लगी है।

टांडा कला घाट के आस-पास स्थित गांव—भूपौली, डेरवा, महड़ौरा, कांवर, पकड़ी, महुअरिया, विशुपुर, महुआरी खास, सराय, बलुआ, डेरवाकला, महुअर कला, हरधन जुड़ा, गंगापुर, पुराविजयी, चकरा, सोनबरसा, महमूदपुर, सरौली, तीरगांवा, हसनपुर, बड़गावां, नादी निधौरा, सहेपुर आदि गांवों के लोगों में गंगा की बढ़ती धार से दहशत का माहौल है।

हर साल बाढ़ के कारण इन गांवों की उपजाऊ जमीन गंगा में समाहित हो जाती है। इस वर्ष भी गंगा का जलस्तर जिस तेजी से बढ़ रहा है, उससे खेतों के कटाव की आशंका बढ़ गई है। खासतौर पर निचले इलाकों में किसानों की सैकड़ों एकड़ फसल हर वर्ष पानी में डूबकर बर्बाद हो जाती है। इससे न केवल आर्थिक नुकसान होता है, बल्कि पशुपालकों को चारे की भी गंभीर समस्या झेलनी पड़ती है।

घाट के किनारे झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले लोगों की चिंता और भी गंभीर है। बढ़ते जलस्तर के साथ ही विषैले जानवरों—जैसे सांप, बिच्छू आदि—का खतरा हमेशा बना रहता है। ग्रामीणों ने प्रशासन से अपील की है कि स्थिति को देखते हुए जल्द से जल्द राहत और बचाव कार्य तेज किया जाए तथा जरूरी इंतजाम किए जाएं।

फिलहाल प्रशासन की ओर से स्थिति पर नजर रखी जा रही है, लेकिन ग्रामीणों की मांग है कि त्वरित कार्रवाई कर उनके जान-माल की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए। ग्रामीणों को डर है कि यदि गंगा का जलस्तर इसी गति से बढ़ता रहा, तो जल्द ही बाढ़ जैसे हालात बन सकते हैं।