ईंट उद्योग के व्यापारी परेशानी, भाजपा सरकारी की जीएसटी नीति से परेशान, सरकारी उपेक्षा से संकट में है ईंट उद्योग

भट्ठा संचालकों ने लगाया डबल इंजन की सरकार पर आरोप
सही नीतियों की अनदेखी से उद्योग हो रहा है प्रभावित
लाल ईंट की जगह बढ़ने लगी है फ्लाई ऐश ईंट की मांग
GST बढ़ोतरी से ईंट उत्पादन होता जा रहा है महंगा
सरकार की उदासीनता के कारण नहीं बढ़ रहा कारोबार
चंदौली जिले में तकरीबन 200 से ज्यादा इंट भट्ट संचालित हैं। ईंट भट्टों से निकलने वाली लाल ईंट पर अब इंटरलाकिंग में लगने बाली सफेद ईंट (पलाईएश ईंट) भारी पड़ने लगी है। कारण कि गांव से लेकर सहर तक इसी ईंट का ज्यादा इस्तेमाल हो रहा है। जबकि लाल ईंट की मांग न के बराबर हो गया है। वहीं जीएसटी की मार, ईंट उद्योग की उपेक्षा और जिम्मेदारों की उदासीनता से के चलते इंट निर्माता व्यवसायी अब दम तोड़ने के कगार पर पहुंच गए हैं। इससे इनमें आक्रोश भी है।
आपको बता दें कि पीडीडीयू नगर में ईंट निर्माता व्यवसायियों ने कहा कि सरकार की उपेक्षात्मक नीतियों के कारण इस उद्योग पर अब संकट के बादल मडराने लगे हैं। जहां लाल ईंट उद्योग को दतोत्साहित किया जा रहा है वहीं पर फ्लाईएस ईंट को उत्साहित करके उसके कारोबार को आगे बढ़ाया जा रहा है। वर्तमान सरकार पिछले 2 वर्षों से सरकारी कार्यों में लाल ईंटों का प्रयोग कम करके दूसरे ईंटों का प्रयोग कर रही है। वहीं उद्योग पर लगने वाले एक प्रतिशत कर की जगह पर छह प्रतिशत और पांच प्रतिशत को बढ़ाकर 12 फीसदी कर दिया गया। ईंट कारोबारियों ने इसे संशोधित करके पिछली सरकार के नीतियों को फिर से लागू करने की मांग की है।
कहा जा रहा है कि सरकार 2012 के बाद खुले नए ईंट भट्टों को सरकार प्रदूषण प्रमाण पत्र नहीं दे रही है। जिससे संचालन करने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। प्रदूषण प्रमाण पत्र न होने से अन्य विभागों में एनओसी नहीं मिल पा रही है भट्ठों में सबसे ज्यादा पैसा कोयले पर खर्च होता है। जब तक गुणवत्ता वाले कोयले पर सब्सिडी नहीं मिलेगी तब तक यह उद्योग घाटे का सौदा बना रहेगा। अच्छी गुणवत्ता काला कोयला ही सब्सिडी के तहत हम लोगों को मिलना चाहिए। सरकार की गलत नीतिनों के कारण आज भड्डा उद्योग घाटे में जा रहा है। पहले 50 फीसदी ईट सरकारी कार्यों में लगता था और
आज इसका इस्तेमाल कम होते जा रहा है। ईंट भट्ठों का ऐसा कारोबार है जो मजदूरों को एडवांस पैसा देता है कितने लोगों को रोजी-रोटी देता है सरकार हमारा साथ क्यों नहीं दे रही है। आरोप लगाया कि सरकार इस उद्योग को भी धनाढ्य लोगों को कारोबार सौंपना चाहती है। कारोबार चलाने के लिए विवशता कम रेट में औने पौने दामों में विक्रय करना पड़ रहा है।
मजबूत होती है लाल ईंट
ग्राम पंचायतों की ओर से गांवों में लगने वाली ईंट काफी मजबूत होती है। उसकी अवधि लगभग 100 साल से ज्यादा है। आज 14 महीने में सफेद ईंट टूट कर समाप्त हो जा रही है। लाल ईट की रिपेयर हो सकती है और उस ईंट का दोबारा इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है। सरकार को हर तरह से लाभप्रद है लेकिन सरकार लाल ईंट का इस्तेमाल करने से बच रही है। यह ऐसा कुटीर उद्योग है जो मनरेगा से भी ज्यादा रोजगार सृजित करता है लेकिन यह उद्योग सरकारी इंटर से पीड़ित हो रहा है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा ईंट भट्ठों को अनावश्यक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा है। अगर यही हाल रहा तो भट्टा संचालक भूखों मरने के कगार पर हो जाएंगे।
सरकार की गलत नीतियों से परेशान हैं ईंट निर्माता
उत्तर प्रदेश टाइल्स इंट निर्माता समिति के प्रदेश मंत्री रतन कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि हम शासन प्रशासन की गलत नीतियों के कारण हर कदम कदम पर प्रताड़ना के शिकार हो रहे हैं। कहा कि हमारा ऐसा कुटीर उद्योग है जो मनरंगा से ज्यादा रोजगार सृजित करता है। हमारा उद्योग सरकारी हेटर से आए दिन प्रताड़ित किया जा रहा जो सरासर गलत है। मिट्टी के खनन के लिए तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। सरकार लाल ईट उद्योग को हतोत्साहित और पलाइयश ईट को उत्साहित करने का काम करके हम लोग को प्रताडित कर रही है। वहीं श्रमिक कानून भी ईट निर्माताओं के विरुद्ध है। जिससे यह इंट उद्योग बंद होने के कगार पर है।
इस संबंध में ईंट व टाइल्स निर्माता समिति, प्रदेश मंत्री व जिला सचिव रतन कुमार श्रीवास्तव बोले कि जिला प्रशासन उद्योग की बैठक में भट्टा समिति के GG पदाधिकारियों को बुलाया जाना चाहिए ताकि उद्योग की समस्या को रख सकें। जिला उद्योग कार्यालय में ईंट उद्योग समिति को रजिस्टर कर लिया जाए। साथ ही बैठक में शामिल भी किया जाए ताकि वह अपनी समस्याओं को बता सकें।