पहाड़ों में बारिश से 3 दिन में एक मीटर बढ़ा गंगा का जलस्तर, चंदौली के तटीय गांवों में मची हलचल
गंगा में बालू के टीले लगे हैं डूबने
गंगा के किनारे रहने वाले ग्रामीणों की बढ़ी चिंता
प्रशासन अब अपने स्तर से कर रहा है तैयारी
पर्वतीय इलाकों में लगातार बारिश और बादल फटने जैसी घटनाओं के चलते गंगा नदी का जलस्तर तेज़ी से बढ़ने लगा है। बीते तीन दिनों के भीतर जलस्तर में लगभग एक मीटर की वृद्धि दर्ज की गई है, जिससे चंदौली के महुआरी खास, डेरवा, बलुआ, चकरा, महुअरकला, पूरा के विजई, गणेश के पूरा सहित कई तटीय गांवों में रेत के बालू पट्टे पूरी तरह डूबने लगे हैं। इससे गांवों में अफरा-तफरी का माहौल बन गया है और लोगों की चिंता गहराने लगी है।
गंगा का जलस्तर बरसात के पहले ही माह में चिंताजनक ढंग से बढ़ रहा है, जिससे तटवर्ती इलाकों में रहने वाले लोगों को चारे, भोजन और सुरक्षित आश्रय की समस्या झेलनी पड़ रही है। ग्रामीण अब खुद ही अपने स्तर से बचाव की तैयारी में जुट गए हैं, जबकि प्रशासन अभी भी खामोश नजर आ रहा है।
प्रशासनिक उदासीनता पर ग्रामीणों का आक्रोश
बलुआ घाट क्षेत्र में जलस्तर तेजी से बढ़ने के बावजूद बाढ़ व कटान नियंत्रण के कोई पुख्ता इंतज़ाम नहीं किए गए हैं। सैदपुर, तिरगांवां, मुहम्मदपुर, सरौली, टांडाकला, सोनबरसा, बड़गावा और हसनपुर जैसे इलाकों में कटान की संभावना लगातार बढ़ रही है, मगर विभागीय सक्रियता शून्य बनी हुई है।
सर्पदंश का खतरा, दवा की मांग
गांवों में बाढ़ के साथ-साथ सर्पदंश की घटनाएं भी बढ़ने लगती हैं। ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की है कि स्वास्थ्य केंद्रों पर सांप के काटने की दवा और एंटीवेनम इंजेक्शन की पर्याप्त व्यवस्था की जाए, ताकि किसी भी आपात स्थिति में जानमाल का नुकसान न हो।
अब भी वक्त है — चेत जाए प्रशासन
गंगा के लगातार बढ़ते जलस्तर और संभावित बाढ़ के खतरे को देखते हुए ग्रामीणों ने प्रशासन से अपील की है कि समय रहते कटावरोधी कार्य, नाव की उपलब्धता, राहत केंद्रों की व्यवस्था और दवा की आपूर्ति सुनिश्चित की जाए, अन्यथा आने वाले दिनों में स्थिति और विकट हो सकती है।