चारा के साथ अब अचार खाएंगे गोवंश, गोशाला के जानवरों की सेहत में होगा सुधार

अचार (साइलेज) बनाने के लिए चारा फसल की महीन काटकर गड्‌ढे में खूब अच्छी तरह से दवा दवा कर भर दें और समय-समय पर इसमें नमक डालते रहें। नमक एक परिरक्षक का कार्य करता है।
 
gauashala animals

पशुपालन विभाग का नया कदम

पोषण बढ़ाने पर जोर

भूसे के साथ मिलेगा साइलेज

नहीं होगी हरे चारे की कमी

डीएम के अनुमोदन के बाद विभाग कराएगा टेंडर

चंदौली जिले में गो आश्रय स्थलों में संरक्षित गोवंश को सुखे भूसे या पराली पर ही निर्भर नहीं होना पड़ेगा। चारा (भूसे) में अचार (साइलेज) मिलाकर खिलाया जाएगा। प्रति गोवंश रोजाना दो किग्रा अचार खिलाने का मानक निर्धारित किया गया है। जिलाधिकारी से अनुमोदन के बाद पशुपालन विभाग अचार खरीदने की प्रक्रिया पूरी करेगा। इसके खाने से गोवंश की सेहत में सुधार होगी।

आपको बता दें कि विभाग के अनुसार, नए वित्तीय वर्ष 2025-26 की शुरुआत में टेंडर प्रक्रिया पूर्ण करा ली जाएगी। वाराणसी में इस व्यवस्था का क्रियान्वयन आरंभकरा दिया गया। एक वर्ष में 124.5 हजार टन अचार तैयार करने के लिए मक्का, ज्वार, बाजरा, संकर नेपियर घास व अन्य हरे चारे की खरीद होगी। जनपद में 20 गो आश्रय स्थल व तीन कांजी हाउस हैं। यहां 2075 गोवंशों का संरक्षण व संवर्धन हो रहा है। इन सभी को पोषक तत्व पर्याप्त मात्रा में मिल सके, इसलिए शासन ने यह कदम उठाया है।

ऐसे तैयार होता है अचार

अचार (साइलेज) बनाने के लिए चारा फसल की महीन काटकर गड्‌ढे में खूब अच्छी तरह से दवा दवा कर भर दें और समय-समय पर इसमें नमक डालते रहें। नमक एक परिरक्षक का कार्य करता है। जब गड्‌ढा खूब अच्छी तरह से भर जाए तो इसमें ऊपर से हरी घास डाल दें और अंत में मिट्टी से गड्‌ढे को खूब अच्छी तरह से ढक दें। कुछ दिनों में गड्‌ढे के अंदर हवा की अनुपस्थिति में चारे का किण्वन होना शुरू होने लगता है और धीरे-धीरे चारा नीचे की तरफ बैठने लगता है। दो से तीन महीने के भीतर साइलेज बनकर तैयार हो जाती है। तैयार साइलेज से एक विशेष प्रकार की सुगन्ध आती है। अगले तीन चार महीने तक पशुओं को खिला सकते हैं।

अचार खिलाने से लाभ

* साइलेज से सूखे के मौसम में भी गुणवत्तापूर्ण चारे की आपूर्ति होती है।

* साइलेज से हरे चारे की कमी पूरी होती है।

* साइलेज से पशुओं का दुग्ध उत्पादन बढ़ता है।

* साइलेज से पशुओं को साल भर गुणवत्तायुक्त चारा मिलता है।

* साइलेज से खरपतवार फसलों से भी इसका उत्पादन किया जा सकता है।

* साइलेज से बड़े क्षेत्र की फसल को कम जगह में संग्रहित किया जा सकता है।

* साइलेज से पशुओं को हरे चारे की कमी नहीं होती है।

* साइलेज पौष्टिक और सुपाच्य होता है।

* साइलेज में 80 से 90 प्रतिशत तक हरे चारे के बराबर पोषक तत्व संरक्षित रहते हैं।

इस संबंध में नोडल अधिकारी डॉ. जेके चौहान ने बताया कि गो आश्रय स्थल में संरक्षित पशुओं को अचार खिलाने की कार्ययोजना बनी है। जिलाधिकारी से अनुमोदन कराकर टेंडर प्रक्रिया नए वित्तीय वर्ष के शुरू में ही पूरी कर ली जाएगी। अचार से हरे चारे की कमी पूरी होगी। प्रति पशु रोजाना दो किग्रा अचार दिया जाएगा।