घरौंदी मामले में नंबर 1 पीडीडीयू नगर तो सबसे फिसड्डी है चकिया, सदर तहसील में भी अच्छा काम

जिनकी घरौंदी पूर्ण करने के लिए जिलाधिकारी की ओर से सम्बंधित तहसीलों के एसडीएम को ऑनलाइन निर्देश दिए गए थे।
 

घरौंदी मामले में चकिया तहसील फिसड्डी

पीडीडीयू नगर व सदर तहसील अव्वल

DM साहब इन तहसीलों पर दीजिए ध्यान

चंदौली जिले में घरौंदी बनाने में पीडीडीयू नगर व सदर तहसील आगे चल रहा है, जबकि चकिया तहसील इस समय सबसे पीछे है। वहीं नौगढ़ व सकलडीहा तहसील दूसरे व तीसरे स्थान पर है। ऐसा लगता है कि डीएम साहब को इन तीनों तहसीलों पर विशेष ध्यान  देना होगा।

आपको बता दें कि प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी स्वामित्व योजना के तहत आबादी की जमीन पर बने घरों के मालिकाना हक दिखाने के लिए शूरू की गई घरौंदी बनाने में पीडीडीयू नगर व सदर तहसील संयुक्त रूप से अव्वल हैं। जबकि चकिया तहसील जिले में काफी फिसड्डी है। वहीं नौगढ़ व सकलडीहा क्रमशः दूसरे व तीसरे स्थान पर हैं।

 स्वामित्व योजना के तहत  जिले के 1651 राजस्व गांवों में से चकबंदी के गांवों को छोड़कर शेष 1597 गांवों का सर्वे पूरा किया गया। जिनकी घरौंदी पूर्ण करने के लिए जिलाधिकारी की ओर से सम्बंधित तहसीलों के एसडीएम को ऑनलाइन निर्देश दिए गए थे। जिनमें पीडीडीयू नगर तहसील के कुल 185 और सदर तहसील के 377 गांवों की घरौंदी पूरी कर दी गई। जबकि सकलडीहा तहसील के 428 में से एक, नौगढ़ के 132 में से दो और चकिया तहसील के 469 में से तीन गांवों की घरौंदी अपूर्ण है। बचे हुए गांवों की घरौंदी के लिए सम्बंधित अधिकारियों को शीघ्र पूरा करने के निर्देश दिए गए हैं।


कुछ दिन पहले राजस्व परिषद के अध्यक्ष रजनीश दुबे ने जब समीक्षा की तो 13 जिले की घरौनी की कार्यवाही काफी पीछे चल रही थी। जानकारी में पता चला है कि वाराणसी, सहारनपुर, पीलीभीत, श्रावस्ती, अयोध्या, कानपुर नगर, फिरोजाबाद, आगरा, औरैया, सुल्तानपुर, जौनपुर, चंदौली, गोंडा जिले में स्वामित्व योजना की स्थिति काफी खराब पाई गई है। इसलिए जिले के संबंधित अधिकारियों और नोडल अपर जिला अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी करने का फैसला किया गया था।

इस मामले में 124 राजस्व अफसरों को कारण बताओ नोटिस भी जारी किया था। उन्होंने निर्देश दिया कि 30 जून तक काम कर लिया जाए।

 जानिए क्या होती है घरौंदी

दरअसल  गांवों में आबादी का रिकार्ड किसी के पास नहीं है। जबकि कृषि भूमि, ग्रामसभा, बंजर आदि भूमि का रिकार्ड तो राजस्व विभाग के पास होता है। कृषि भूमि का मालिकाना हक दिखाने के लिए खसरा खतौनी बनाई जाती है, लेकिन आबादी में बने घरों का मालिकाना हक के लिए कोई दस्तावेजी प्रमाण नहीं होता। इस योजना के तहत मालिकाना हक मिलने के बाद खतौनी की तर्ज पर घरौनी बनाई गई है। इसके आधार पर ग्रामीण बैंकों से लोन भी प्राप्त कर सकेंगे।


इस सम्बंध में विराग पांडेय ने बताया की ड्रोन सर्वे और भारतीय सर्वेक्षण विभाग के अनुमोदन के बाद घरौंदी बनाने का कार्य पीडीडीयू नगर तहसील में शत प्रतिशत पूरा हो चुका है, जल्द ही इसका वितरण भी कर दिया जाएगा।