पुलिसिंग के साथ-साथ अच्छी डॉक्टरी में भी माहिर हैं IPS डॉ. अनिल कुमार, कानपुर में दिखा चुके हैं जलवा
 

राजस्थान के झुंझनु जिले के अलसीसर निवासी डॉ. अनिल कुमार ने डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज जोधपुर से एमबीबीएस किया है। इसके बाद उन्होंने गुरु तेगबहादुर अस्पताल, नई दिल्ली में प्रैक्टिस भी करके अच्छा अनुभव हासिल कर चुके हैं।
 

चंदौली में आ रहे हैं नए पुलिस कप्तान  डॉ. अनिल कुमार

अपने चिकित्सकीय हुनर का का करते रहते हैं इस्तेमाल

कोरोना की जंग में किए थे कई अच्छे प्रयोग

चंदौली जिले के में आ रहे नए पुलिस कप्तान  डॉ. अनिल कुमार कानपुर में तैनाती के दौरान कोरोना संक्रमण के समय अपनी पुलिसिंग के साथ साथ चिकित्सकीय हुनर का इस्तेमाल करके एक कुशल योद्धा की तरह काम कर चुके हैं। उनकी इसी खासियत को देखते हुए उन्हें कोरोना विंग का प्रभारी बनाया गया था।

 आईपीएस डॉक्टर अनिल कुमार  कानपुर में एसपी पश्चिम पद पर तैनाती के दौरान  अपनी डॉक्टर वाली पहचान खोने नहीं दी। एमबीबीएस होने की वजह से वह अपने अनुभव का लाभ पुलिस के अलावा स्वास्थ्य विभाग को भी देते रहे। उम्मीद है वह चंदौली जिले में कुछ ऐसा करेंगे।

राजस्थान के झुंझनु जिले के अलसीसर निवासी डॉ. अनिल कुमार ने डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज जोधपुर से एमबीबीएस किया है। इसके बाद उन्होंने गुरु तेगबहादुर अस्पताल, नई दिल्ली में प्रैक्टिस भी करके अच्छा अनुभव हासिल कर चुके हैं। इससे उन्हें मेडिकल क्षेत्र का अच्छा खासा अनुभव भी मिला।

आपको बता दें कि सिविल सर्विसेज की परीक्षा पास होने के बाद वर्ष 2016 में वह पुलिस विभाग के साथ जुड़ गए। एमबीबीएस डॉक्टर होने की वजह से ही विभाग में अपनी चिकित्सीय हुनर का उपयोग करते रहते हैं।

कई तरह के कराए थे प्रयोग

1. केंद्र सरकार के पूल टेस्टिंग के लिए मिलने वाली सहमति से पहले ही डॉक्टर अनिल कुमार ने स्थानीय प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग को पूल टेस्टिंग का सुझाव दिया था।

2. कोरोना संक्रमित व्यक्ति व मृतक को लाने और ले जाने के लिए उन्होंने एक यूज एंड थ्रो स्ट्रेचर तैयार किया था। इसे सिर्फ एक बार ही इस्तेमाल किया जा सके। एक स्ट्रेचर की लागत लगभग 600 रुपये होती थी। उन्होंने 10 स्ट्रेचर तैयार कराकर मेडिकल कॉलेज को दिए और दावा किया कि इससे संक्रमण को भी रोका जा सकेगा।

3. पुलिस विभाग को संक्रमण से बचाने के लिए उन्होंने पूरे विभाग को हाइड्रोक्सी क्लोरोक्विन दवा का कोर्स कराने का फैसला लिया था। पुलिस विभाग ने मलेरिया के इलाज में आने वाले इस दवा की खरीदारी की और उनका सुझाव मानकर लाभ पाया।

4. हॉटस्पॉट इलाकों में काम कर रहे पुलिस कर्मियों को सैनिटाइजिंग किट, जिसमें मास्क, ग्लब्स, सैनिटाइजर एवं अन्य सामान शामिल होने का भी उपयोगी प्रस्ताव दिया था।

5. पुलिस विभाग के सभी कार्यालय, आवास और पुलिस लाइन को रोजाना सैनिटाइज करने की व्यवस्था भी एसपी पश्चिम ने करवाई ताकि सिपाहियों और उनके परिवार को बचाया जा सके। साथ ही सिपाहियों को भी क्वारंटाइन कराने का प्रस्ताव भी इनका ही था।