खिलची गांव में किसान विकास मंच की जन चौपाल, मुआवजे और धान खरीद को लेकर फूटा किसानों का गुस्सा
चंदौली के शहाबगंज में किसानों ने जन चौपाल लगाकर अपनी व्यथा सुनाई। बाढ़, तूफान और खराब बीज के कारण बर्बाद हुई फसलों का मुआवजा न मिलने और बिचौलियों के हाथों धान बेचने की मजबूरी ने अन्नदाता को सड़क पर उतरने को मजबूर कर दिया है।
खिलची गांव में किसान चौपाल में चर्चा
खराब बीज से फसल बर्बादी की शिकायत
मुआवजा न मिलने पर किसानों की नाराजगी
बिचौलियों को धान बेचने की मजबूरी से परेशान
जिलाधिकारी कार्यालय पर बड़े प्रदर्शन की चेतावनी
चंदौली जिले के अंतर्गत शहाबगंज विकासखंड के खिलची गांव में शुक्रवार को किसान विकास मंच के बैनर तले एक महत्वपूर्ण जन चौपाल का आयोजन किया गया। इस बैठक में क्षेत्र के किसानों ने अपनी उन गंभीर समस्याओं को साझा किया, जो उनकी आजीविका के लिए संकट बनी हुई हैं। किसानों ने सामूहिक रूप से बताया कि इस वर्ष कुदरत के कहर ने उनकी मेहनत पर पानी फेर दिया है। खेतों में अत्यधिक नमी होने के कारण रबी की फसलों की बुआई का समय निकलता जा रहा है, जिससे आगामी सीजन में भी भारी नुकसान की आशंका प्रबल हो गई है।
एक के बाद एक संकट से किसान परेशानी
चौपाल के दौरान किसानों ने अपना दुख साझा करते हुए कहा कि इस बार खेती पर चौतरफा हमला हुआ है। पहले बाढ़ और तूफान ने फसलों को नुकसान पहुंचाया और फिर रही-सही कसर 'सैनिक कीट' के प्रकोप ने पूरी कर दी। इन प्राकृतिक आपदाओं के कारण धान की पैदावार पिछले वर्षों की तुलना में आधी से भी कम रह गई है। विडंबना यह है कि फसल की लागत में लगातार बढ़ोतरी हो रही है, लेकिन उत्पादन घटने से किसान गहरे आर्थिक संकट और कर्ज के जाल में फंसता जा रहा है। किसानों का आरोप है कि उन्हें हर स्तर पर उपेक्षा का सामना करना पड़ रहा है।
धान खरीद में धांधली और बीज कंपनियों की धोखाधड़ी
किसानों ने प्रशासन और बीज कंपनियों के खिलाफ कड़ा रोष व्यक्त किया है। आरोप है कि धान क्रय केंद्रों की संख्या कम होने के कारण किसानों को अपनी उपज समर्थन मूल्य से 200 से 250 रुपये प्रति क्विंटल सस्ते दाम पर बिचौलियों को बेचने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। इसके अलावा, संगठन मंत्री रामअवध सिंह ने खेतों का निरीक्षण कर बताया कि बीएन सीड कंपनी के विशेष धान (MTU-1318) की किस्म में लगभग 75 प्रतिशत दाने खाली यानी 'पयिया' निकले हैं। जागरूक कार्यकर्ता राजेंद्र दुबे ने कहा कि खराब बीज के कारण किसान पूरी तरह बर्बाद हो गए हैं, लेकिन जिला प्रशासन और संबंधित कंपनियां इस ओर ध्यान देने को तैयार नहीं हैं।
आंदोलन की चेतावनी और भविष्य की रणनीति
राजस्व विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए किसानों ने कहा कि मोथा तूफान के बाद कई क्षेत्रों में लेखपालों ने फसलों का सर्वे तक नहीं किया, जिसके कारण पात्र किसान मुआवजे से वंचित रह गए हैं। किसानों ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि यदि जल्द ही उनकी मांगों पर विचार नहीं किया गया और उचित मुआवजा नहीं मिला, तो वे उग्र आंदोलन के लिए बाध्य होंगे।
इसीलिए आगामी किसान दिवस पर चौधरी चरण सिंह जयंती के अवसर पर बड़ी संख्या में किसान जिलाधिकारी कार्यालय का घेराव करेंगे और अपनी मांगों को जोरदार ढंग से रखेंगे। इस अवसर पर रामभरत सिंह, राजेंद्र द्विवेदी, विनोद कुमार और प्रदीप सिंह सहित दर्जनों किसान मौजूद रहे।