नौगढ़ इलाके में बढ़ रहा है बंदरों का आतंक, कुत्तों से ज्यादा आ रहे बंदर काटने के मरीज    ​​​​​​​

नौगढ़ क्षेत्र में बंदरों का उत्पात इतना बढ़ गया है कि अब लोगों का छत पर निकलना ही मुश्किल हो गया है। बंदर खाने-पीने की वस्तुएं जबरन छीनकर भाग जा रहे हैं।
 

इस कदर फैला बंदरों का आतंक की भयभीत होकर जीने को मजबूर हैं ग्रामीण

कई लोगों को काट चुके हैं बंदर

 इसके बाद भी मौन साधे बैठी है वन विभाग की टीम

चंदौली जिले के नौगढ़ क्षेत्र में बंदरों का उत्पात इतना बढ़ गया है कि अब लोगों का छत पर निकलना ही मुश्किल हो गया है। बंदर खाने-पीने की वस्तुएं जबरन छीनकर भाग जा रहे हैं। इसके लिए ग्रामीणों ने कई बार वन विभाग में भी शिकायत की, लेकिन वन विभाग की तरफ से कोई कार्रवाई नहीं की गई, जिसका नतीजा यह है कि इनके आतंक से लोग भयभीत हो गए हैं।

आपको बता दें कि कस्बा क्षेत्र की मंदबुद्धि मुस्कान को बंदरों ने घेरकर कई जगह काट कर जख्मी कर दिया था। वहीं कस्बे के ही मनोज केशरी की पत्नी सीमा को छत पर बंदरों ने दौड़ाया की सीढ़ियों से गिर गई और उसका पैर फैक्चर हो गया था। अनुसूचित बस्ती में काली माता के पास बच्चे खेल रहे थे कि संजय की पुत्री निशा को बंदरों ने घेर कर काट लिया था जिसे परिवार जनों ने सीएचसी में भर्ती कराया था। नौगढ़ कस्बे के विश्वनाथ केसरी के गाय को बंदरों ने झुंड बनाकर बुरी तरह काट कर जख्मी कर दिया था। एक सप्ताह के अंदर ही गाय की मृत्यु हो गई थी। 

जानकारी के अनुसार विकास क्षेत्र के वाघी, सेमरा कुसही, मलेवर, अमृतपुर, बोदलपुर, गंगापुर, नरकटी, अमदहा, चिकनी, पढ़ौती, गहिला, मगरही, जमसोत, होरिला, पथरौर, देवखत, रिठिया, डुमरिया में बंदरों का उत्पात काफी बढ़ गया है। क्षेत्र के मुकुंद लाल, संतोष, पंकज मद्धेशिया, दीपक गुप्ता, पारसनाथ खरवार, विजय पांडेय, देवेंद्र साहनी, रतन केशरी ने बताया कि एक बार नौगढ़ वन क्षेत्राधिकारी ने पिंजरा लगाया तो 12 बंदर ही पकड़े गए थे, लेकिन अब बंदरों की संख्या 200 से पार हो गई है।

इस संबंध में वन क्षेत्र अधिकारी संजय श्रीवास्तव का कहना है कि बंदरों की संख्या काफी बढ़ गई है। बंदरों को पकड़ने के लिए पिंजरा वगैरहा उपलब्ध करा दिया जाएगा। अगर ग्रामीण सहयोग करें तो कुछ बंदर पकड़े जा सकते हैं। लेकिन पूरे बंदर नहीं पकड़े जा सकते।

इस संबंध में चिकित्सा अधीक्षक अवधेश पटेल का कहना है कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में एंटी रैबीज की सबसे ज्यादा डोज बंदर के काटने से हुए जख्मी लोगों में प्रयोग किया जा रहा है। कुत्तों के काटने से कम बंदरों के काटने से जख्मी लोग क्षेत्र से ज्यादा आ रहे हैं।