मोंथा चक्रवात की मार से चंदौली के किसान परेशान, 3 दिन की आफत भरी बारिश ने मेहनत पर फेरा पानी, करोड़ों की धान की फसल बर्बाद
बंगाल की खाड़ी में उठे 'मोंथा' चक्रवात ने तोड़ी अन्नदाताओं की कमर
लगातार बारिश से धान-बाजरा और सब्जी फसलें सड़ने के कगार पर
शासन-प्रशासन से सर्वे कराकर तत्काल मुआवजे की मांग
चंदौली जिले में पिछले तीन दिनों से मौसम का मिजाज पूरी तरह बिगड़ा हुआ है। बंगाल की खाड़ी में उठे 'मोंथा' चक्रवात और अरब सागर में सक्रिय हुए पोस्ट मानसून की संयुक्त गतिविधियों के कारण जिले भर में रुक-रुक कर तेज और हल्की बारिश का सिलसिला दिन-रात जारी है। इस आकस्मिक चक्रवाती बारिश और तेज हवाओं ने किसानों की कमर तोड़ दी है, जिससे खेतों में लगी धान, बाजरा और साग-सब्जियों की फसलें बुरी तरह प्रभावित हुई हैं और बड़े नुकसान की आशंका है।
लगातार हो रही रिमझिम बारिश के चलते जहां जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है, वहीं ठंडी का असर भी बढ़ गया है। गुरुवार की रात और शुक्रवार को दिनभर रुक-रुक कर हुई बारिश के कारण नगरीय इलाकों में जलभराव और जीटी रोड पर कीचड़ फैलने से लोगों को चलने में भारी परेशानी का सामना करना पड़ा है। मौसम विज्ञानी प्रो. एनएन पांडेय ने बताया कि अधिकतम तापमान 26 डिग्री और न्यूनतम तापमान 23 डिग्री दर्ज किया गया है। आसमान में बादल छाए रहने से तापमान में यह गिरावट आई है। यह खराब मौसम अगले दो दिनों तक इसी तरह बना रहने का अनुमान है।
धान की फसल पर दोहरी मार
बारिश और तेज हवाओं का सबसे बुरा असर धान की फसल पर पड़ा है। खेतों में खड़ी धान की फसलें कई जगहों पर गिर गई हैं, जिससे कटाई करना बेहद मुश्किल हो गया है। केवल खड़ी फसल ही नहीं, बल्कि जिन किसानों ने अगेती धान की फसल पकने के बाद काटकर खेतों में छोड़ दी थी, वह भी पानी में डूबकर अब सड़ने के कगार पर पहुंच गई है।
शहाबगंज क्षेत्र के प्रतिनिधि के अनुसार, तेज हवाओं के साथ हुई चक्रवाती बारिश ने किसानों की मेहनत पर पानी फेर दिया है। अगैती धान की फसलें कटाई के लिए तैयार थीं, और नाटी मंसूरी की बालियां भी निकल चुकी थीं। टांडा कला क्षेत्र में भी बाजरे की काटी गई फसलें लगातार बारिश के कारण सड़ने लगी हैं, जिन्हें अभी खेतों से उठाया नहीं जा सका है।
किसानों का कहना है कि धान की पैदावार बुरी तरह प्रभावित हो रही है। किसान राजन सिंह के अनुसार, मौसम की इस मार से धान की उपज में 30 से 40 प्रतिशत तक की भारी कमी आ सकती है। वहीं, शुरूआती आकलन के अनुसार, करीब दस फीसदी फसल के क्षतिग्रस्त होने की आशंका जताई जा रही है। किसान नेता सतीश सिंह चौहान ने बताया कि कुछ समय पहले भी भारी बरसात के कारण धान की फसल डूब गई थी, और अब इस चक्रवाती बारिश से फसलें गिरना शुरू हो गई हैं, जिसका सीधा असर पैदावार पर पड़ेगा।
सकलडीहा विकास खंड के दर्जनों गांवों, जिनमें ईटया, बलारपुर, नागेपुर, टिमिलपुर, बथावर, खड़ेहरा, धरहरा, विशुनपुर, गोहदा, नईबाजार, तुलसीआश्रम, दुर्गापुर, पपौरा, सरेहुआ, रूपेठा, चकरिया, और बहबलपुर शामिल हैं, वहां धान की खड़ी फसलें लोट गई हैं, जिससे किसान अत्यधिक चिंतित हैं।
सब्जी उत्पादकों की मायूसी और कर्ज का बोझ
चक्रवात 'मोंथा' ने केवल धान को ही नहीं, बल्कि साग-सब्जियों की फसलों को भी भारी नुकसान पहुंचाया है। मौसम में अचानक आए इस बदलाव और अत्यधिक नमी के कारण सब्जी की फसलें सड़ने लगी हैं। टमाटर, भिंडी, बैंगन, पालक, धनिया और आलू जैसी सब्जियां विशेष रूप से प्रभावित हुई हैं। किसानों के चेहरे पर मायूसी छा गई है, क्योंकि उनकी पूरी मेहनत बर्बाद हो गई है।
धीना क्षेत्र जो कृषि बाहुल्य क्षेत्र माना जाता है, जहां लगभग 80 प्रतिशत आबादी कृषि कार्यों पर निर्भर है, वहां किसानों को सबसे बड़ी आर्थिक चोट लगी है। कई किसानों ने अपनी फसल तैयार करने के लिए किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) के माध्यम से बैंक से कर्ज लिया था। किसान राजेश सिंह, रतन सिंह, और अखिलेश सिंह ने बताया कि वे हर साल केसीसी से कर्ज लेते हैं और फसल बेचकर ऋण चुकाते हैं, लेकिन इस बार की बेमौसम बरसात ने उनकी कमर तोड़ दी है और वे अब ऋण चुकाने को लेकर बेहद परेशान हैं। किसान नेता रामअवतार सिंह, राजाराम यादव और नन्दलाल शर्मा ने सरकार से आग्रह किया है कि वह किसानों के इस वित्तीय संकट पर ध्यान दे।
किसानों की सामूहिक मांग: सर्वे और मुआवजा
भारी नुकसान झेल रहे किसानों ने अब शासन-प्रशासन से तत्काल सहायता की मांग की है। सकलडीहा, शहाबगंज, टांडा कला और धीना सहित पूरे जिले के किसान नेता और प्रभावित किसान सामूहिक रूप से फसलों का मुआयना (सर्वे) कराकर नुकसान की भरपाई के लिए मुआवजा दिलाने की मांग कर रहे हैं।
किसान नेता रामअवतार सिंह, राजाराम यादव, नन्दलाल शर्मा ने सरकार का ध्यान इस ओर आकृष्ट करवाते हुए 'दैविक आपदा राहत कोष' से फसलों का आकलन करवाकर किसानों को सहायता राशि दिलाने की मांग की है, ताकि उन्हें फसलों की लागत मिल सके। टांडा कला क्षेत्र के किसान मुन्ना सिंह, रामअवतार, रामप्रवेश, उपेन्द्र, हलचल, सुबाष, और सदानन्द ने चिंता व्यक्त की है कि यदि यह हालात एक-दो दिन और जारी रहे, तो किसानों को भारी नुकसान झेलना पड़ेगा। किसान नेता अरविंद, देवीलाल, मुसाफिर यादव, राद् यादव, आनंद पांडेय, अजय सिंह, और बबलू सिंह सहित सकलडीहा के अन्य किसानों ने भी जिला प्रशासन से नुकसान हुए फसलों का आकलन कर मुआवजा दिलाने की मांग की है।
फसल बीमा धारकों के लिए आवश्यक निर्देश
जिन किसानों ने खरीफ सीजन की अपनी फसलों का प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) के तहत बीमा कराया है, उनके लिए कृषि विभाग ने महत्वपूर्ण निर्देश जारी किए हैं। उप निदेशक कृषि भीमसेन ने बताया कि आकस्मिक बारिश और तेज हवाओं से फसल नुकसान की आशंका को देखते हुए, बीमा धारक किसान टोल फ्री नम्बर 14447 पर कॉल करके अपनी फसल नुकसान की शिकायत दर्ज करा सकते हैं।
शिकायत दर्ज कराने के लिए समय सीमा का ध्यान रखना अत्यंत आवश्यक है। उप निदेशक कृषि ने स्पष्ट किया कि फसल नुकसान होने के 72 घंटे के अन्दर शिकायत करना अनिवार्य होता है। इस योजना में प्रतिकूल मौसमीय स्थितियों से अधिसूचित फसलों जैसे धान, बाजरा, ज्वार, अरहर को प्राकृतिक आपदाओं, रोगों, कीटों से क्षति, ओलावृष्टि, जलभराव (waterlogging), बादल फटना, भूस्खलन, और बिजली गिरने से हुई क्षति कवर होती है। इसके अलावा, फसल कटाई के बाद अगले 15 दिन की अवधि तक खेत में सुखाई के लिए रखी हुई फसल को भी ओलावृष्टि आदि जोखिमों से कवर किया गया है।