वोटरों की 'राजनीति' व बिरादरी की पंचायत से हार-जीत के ऐसे बने हैं समीकरण
 

तीनों विधायकों क्रमशः सैयदराजा विधायक सुशील सिंह, मुगलसराय विधायक रमेश जायसवाल व चकिया विधायक कैलाश आचार्य ने दावेदारों को टिकट दिलवाने में भी पर्दे के पीछे से सपोर्ट किया था और सहमति दी थी, तभी वह सारे घोड़े खोलकर दिनरात एक करके प्रचार कर रहे हैं।
 

सांसदों व विधायकों की जुड़ी है प्रतिष्ठा

भाजपा को चकिया में है फायदा

सैयदराजा में नाम बदलने का दिखेगा असर

चंदौली में आप की मजबूती से बाकी दलों को नुकसान

बजट लाने का लालीपॉप दिला सकता है बड़ी जीत....

जानिए कैसा है चर्चाओं का बाजार

चन्दौली जनपद के 3 नगर पंचायत व एक नगरपालिका परिषद के नगर निकाय चुनाव 2023 में एक केंद्रीय मंत्री के साथ साथ एक राज्यसभा सांसद सहित तीन भाजपा विद्यायकों की प्रतिष्ठा दांव पर है, क्योंकि इन नेताओं ने केवल प्रचारक की तरह नहीं, बल्कि कंडीडेट की तरह जीतने के लिए प्रचार के साथ साथ सेटिंग व मीटिंग भी की, ताकि इलाके में भाजपा का परचम लहराया जा सके। लेकिन इतना सब कुछ होने के बाद भी कई लोगों की धकधकी लगी हुयी है। जनपद के चारों निकाय में अध्यक्ष व सभासद के लिए कुल 379 प्रत्याशियों के भाग्य मतदान के बाद बैलेट बॉक्स में बंद हो चुके हैं। अब देखना है कि किस किसकी प्रतिष्ठा बचती है और किसके साथ वोटर 'राजनीति' कर इंतजार करने का संदेश देते हैं।

विदित हो कि जनपद में सैयदराजा, चन्दौली व चकिया में नगर पंचायत व पंडित दीनदयाल उपाध्याय नगर पालिका परिषद का चुनाव हो गया है। इन सीटों के लिए मतदान के पहले चरण अर्थात 4 मई को वोटिंग हुई है। चन्दौली लोकसभा क्षेत्र के सांसद केंद्रीय मंत्री महेंद्र नाथ पांडेय, राज्यसभा सांसद दर्शना सिंह व चन्दौली-चकिया-मुगलसराय-सैयदराजा क्षेत्र में बीजेपी के तीनों विधायकों क्रमशः सैयदराजा विधायक सुशील सिंह, मुगलसराय विधायक रमेश जायसवाल व चकिया विधायक कैलाश आचार्य ने अपने अपने क्षेत्रों के प्रत्याशियों के समर्थन में पूरी ताकत झोंक रखी थी। उनको लग रहा थी कि वह अतिरिक्त जोर व अपने रुतबे का इस्तेमाल नहीं करेंगे तो भाजपा के कंडीडेट अपने दम पर चुनाव जीत नहीं पाएगा, क्योंकि पिछले 5 साल में भाजपा के लोगों ने जो किया है, उसके दम पर तो सीट निकलने से रही। 

तीनों विधायकों क्रमशः सैयदराजा विधायक सुशील सिंह, मुगलसराय विधायक रमेश जायसवाल व चकिया विधायक कैलाश आचार्य ने दावेदारों को टिकट दिलवाने में भी पर्दे के पीछे से सपोर्ट किया था और सहमति दी थी, तभी वह सारे घोड़े खोलकर दिनरात एक करके प्रचार कर रहे हैं। बिरादरी के लोगों को समझाने बुझाने के साथ साथ बाकी लोगों को एडजस्ट करने व सरकार से लाभ दिलाने का लालीपॉप दे रहे थे। इतना ही नहीं सांसद व  विधायकों ने तो अपनी बिरादरी व खासमखास सपोर्टरों से पिछली गलतियों के लिए हाथ जोड़कर माफी मांगी व आगे से हर संभव मदद का पक्का आश्वासन दिया, तब जाकर कुछ लोगों ने भाजपा को वोट देने की बात कही, लेकिन हकीकत में कितना असर हुआ है, वह 13 मई को मतपेटी खुलने के बाद पता चलेगा। लेकिन भाजपा के ही लोगों के जीतने पर इलाके के विकास के लिए अतिरिक्त विकास का बजट मिलेगा, बाकी की तो 5 साल केवल जांच ही होगी..यह संदेश भी कारगर साबित हुआ है, जिससे लोग भाजपा को न चाहते हुए वोट दिए हैं।

 वहीं पंडित दीनदयाल उपाध्याय नगरपालिका परिषद के चुनाव में बीजेपी के लिये प्रतिष्ठा का प्रश्न है। अगर जीत मिली तो जीत की हैट्रिक होगी। नगरपालिका परिषद पंडित दीनदयाल उपाध्याय नगर में हैट्रिक लगाने के लिए विधायक ने विरोधी दल के प्रचारकों से आचार संहिता के उल्लंघन करते हुए पंगा भी लिया। मुगलसराय में चर्चाओं के मुताबिक इस बार चुनाव में चार प्रमुख दलों बीजेपी, सपा, बसपा और कांग्रेस के साथ साथ निर्दल प्रत्याशी के रूप में अपनी किस्मत आजमा रही एक किन्नर के मैदान में आने मुकाबला कांटेदार है। साथ ही इसका परिणाम भी काफी दिलचस्प होने वाला है। वहीं विरोधी दलों पर पुलिस व प्रशासन की ज्यादती भी एक संदेश दे रही है, कि आखिर इस तरह की नौबत क्यों आयी है।

चंदौली जिला मुख्यालय पर मतदान के दिन दूसरे गांवों से वोटर लाकर भाजपा के पक्ष में वोट डालने व कई बूथों पर हंगामा व मारपीट की खबरें व वीडियो खूब वायरल हुए, तो पुलिस और प्रशासन ने थोड़ी बहुत कार्रवाई करने की जहमत उठायी, लेकिन खुलेआम कई बूथों व इलाकों में फर्जी वोटिंग की शिकायत को नजरंदाज करते देखा गया। वहीं आप की महिला उम्मीदवार ने चुनाव वाले दिन अपना अलग अंदाज दिखाया। वहीं व्यापारी वर्ग भी मतदान के पहले तीन खेमों में बंट गया। बाकी बिरादरी के वोट तो केवल दूसरे को हराने के लिए पड़े हैं। ऐसे में कई नेताओं का व्यक्तिगत व्यवहार मतदान के परिणाम को बदलने वाला साबित होगा। वह पक्ष में भी जा सकता है और चुनाव हरा भी सकता है, क्योंकि चुनाव में पहले दूसरे नंबर पर लड़ दो उम्मीदवारों के कार्यों व कारनामों की अफवाहें भी खूब फैलीं थीं। फिर भी मामला कांटेदार है। सबकी नजर पूर्व चेयरमैन व पूर्व चेयरमैन पति के वोटों की गोलबंदी पर टिकी हैं। अगर यह दाव चला होगा तो भाजपा के लिए मुश्किल है, वर्ना सांसद जी ने तो दो दिनों में भाजपा के लिए गणित सेट ही कर दी है।

चकिया नगर पंचायत में भी चंदौली की ही तरह दो पूर्व नगर पंचायत अध्यक्ष के कार्यकाल के साथ साथ व्यक्तिगत व्यवहार पर वोट पड़ा है। बस यहां जिले की तीन सीटों की तरह पिछले कार्यकाल वाली नाराजगी भाजपा के साथ न होकर मीरा जायसवाल के साथ थी, क्योंकि उनके पति चेयरमैन का पिछला चुनाव सारे दलों को हराकर जीते थे, लेकिन कार्यकाल पूरा होने के पहले उनकी बीमारी के चलते मौत हो गयी, तो यहां का काम प्रशासक चलाते रहे। इसलिए नाराजगी से अधिक उनके पक्ष में सहानुभूति भी है। वहीं रवि प्रकाश चौबे भी सपा व भाजपा के वोटों में सेंध लगाकर मुकाबले को त्रिकोणीय बना चुके हैं। भाजपा के पक्ष में भी विकास का तीसरा इंजन लगाने का फार्मूला सही बैठा है। अगर बनिया बिरादरी के वोट भाजपा के पक्ष में आए तो गौरव की लॉटरी लग सकती है और उनका एक भी चुनाव न हारने का रिकॉर्ड कायम रह सकता है। 


उत्तर प्रदेश बिहार के बॉर्डर वाली सैयदराजा नगर पंचायत के चुनाव में सांसदजी ने बड़ी मुश्किल से आधे घंटे का समय दिया तो विधायक सुशील सिंह ने सैयदराजा में उनके सारथी बने व बाजार का चक्कर लगवा दिया। साथ ही शाम को सैयदराजा का नाम भी बदलने का ऐलान करके एक बड़ा दांव चला, जिसका असर मतदान के पहले रात में ही दिखने लगा। इस नाम बदलने की राजनीति को लोगों ने पॉजिटिव निगेटिव दोनों अर्थों में लिया है। साथ ही मामला हिंदू-मुसलमान भी बनाने की कोशिश हुयी है। वोट के प्रतिशत व भीड़ के अंदाज से खुद कई दिग्गज दुविधा में हैं, लेकिन विधायक सुशील सिंह व उनके समर्थक एकतरफा जीत का ऐलान कर चुके हैं। वहीं विरोधी जीतने के लिए फर्जी वोटिंग कराने के आरोप लगाकर हंगामा भी किया, लेकिन प्रशासन ने लाठियां भाजकर विरोधियों को खेदड़ दिया और किसी की शिकायत पर कोई बड़ा एक्शन नहीं लिया। इसीलिए मुगलसराय व चंदौली में तो गिरफ्तारी व बवाल में पकड़े जाने के मामले आए लेकिन सैयदराजा में गड़बड़ी मिलने पर भी नेताजी के खौफ से जोरदार आवाज उठाने की जहमत किसी भी प्रत्याशी ने नहीं उठायी, क्योंकि वह चुनाव हारें या जीतें..5 साल रहना तो सैयदराजा में ही है..और उनसे पंगा लेकर धंधा पानी करना आसान काम नहीं है।