CDO साहब... 2-4 दिन जल के फिर से बुझ गयीं नेशनल हाइवे की लाइटें, कौन है असली गुनहगार

ग्रामीणों ने विभाग की इस लापरवाही पर कड़ी नाराजगी व्यक्त की है। उनका कहना है कि CDO साहब के स्पष्ट निर्देश के बाद यह अपेक्षा थी कि हाईवे का पूरा विद्युत तंत्र सुचारु कर दिया जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
 

समीक्षा बैठक का नहीं दिखा जिले के अधिकारियों पर असर

CDO साहब के आदेश को नेशनल हाईवे के अधिकारी लगा रहे हैं पलीता

त्योहारों का मौसम आते ही उचक्कों और चोरों की बढ़ जाती सक्रियता

दिवाली के समय पूरा हाइवे अंधेरे में रहा डूबा

चंदौली जिले में नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) और उसके विद्युत विभाग की कार्यशैली एक बार फिर सवालों के घेरे में आ गई है। कुछ दिन पहले ही जिला विकास अधिकारी (CDO) ने समीक्षा बैठक में स्पष्ट निर्देश दिया था कि हाईवे के डिवाइडर और पुलिया पर लगी सभी स्ट्रीट लाइटों को तत्काल चालू कराया जाए, ताकि रात में दुर्घटनाओं को रोका जा सके और राहगीरों की परेशानी कम हो। लेकिन अफ़सोस, अधिकारी के आदेशों को दरकिनार करते हुए विभाग की घोर लापरवाही उजागर हुई है।

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अलीनगर थाना क्षेत्र के लौंदा गाँव के पास स्थित नेशनल हाईवे पर कई दिनों से स्ट्रीट लाइटें बंद पड़ी हैं। शाम होते ही पूरा इलाका घने अंधेरे में डूब जाता है, जिससे वाहन चालकों और स्थानीय राहगीरों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

दुर्घटना और अपराध का बढ़ा ख़तरा
स्थानीय निवासियों का कहना है कि त्योहारों का मौसम शुरू होते ही हाईवे पर इस तरह का अंधेरा चोरी, छिनैती और सड़क हादसों की संभावनाओं को बढ़ा देता है। रात के समय हाईवे से गुजरने वाले वाहन चालकों को सामने से आ रहे वाहनों की तेज़ हेडलाइट की चमक के कारण सड़क का ठीक से दिखना मुश्किल हो जाता है, जिससे कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है।

ग्रामीणों ने विभाग की इस लापरवाही पर कड़ी नाराजगी व्यक्त की है। उनका कहना है कि CDO साहब के स्पष्ट निर्देश के बाद यह अपेक्षा थी कि हाईवे का पूरा विद्युत तंत्र सुचारु कर दिया जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

अधिकारी टाल रहे जिम्मेदारी
सूत्रों के अनुसार, इस गंभीर मामले को लेकर विभाग के जिम्मेदार अधिकारी एक-दूसरे पर जिम्मेदारी टाल रहे हैं। प्रशासन के शीर्ष निर्देश के बावजूद विभाग की यह निष्क्रियता बेहद चिंताजनक है। स्थानीय निवासियों ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द ही स्ट्रीट लाइटों की व्यवस्था में सुधार नहीं किया गया, तो वे अपने और अन्य राहगीरों की सुरक्षा के लिए आंदोलन के लिए सड़क पर उतरने को मजबूर होंगे।

अब देखना यह है कि जिला प्रशासन इस गंभीर लापरवाही पर क्या कार्रवाई करता है, या फिर यह मामला भी केवल सरकारी फाइलों में दबकर रह जाएगा, जबकि हर रात हाईवे पर दुर्घटना का खतरा बना हुआ है।