अब आसानी से नहीं बनेगा डीएल, पहले लेनी होगी गाड़ी चलाने की ट्रेनिंग    

चंदौली जिले में परिवहन विभाग की ओर से जारी स्वचालित ड्राइविंग टेस्टिंग ट्रैक बनाने के लिए जिले में चार लोगों ने आवेदन किया है। विभाग उनके भूलेख और दस्तावेजों की जांच कर रहा।
 

प्रशिक्षित लोगों के ही बनेंगे ड्राइविंग लाइसेंस

कैमरा और सेंसर से लैस स्वचालित ड्राइविंग टेस्टिंग ट्रैक पर होगा टेस्ट

नए तरीके से नौसिखियों का डीएल बनना होगा मुश्किल

चंदौली जिले में परिवहन विभाग की ओर से जारी स्वचालित ड्राइविंग टेस्टिंग ट्रैक बनाने के लिए जिले में चार लोगों ने आवेदन किया है। विभाग उनके भूलेख और दस्तावेजों की जांच कर रहा। इसके बाद शीघ्र ही एक आवेदक के माध्यम से जनपद में कैमरा और सेंसर से लैस स्वचालित ड्राइविंग टेस्टिंग ट्रैक का संचालन शुरू हो जाएगा। इस व्यवस्था से प्रशिक्षित होने पर ही अब चालक का ड्राइविंग लाइसेंस मिलेगा। इसके लिए विभाग ने कवायद तेज कर दी है।

अभी तक एआरटीओ कार्यालय परिसर में लाइसेंस बनवाने वाले चालकों का मैनुअल टेस्ट होता है। वहीं कई अप्रशिक्षित लोगों के भी लाइसेंस बन जाते हैं। ये कई बार दुर्घटना का कारण बनते हैं ।परिवहन मुख्यालय ने स्वचालित ड्राइविंग टेस्टिंग ट्रैक बनवाने का निर्देश दिया था। इसके तहत तीन सेंटर प्रस्तावित है, लेकिन फिलहाल एक सेंटर ही बनेगा। ट्रैक बनाने से लेकर उसके संचालन की जिम्मेदारी निजी कंपनी या फर्म को करनी है। विभाग ने इसके लिए यातायात से जुड़े व्यवसायियों व फर्मों से आवेदन मांगे थे। लोगों ने आवेदन किए हैं। उनके दस्तावेज की जांच चल रही है।

इसके बाद ड्राइविंग टेस्टिंग ट्रैक बनाने का का शुरू होगा। ट्रैक पर कई एडवांस टेक्नोलाजी का इस्तेमाल होगा। इसमें एक्सेस कंट्रोल, एंट्री कंट्रोल, पूरी तरह से स्वचालित ट्रैक वीडियो टेक्नोलाजी, एग्जिट कारिडोर सहित तकनीकि के उपकरण शामिल होंगे। स्वचालित ट्रैक पर कर्मचारियों या फर्म को करनी है। स्वचालित ट्रैक पर कर्मचारियों का कोई हस्तेक्षप नहीं होगा। ट्रैक को कैमरे और सेंसर पूरी तरह से संचालित करेंगे। इसमें चालक की जरा सी भी गलती होने पर सेंसर और कैमरे पकड़ लेंगे।