हर साल नया बहाना : इस साल भी पहले दिन सभी बच्चों को किताबें देने में फेल रहा शिक्षा विभाग

परिषदीय स्कूलों में वितरित होने वाली नि: शुल्क पाठ्य पुस्तकों का संकट खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा है। हर साल की तरह इस साल भी कई कक्षाओं की नयी किताबें समय पर न मिलने की समस्या बरकरार है
 

आज से सत्र हो गया है शुरू, नहीं आईं तीन तक की पुस्तकें

 बिना किताबों के पढ़ाई करने को विवश होंगे विद्यार्थी

हर साल विभाग के पास रहता है नया बहाना

पुरानी गलतियों से नहीं लेते हैं सबक 

 

चंदौली जिले में परिषदीय स्कूलों में वितरित होने वाली नि: शुल्क पाठ्य पुस्तकों का संकट खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा है। हर साल की तरह इस साल भी कई कक्षाओं की नयी किताबें समय पर न मिलने की समस्या बरकरार है, जिससे बच्चों को या तो बिना किताब के पढ़ाई शुरू करनी होगी या पुरानी किताबों से काम चलाना होगा।


मंगलवार से शैक्षणिक सत्र 2025-26 आरंभ हो जाएगा। लेकिन, कक्षा तीन तक की किताबें फिलहाल नहीं आई हैं। सत्र की शुरुआत में इन कक्षाओं के नौनिहालों को बिना किताब या पुरानी पुस्तकों से ही पढ़ाई करनी होगी।


 बीते सत्र में भी कक्षा एक-दो की पुस्तकें नहीं आई थीं। इस बार तो तीसरी कक्षा की भी आपूर्ति नहीं हुई है। विभाग के अनुसार, इन कक्षाओं की पुस्तकों के बावत शासन ने क्रयादेश जारी करने का निर्देश दिया है। अभी इन कक्षाओं की पुस्तकों की आपूर्ति होने में समय लगेगा। 


विद्यालयों में 1.87 लाख से अधिक विद्यार्थी पंजीकृत हैं। इनमें से 738 स्कूलों में पहली से तीसरी कक्षा तक के 63 हजार 203 बच्चे नामांकित हैं। कुल पंजीकृत छात्र-छात्राओं के सापेक्ष इनकी संख्या लगभग 34 प्रतिशत है। वहीं, चार से आठवीं कक्षा तक के एक लाख 24 हजार 174 बच्चों के लिए 95 प्रतिशत पुस्तकों की अभी तक आपूर्ति हो चुकी है। 


कान्वेंट स्कूलों की तर्ज पर कई परिषदीय विद्यालयों में सुविधाएं, संसाधन व भवन तैयार किया गया है। इसके लिए इसी वर्ष कंपोजिट ग्रांट से छह करोड़ रुपये में विभिन्न कार्य व जरूरी सामग्री की खरीद हुई है। पोएमश्री योजना में 20 स्कूलों का चयन कर उन्हें बुनियादी शिक्षा का माडल बनाया जा रहा है। चकिया के अभिभावक पप्पू तिवारी, राधेश्याम दुबे, मोहन पांडेय, दिनेश पटेल, राजेश खरवार व अशोक राम का कहना है कि शिक्षा की गुणवत्ता पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं दिया जा रहा है। इसी वजह से आज भी परिषदीय स्कूलों में शिक्षा की स्थिति बेहद खराब है। 

शिक्षा की गुणवत्ता का अंदाजा इसी बात से ही लगाया जा सकता है कि जहां नया शैक्षणिक सत्र एक अप्रैल से शुरू हो रहा और दिन बाद स्कूल में पढ़ाई शुरू हो जाएगी। वहीं, तीसरी कक्षा तक के छात्र-छात्राओं के लिए पुस्तकें उपलब्ध नहीं हैं। ऐसे में बच्चे बिना पुस्तकों के पढ़ाई करने पर विवश होंगे। वहीं चार से आठवीं कक्षा तक विद्यार्थी नई पाठ्य-पुस्तकों से अध्ययन करेंगे। 


इन कक्षाओं की आ गई हैं सभी पुस्तकें 


 कक्षा चार से आठवीं तक की 12.30 लाख पुस्तकों की खेप जिले में आ चुकी है। प्रकाशकों की ओर से नए शैक्षणिक सत्र के लिए 12.95 लाख पाठ्य-पुस्तकों की आपूर्ति की जानी है। 65 हजार के करीब और पुस्तकें आनी शेष हैं। पुस्तक प्रभारी आनंद सिंह यादव ने बताया कि शनिवार तक अवशेष पुस्तकें मिल जाएंगी।