प्रशिक्षित चालक को ही मिलेगा ड्राइविंग लाइसेंस, चंदौली में जल्द शुरू होगा स्वचालित टेस्टिंग ट्रैक
सिर्फ प्रशिक्षित चालक ही पाएंगे अब लाइसेंस
मैनुअल टेस्ट की व्यवस्था समाप्त, स्वचालित प्रणाली लागू होगी
कैमरा और सेंसर आधारित ट्रैक से हर गलती होगी रिकॉर्ड
10 मिनट में पूरा होगा टेस्ट
चंदौली जिले में अब अनट्रेंड चालकों को ड्राइविंग लाइसेंस नहीं मिल पाएगा। परिवहन विभाग मैनुअल ड्राइविंग टेस्ट की व्यवस्था को समाप्त कर, कैमरा और सेंसर से युक्त स्वचालित ड्राइविंग टेस्टिंग ट्रैक की दिशा में तेज़ी से काम कर रहा है। यह व्यवस्था यह सुनिश्चित करेगी कि सिर्फ वही चालक लाइसेंस पाए, जो प्रशिक्षित और योग्य हैं।
तीन प्रस्तावित केंद्रों में पहले एक से होगी शुरुआत
परिवहन विभाग ने जिले में तीन स्वचालित ट्रैक के प्रस्ताव को स्वीकृति दी है, लेकिन फिलहाल एक ट्रैक से इसकी शुरुआत की जाएगी। विभाग ने ट्रैक के निर्माण और संचालन के लिए निजी कंपनियों एवं फर्मों से आवेदन आमंत्रित किए थे। अब तक छह लोगों ने आवेदन किया है, जिनके दस्तावेजों की जांच की प्रक्रिया अंतिम चरण में है। दस्तावेज सत्यापित होते ही एक आवेदक को निर्माण कार्य आरंभ करने की अनुमति दी जाएगी।
मैनुअल व्यवस्था से मिलेगी निजात
अब तक जिले में लाइसेंस के लिए एआरटीओ कार्यालय परिसर में मैनुअल टेस्ट लिया जाता रहा है। इसमें कई बार ऐसे व्यक्ति भी लाइसेंस पा जाते हैं, जिन्हें पर्याप्त प्रशिक्षण नहीं होता, जिससे दुर्घटनाओं की आशंका बनी रहती है। स्वचालित ट्रैक लागू होने से यह स्थिति बदलेगी और केवल दक्ष चालक ही पास होंगे।
ट्रैक में इस्तेमाल होंगी अत्याधुनिक तकनीकें
ट्रैक को पूरी तरह से स्वचालित और मानव हस्तक्षेप से मुक्त बनाया जाएगा। इसमें अत्याधुनिक तकनीकों का समावेश होगा जैसे —
एक्सेस कंट्रोल और एंट्री मॉनिटरिंग
हाई डेफिनिशन कैमरे
सेंसर आधारित निगरानी
वीडियो टेक्नोलॉजी
ऑटोमेटिक एग्जिट कारिडोर
इन तकनीकों की मदद से टेस्ट के दौरान चालक की हर गलती पर तुरंत रिपोर्ट तैयार हो जाएगी।
10 मिनट में होगा पूरा टेस्ट
स्वचालित ट्रैक पर केवल 10 मिनट में टेस्ट पूरा किया जाएगा। ट्रैक को दो भागों में बांटा जाएगा — एक दोपहिया और दूसरा चारपहिया वाहनों के लिए। चालक को ट्रैफिक सिग्नल, रिवर्स ड्राइविंग, मोड़, पार्किंग और नई तकनीक आधारित 5 फीट की चढ़ाई जैसी बाधाओं को पार करना होगा।
लाइसेंस प्रक्रिया होगी पारदर्शी और निष्पक्ष
यह कदम न सिर्फ दुर्घटनाओं को कम करेगा बल्कि लाइसेंस प्रणाली में पारदर्शिता भी लाएगा। कर्मचारी की भूमिका समाप्त होने से भ्रष्टाचार और पक्षपात पर भी अंकुश लगेगा।
क्या बोले अधिकारी
एआरटीओ (प्रशासन) डॉ. सर्वेश गौतम ने बताया कि छह लोगों ने ट्रैक निर्माण के लिए आवेदन किया है। दस्तावेजों की जांच के बाद एक को अनुमति दी जाएगी और जल्द ही टेस्टिंग ट्रैक पर चालकों की परीक्षा शुरू होगी।