पड़ाव चौराहा पर सुरक्षा भगवान भरोसे, बिजली कनेक्शन के अभाव में 'शोपीस' बने 8 CCTV कैमरे
 

पड़ाव चौराहा प्रतिदिन हजारों लोगों और वाहनों की आवाजाही का केंद्र है। चोरी, उचक्कागिरी और आए दिन लगने वाले भीषण ट्रैफिक जाम जैसी समस्याओं पर प्रभावी नियंत्रण रखने के लिए ये कैमरे लगाए गए थे।
 

पड़ाव चौराहे पर सुरक्षा व्यवस्था की कमी

8 CCTV कैमरों में बिजली कनेक्शन नहीं

ऑपरेशन त्रिनेत्र के तहत लगे कैमरे कर रहे हैं दिखावा

अपने CCTV कब ठीक कराएंगे कोतवाल और कप्तान साहब

चंदौली जिले में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर चंदौली पुलिस भले ही बैठकों में व्यापारियों से अपनी दुकानों पर सीसीटीवी कैमरे लगाने की अपील करती हो, लेकिन जिले के सबसे व्यस्ततम पड़ाव चौराहा की सुरक्षा राम भरोसे है। "ऑपरेशन त्रिनेत्र" के तहत सुरक्षा के लिहाज से लगाए गए आठ सीसीटीवी कैमरे बिजली कनेक्शन के अभाव में पूरी तरह से निष्क्रिय पड़े हैं। इसके कारण यह हाई-टेक निगरानी उपकरण महज शोपीस बनकर रह गए हैं, जिसका सीधा असर चौराहा पर होने वाली घटनाओं, दुर्घटनाओं और अपराधों की निगरानी पर पड़ रहा है।

पड़ाव चौराहा प्रतिदिन हजारों लोगों और वाहनों की आवाजाही का केंद्र है। चोरी, उचक्कागिरी और आए दिन लगने वाले भीषण ट्रैफिक जाम जैसी समस्याओं पर प्रभावी नियंत्रण रखने के लिए ये कैमरे लगाए गए थे। एक महत्वपूर्ण व्यवस्था के तहत, इन आठ कैमरों में से चार की निगरानी जिला मुख्यालय से और शेष चार की निगरानी स्थानीय पुलिस चौकी से की जानी थी, ताकि हर पल की गतिविधि पर नज़र रखी जा सके।

लेकिन, कैमरों के निष्क्रिय होने के कारण निगरानी का यह पूरा तंत्र धड़ाम हो गया है। सरकारी कैमरों के 'अंधे' हो जाने से पुलिस अब चौराहे के आसपास की निजी दुकानों और मकानों के सीसीटीवी फुटेज पर निर्भर रहने को मजबूर है। इसका नतीजा यह होता है कि किसी भी घटना का पता लगाने और अपराधियों पर तुरंत कार्रवाई करने में न सिर्फ अनावश्यक देरी होती है, बल्कि अपराधियों को पकड़ने में भी काफी मशक्कत करनी पड़ती है।

हाल ही में हुई कुछ घटनाओं ने चौराहे की लचर सुरक्षा व्यवस्था की पोल खोल दी है। पड़ाव-पीडीडीयू नगर मार्ग के किनारे बीरेंद्र मौर्या की दुकान के बाहर से बाइक चोरी हो गई, वहीं व्यस्त चौराहा पर एक महिला के साथ चैन कटने की घटना भी सामने आई। इन घटनाक्रमों ने स्थानीय लोगों और राहगीरों के मन में असुरक्षा की भावना पैदा कर दी है।

विडंबना यह है कि हर मीटिंग में पुलिस अधीक्षक, अपर पुलिस अधीक्षक ही नहीं, सीओ और कोतवाल साहब भी जोर-शोर से व्यापारियों से निजी कैमरे लगाने की अपील करते रहते हैं, लेकिन सरकारी कैमरों को सक्रिय कराने के लिए जरूरी बिजली कनेक्शन देने की 'जहमत' प्रशासन और संबंधित विभाग नहीं उठा रहे हैं। सरकारी तंत्र की इस निष्क्रियता पर सवाल उठना लाजिमी है।

स्थानीय निवासियों और व्यापारियों ने एक स्वर में प्रशासन से इन निष्क्रिय कैमरों को जल्द से जल्द चालू कराने की मांग की है। उनका स्पष्ट कहना है कि यदि ये कैमरे सक्रिय किए जाते हैं, तो पुलिस को घटनास्थल पर तुरंत और प्रभावी ढंग से कार्रवाई करने में आसानी होगी, जिससे न केवल अपराधों पर नियंत्रण होगा, बल्कि चौराहे पर आने-जाने वालों की सुरक्षा भी सुनिश्चित हो सकेगी।

सुरक्षा अधिकारी अक्सर जल्द ही कैमरों को चालू कराने और चौराहे की निगरानी मजबूत करने का आश्वासन देते रहते हैं। हालांकि, यह आश्वासन कब हकीकत में बदलेगा और इस महत्वपूर्ण सुरक्षा कार्य को कब और कैसे अंजाम दिया जाएगा, इस संबंध में कोई ठोस और स्पष्ट जानकारी सामने नहीं आ पा रही है। जब तक यह सरकारी लापरवाही दूर नहीं होती, तब तक चंदौली का यह व्यस्त पड़ाव चौराहा असुरक्षा और अंधेपन के साए में ही रहेगा।