भूमि अधिग्रहण का ग्रामीणों ने किया विरोध, बोले- मातृभूमि का सौदा नहीं करेंगे
गांव में बनने वाली बंदरगाह तथा फ्रेट विलेज परियोजना का विरोध
ताहिरपुर, मिल्कीपुर, रसूलगंज और छोटा मिर्जापुर के ग्रामीणों का फैसला
जबरन अधिग्रहण के हर प्रयास का जमकर होगा विरोध
चंदौली और वाराणसी जिले के बार्डर पर बन रहे बंदरगाह तथा फ्रेट विलेज परियोजना के तहत प्रस्तावित भूमि अधिग्रहण को लेकर सोमवार को तथागत बिहार में एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में ताहिरपुर, मिल्कीपुर, रसूलगंज और छोटा मिर्जापुर गांव के दर्जनों लोगों ने हिस्सा लिया और सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया कि वे किसी भी कीमत पर अपनी जमीन नहीं देंगे।
बैठक की अध्यक्षता करते हुए ईशान मिल्की ने कहा, "यह भूमि केवल एक संपत्ति नहीं, बल्कि हमारी मातृभूमि है। इसका कोई मूल्य नहीं लगाया जा सकता। मुआवज़ा कितना भी दिया जाए, हम अपनी धरती को बेचने के लिए तैयार नहीं हैं।" उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि यह फैसला पूरे गांव का है और कोई भी व्यक्ति इस पर समझौता नहीं करेगा।
अन्य वक्ताओं ने भी अपनी-अपनी बात रखी और प्रशासन व सरकार को चेताया कि जबरन अधिग्रहण का प्रयास किया गया, तो इसका पुरजोर विरोध होगा। मास्टर विद्याधर, विनय मौर्य, चंद्र प्रकाश मौर्य, वीरेंद्र साहनी, आस मोहम्मद, डब्लू साहनी, अखिलेश सिंह, सुजीत कुमार, मधुरेंद्र कुमार वर्मा, सैफुल्लाह आतिफ, आत्माराम पाठक, ए.आर. कैसर, अमित शर्मा, लालता प्रसाद शर्मा और शहजाद मलिक सहित कई लोगों ने इस फैसले का समर्थन किया।
बैठक में यह भी तय किया गया कि ग्रामीण जल्द ही प्रशासन को एक लिखित ज्ञापन सौंपेंगे और जरूरत पड़ी तो आंदोलन का रास्ता भी अपनाया जाएगा। ग्रामीणों ने कहा कि वे विकास के विरोधी नहीं हैं, लेकिन जब वह उनकी जड़ें उखाड़ने पर तुला हो, तो चुप नहीं बैठा जा सकता। बैठक शांतिपूर्ण माहौल में संपन्न हुई और अंत में सभी ने एकजुटता के साथ भूमि की रक्षा के लिए संघर्ष जारी रखने का संकल्प लिया।