जिस इंटर कालेज में पढ़े थे लाल बहादुर शास्त्री, अब मोदी सरकार लटकाने जा रही है ताला

आपको बता दें कि यह वही इंटर कालेज हैं जहां देश के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने अपनी शिक्षा ग्रहण की थी। साथ ही कई अन्य लोग देश के बड़े बड़े पदों पर गए थे। 
 

रेलवे के कुल 94 विद्यालयों को बंद करने की कवायद

800 बच्चों को कहीं और ठिकाना ढूंढना होगा

क्लर्क के पद पर एडजस्ट किए जाएंगे शिक्षक

देश भर में रेलवे के कुल 94 विद्यालयों को बंद करने की कवायद चल रही है। इसके बारे में रिपोर्ट रेलवे बोर्ड को कैबिनेट सेक्रेट्रिएट की तरफ से भेजी गई है। उसमें तरह तरह के तमाम सुझाव दिए गए हैं। कहा जा रहा है कि अब मुगलसराय का रेलवे इंटर कॉलेज भी बंद हो जाएगा और यहां के 800 बच्चों को कहीं और ठिकाना ढूंढना होगा। 

आपको बता दें कि यह वही इंटर कालेज हैं जहां देश के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने अपनी शिक्षा ग्रहण की थी। साथ ही कई अन्य लोग देश के बड़े बड़े पदों पर गए थे। 

केंद्र की मोदी सरकार जब रेलवे के 94 स्कूलों को बंद करने की योजना बना रही है तो इसका असर मुगलसराय क्षेत्र में स्थित रेलवे के इंटर कॉलेज और प्राइमरी स्कूल पर भी पड़ेगा। सस्ती शिक्षा पाने वाले इन बच्चों व उनके परिवार के लोगों को कहीं सीबीएसई के महंगे स्कूल की खोज करनी होगी।

जानकारी के अनुसार इस रेलवे के कॉलेज में कक्षा 1 से 12 तक में लगभग 800 से अधिक बच्चे पढ़ते हैं, जिसमें 40% बच्चे रेलवे के कर्मचारियों के और बाकी बच्चे आसपास के इलाके में रहने वाले लोगों के होते हैं। रेलवे के इन दोनों विद्यालयों में कुल 32 अध्यापक और 8 चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी और 2 क्लर्क कार्यरत हैं।

 

सबसे बड़ी खास बात यह है कि रेलवे के इस इंटर कॉलेज में फिजिक्स, केमिस्ट्री और बायोलॉजी की ऐसी प्रयोगशाला है, जो आसपास के किसी भी विद्यालय में उपलब्ध नहीं है। इसके साथ ही साथ यहां पर एक बेहतरीन कंप्यूटर की लैब भी मौजूद है, जहां कंप्यूटर से संबंधित पढ़ाई अन्य जगहों से काफी बेहतर तरीके से होती है।

 बताया जा रहा है कि इंटर कॉलेज में एनसीसी की दो बटालियन है, जो जूनियर और सीनियर लेवल के सर्टिफिकेट प्रदान करती हैं। इसके साथ ही साथ एनसीसी के लिए माइनर फायरिंग रेंज की भी व्यवस्था है, जहां पर बच्चे अक्सर एनसीसी की फायरिंग का काम करते हैं और उनके कैंप लगाए जाते हैं।

 लोगों का कहना है कि अगर रेलवे इस कॉलेज को बंद करता है तो इसका असर यहां पर पढ़ने वाले बच्चों के साथ ही साथ उनके अभिभावकों पर भी पड़ेगा। अब उन्हें किसी और ठिकाने पर अपने बच्चों को पढ़ाई की व्यवस्था करनी होगी। 

बच्चों का कहना है कि वह अपने भविष्य को लेकर सशंकित हैं और अब वह महंगे स्कूल में पढ़ने के लिए मजबूर होंगे। यहां पर एक बार एडमिशन के बाद 12 तक पढ़ाई के लिए परिवार के लोग निश्चिंत हो जाते थे। सरकार न जाने क्यों यह फैसला ले रही है। 

 वहीं अभिभावकों का कहना है कि रेलवे के इस सीबीएसई बोर्ड के स्कूल और कॉलेज में लगभग 500 रूपए महीने में हमारे बच्चे पढ़ लिया करते थे। अब उन्हें हजारों रुपए की फीस देकर किसी और स्कूल में पढ़ाना होगा। मोदी सरकार का यह फैसला हमारे हित में नहीं है। 

ऐसी चर्चा है कि यहां पर काम करने वाले अध्यापकों को रेलवे के अन्य विभागों में क्लर्क के पद पर एडजस्ट करने की कोशिश हो रही है, जिससे यहां के शिक्षक काफी परेशान हैं।  रेलवे के इस कालेज में काम करने वाले लोग व शिक्षक रेलवे के अधिकारियों के दबाव में किसी से अपना दर्द भी नहीं कह पा रहे हैं। वह मीडिया से बात तक नहीं करने को तैयार है..उन्हें डर है कि उनका नुकसान हो जाएगा। हो सकता है कि सरकार उन्हें एडजस्ट भी न करे।