नेत्र व शरीर दान करके अमर हो गए राम सरीखे सिंह, परिवार ने ऐसे पूरी की अंतिम इच्छा
चंदौली के कैथी गांव निवासी सेवानिवृत्त शिक्षक राम सरीखे सिंह का निधन हुआ। उनकी अंतिम इच्छा अनुसार परिजनों ने नेत्र और शरीर दान कर समाज सेवा की मिसाल पेश की।
सेवानिवृत्त शिक्षक राम सरीखे सिंह का निधन
परिवार ने नेत्र और शरीर किया दान
बीएचयू मेडिकल साइंस ने सराहना की
समाज सेवा में जीवनभर सक्रिय शिक्षक
कैथी गांव में चर्चा का विषय बने
चंदौली जिले के चहनिया विकास क्षेत्र के कैथी गांव निवासी 80 वर्षीय सेवानिवृत्त शिक्षक राम सरीखे सिंह का बुधवार को निधन हो गया। शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान देने वाले सिंह ने जीवनभर समाज सेवा का अलख जगाया। उनकी अंतिम इच्छा थी कि मृत्यु के बाद उनकी आँखें और शरीर दान कर दिए जाएं।
अंतिम इच्छा का सम्मान
निधन के बाद परिजनों ने उनकी इच्छा का सम्मान करते हुए पहले नेत्र दान किया और फिर शरीर को बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (बीएचयू) मेडिकल साइंस में दान कर दिया। इस पहल से पूरे क्षेत्र में चर्चा का माहौल है और लोग परिवार की सराहना कर रहे हैं।
शिक्षा और सेवा का सफर
राम सरीखे सिंह ने अपने शिक्षण जीवन की शुरुआत बलुआ, दिनदासपुर, सुरतापुर और बड़गांवा जैसे विद्यालयों से की। बाद में वे सकलडीहा के जमुनीपुर पूर्व माध्यमिक विद्यालय में प्रधानाध्यापक पद पर कार्यरत रहे और 2008 में सेवानिवृत्त हुए। शिक्षा के क्षेत्र में उनकी सेवाओं को हमेशा याद किया जाएगा।
नेत्र और शरीर दान का संकल्प
2011 में उन्होंने नेत्र दान का संकल्प लिया और 6 मई 2011 को वाराणसी स्थित आईएमआई बैंक को लिखापढ़ी के साथ नेत्र दान कर दिया। इसके बाद 2012 में उन्होंने शरीर दान का निर्णय लिया। उनके इस निर्णय की बीएचयू मेडिकल साइंस ने सराहना की थी और इसे समाज के लिए प्रेरणादायक बताया था।
परिवार ने निभाई जिम्मेदारी
उनके पुत्र बागीश सिंह ने पिता की इच्छा को पूरा करते हुए पहले आई बैंक को नेत्र दान किया और फिर बीएचयू में शरीर दान कराया। इस कदम से परिवार ने समाज सेवा की मिसाल कायम की है।
समाज में चर्चा और प्रेरणा
राम सरीखे सिंह के निधन और उनके द्वारा किए गए संकल्प की चर्चा पूरे इलाके में हो रही है। लोग उनके परिवार की सराहना कर रहे हैं और इसे समाज के लिए प्रेरणादायक कदम मान रहे हैं। उनकी सोच और सेवा भाव आने वाली पीढ़ियों के लिए मार्गदर्शक बनेगी।