सावन के पहले सोमवार को बाबा कालेश्वर नाथ मंदिर में उमड़ा आस्था का सैलाब
स्वयंभू शिवलिंग के दर्शन के लिए आते हैं भक्त
बाबा के दर्शन से टलती है अकाल मृत्यु
काशी विश्वनाथ ट्रस्ट से है इस मंदिर का कनेक्शन
आज श्रावण मास का पहला सोमवार है। चारों तरफ हर-हर महादेव के जयकारे सुनायी दे रहे हैं और डमरू की मधुर ध्वनि और बेलपत्र से सजे थाल लेकर लोग शिव मंदिरों में जा रहे हैं। ऐसा ही अद्भुत दृश्य सोमवार को चंदौली जनपद के प्रसिद्ध बाबा कालेश्वर नाथ मंदिर में देखने को मिला। श्रद्धालुओं की भारी भीड़ ने मंदिर प्रांगण को भक्ति में सराबोर कर दिया। भोर की पहली किरण के साथ ही हजारों शिवभक्त बाबा के जलाभिषेक के लिए कतारबद्ध हो गए।
स्वयंभू शिवलिंग की अनोखी मान्यता
सकलडीहा रेलवे स्टेशन के पास चतुर्भुजपुर स्थित बाबा कालेश्वर नाथ मंदिर को क्षेत्र के प्राचीनतम शिवालयों में माना जाता है। खास बात यह है कि यहां का शिवलिंग स्वयंभू है — यानी यह शिवलिंग किसी ने स्थापित नहीं किया, बल्कि यह भूमि से स्वयं प्रकट हुआ है। श्रद्धालुओं का विश्वास है कि यह शिवलिंग आज भी धीरे-धीरे आकार में बढ़ रहा है। यही विशेषता इसे अन्य मंदिरों से अलग बनाती है और श्रद्धालुओं को अपार आस्था से जोड़ती है।
बाबा के दर्शन से टलती है अकाल मृत्यु
मान्यता है कि जो भक्त सच्चे मन से बाबा कालेश्वर नाथ के दर्शन करता है और श्रावण मास में जलाभिषेक करता है, उसकी अकाल मृत्यु टल जाती है। यही कारण है कि सावन के सोमवारों पर यहां भक्तों का तांता लग जाता है। श्रद्धालु बलुआ के पश्चिमी वाहिनी घाट से पवित्र गंगा जल कांवड़ में भरकर कई किलोमीटर पैदल चलकर मंदिर पहुंचते हैं और बाबा को जल अर्पित करते हैं।
आस-पास के जिलों से भी उमड़ते हैं श्रद्धालु
केवल चंदौली ही नहीं, बल्कि वाराणसी, गाजीपुर, मिर्जापुर और यहां तक कि सीमावर्ती बिहार के जिलों से भी कांवड़िए बाबा के दरबार में हाजिरी लगाने आते हैं। श्रद्धालु पूरी रात भजन-कीर्तन करते हुए पदयात्रा करते हैं और अलसुबह जलाभिषेक कर पुण्य लाभ अर्जित करते हैं।
सुरक्षा और सुविधाओं के पुख्ता इंतजाम
श्रावण मास में बढ़ती भीड़ को देखते हुए प्रशासन ने सुरक्षा व्यवस्था के कड़े प्रबंध किए हैं। पुलिस बल, स्वयंसेवक और स्थानीय समितियों ने मिलकर व्यवस्था को संभाला ताकि श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार की कठिनाई न हो। जलाभिषेक के दौरान कतारबद्ध दर्शन की व्यवस्था, प्राथमिक चिकित्सा केंद्र और पेयजल की सुविधाएं भी उपलब्ध कराई गईं।
काशी विश्वनाथ ट्रस्ट से संबंध
बाबा कालेश्वर नाथ मंदिर का संबंध सीधे काशी विश्वनाथ ट्रस्ट से है। काशी क्षेत्र के पांच पवित्र शिवलिंगों में कालेश्वर नाथ शिवलिंग भी शामिल हैं। ट्रस्ट द्वारा मंदिर के रखरखाव से लेकर विशेष पर्वों के आयोजन तक का प्रबंध किया जाता है। सावन के महीने में यह मंदिर भक्ति, अध्यात्म और धार्मिक उल्लास का अनोखा संगम बन जाता है।
भक्ति में डूबा सावन का महीना
श्रावण मास शिव भक्ति का पर्व है और बाबा कालेश्वर नाथ मंदिर इस माहौल को और पावन बना देता है। यहां के श्रद्धालु मानते हैं कि बाबा के आशीर्वाद से न केवल संकटों से मुक्ति मिलती है, बल्कि जीवन में सुख-समृद्धि और मनचाही सफलता भी प्राप्त होती है। भक्तों का विश्वास ही इस मंदिर को इतनी विशेष महत्ता दिलाता है।
भक्ति, श्रद्धा और आस्था से भरा यह सावन फिर से एक बार बाबा कालेश्वर नाथ की महिमा को अनंत कर रहा है, जहां हर श्रद्धालु को मिलता है मन को सुकून और आशीर्वाद का वरदान।