व्यवस्था परिवर्तन मोर्चा के शमीम मिल्की का दावा, इसलिए मुसलमान नहीं देंगे सपा को वोट

चंदौली जिले में लोकसभा का चुनाव चरमोत्कर्ष पर पहुंचने वाला है। इसके लिए आरोप प्रत्यारोप का सिलसिला जारी है।
 

बसपा के सपोर्ट में खड़ा है व्यवस्था परिवर्तन मोर्चा

शमीम मिल्की ने सुनाया लोहिया को हराने का किस्सा

कैसे कैसे नारे लगाकर हराए गए थे लोहिया

याद दिलाया कि 1980 में निहाला सिंह को कैसे मिली जीत

चंदौली जिले में लोकसभा का चुनाव चरमोत्कर्ष पर पहुंचने वाला है। इसके लिए आरोप प्रत्यारोप का सिलसिला जारी है। बरसों तक कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ता रहे शमीम अहमद मिल्की ने कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के गठबंधन में अगड़ी डी जाति के उम्मीदवार उतारे जाने और पिछड़े, दलितों व अल्पसंख्यक को दरकिनार किए जाने के बाद व्यवस्था परिवर्तन मोर्चा के तहत अपना एक नया संगठन खड़ा किया है। वह चंदौली जनपद में वह 15 बनाम 85 की लड़ाई लड़ने के लिए लोगों को एकजुट करने की कोशिश कर रहे हैं।  

नगर निकाय चुनाव में मुगलसराय में किन्नर को कुर्सी दिलाने में मददगार शमीम मिल्की को लगता है कि वह लोकसभा चुनाव में भी अपने अहम भूमिका निभाने सकते हैं। फिलहाल बहुजन समाज पार्टी के पक्ष में खड़े दिखाई देने वाले शमीम अहमद मिल्की के साथ चंदौली समाचार के संवाददाता ने खास मुलाकात की और बातचीत की तो उन्होंने बसपा के उम्मीदवार का समर्थन करने का तर्क दिया और सपा तथा भाजपा उम्मीदवार का विरोध करने का कारण भी बताया।

इसीलिए कर रहे भाजपा-सपा का विरोध


 शमीम अहमद मिल्की ने कहा कि चंदौली जनपद में राजनीति करने वाले लोगों ने हमेशा पिछड़े, दलितों व अल्पसंख्यक को हासिए पर रखा है। अगर भारतीय जनता पार्टी की लंबी लिस्ट देखें तो राजनाथ सिंह, दर्शना सिंह, साधना सिंह, छत्रबली सिंह, सुशील सिंह, विनीत सिंह, काशीनाथ सिंह जैसे तमाम नेता हैं जो पूरी पार्टी में छाए हुए हैं। ऐसे में अन्य बिरादरी के लोगों का क्या हाल होगा । यही नहीं अगर समाजवादी पार्टी की बात करें तो उसके उम्मीदवार के रूप में भी वीरेंद्र सिंह आ गए हैं। ऐसे में इन दोनों दलों ने केवल अगड़ी जाति के उम्मीदवारों को और लोगों को आगे बढ़ने का काम किया है। ऐसी स्थिति में 85% लोग ठगा महसूस कर रहे हैं। इसीलिए व्यवस्था परिवर्तन मोर्चा अब 85% के हितों की बात करने वाले दल के साथ खड़ा है।

 शमीम अहमद मिल्की ने कहा कि जब बहुजन समाज पार्टी ने पिछड़े समाज के सतेन्द्र कुमार मौर्या को प्रत्याशी बनाया तो उन्होंने बहुजन समाज पार्टी में न होने के बावजूद बसपा का समर्थन करने का फैसला किया, क्योंकि वह पिछड़े वर्ग से आते हैं और 85% लोगों के हक की लड़ाई लड़ने की तैयारी करेंगे। वह हर किसी की साझेदारी व भागीदारी के लिए ऐसा कर रहे हैं।

 

याद करिए कौन हराया था लोहिया को


 शमीम अहमद मिल्की ने चंदौली जनपद के इतिहास को याद करते हुए कहा कि चंदौली जनपद में पहले भी जातिगत राजनीति का शिकार हो चुके हैं। लोगों को याद होगा कि डॉक्टर राम मनोहर लोहिया जब यहां से चुनाव लड़े तो उन्हें भी जातिगत राजनीति के कारण हार का सामना करना पड़ा।

पुरानी घटना को याद करते हुए  शमीम अहमद मिल्की ने कहा कि चंदौली जनपद में लोकसभा और विधानसभा का चुनाव साथ-साथ हो रहा था, तो त्रिभुवन नारायण सिंह कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा का चुनाव लड़ रहे थे, जबकि प्रभु नारायण सिंह सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार थे और चंदौली जिले की इसी क्षत्रिय समाज में नारा लगाते हुए लोकसभा में टीएन सिंह और विधानसभा में पीएन सिंह कह कर दोनों को जीत दिला दी। तब इन लोगों की दलीय आस्था कहां थी। अब ऐसी स्थिति में एक बार फिर इसी तरह का माहौल बनाने की कोशिश की जा रही है। इसलिए वह बहुजन समाज पार्टी का समर्थन करने का फैसला किया है।

 

जानिए कैसे जीते थे निहाला सिंह


 शमीम अहमद मिल्की ने डॉक्टर राम मनोहर लोहिया की एक और बात को साझा करते हुए कहा कि चंदौली जनपद में 1980 के लोकसभा चुनाव जब निहाला सिंह को उम्मीदवार बनाकर डॉक्टर राम मनोहर लोहिया ने यहां भेजा तो यहां के  लोगों ने उनका बहुत बड़ा विरोध किया और कहा कि निहाला सिंह चंदौली में चुनाव कैसे जीत पाएंगे। वह कभी भी सांसद नहीं बन सकते, तब डॉक्टर राम मनोहर लोहिया ने यहां के दिग्गज नेताओं को एक जवाब देकर मुंह बंद कर दिया था और कहा कि जब  लोहिया चंदौली जिले का चुनाव हार सकता है तो निहाला सिंह की हार भी उन्हें स्वीकार है। बाद में इतिहास गवाह है कि निहाला सिंह चुनाव जीत कर चंदौली लोकसभा से सांसद बने।

सपा को क्यों वोट देंगे मुसलमान


 शमीम अहमद मिल्की ने कहा कि समाजवादी पार्टी को कितने यादव और कितने मुसलमान और देंगे.. इसका कोई भरोसा नहीं है रामकिशुन यादव का टिकट कटने से यादव बिरादरी नाराज चल रही है और वह किसी अन्य दलों दल को वोट देने का मन बना चुकी है। ऐसी स्थिति में समाजवादी पार्टी की स्थिति ठीक नहीं है। वहीं मुसलमान समाजवादी पार्टी को तभी वोट देंगे, जब वह भारतीय जनता पार्टी को हराने की स्थिति में होगा। चंदौली में ऐसी स्थिति नहीं बन रही है। इसलिए मुस्लिम मतदाता भी बहुजन समाज पार्टी की ओर जा सकते हैं। 

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इस गणित से जीतेगी बसपा


शमीम अहमद मिल्की ने याद दिलाया कि चंदौली लोकसभा क्षेत्र की बात करें तो यहां लगभग 3 लाख दलित वोटों का बेस है। इसके बाद पार्टी के साथ मौर्य, बिन्द, मुसलमान तथा अन्य पिछड़ी जाति के तमाम लोग खड़े दिखाई दे रहे हैं। ऐसे में 85% का प्रतिनिधित्व करने वाला बहुजन समाज पार्टी का उम्मीदवार सत्येंद्र कुमार मौर्य की चंदौली लोकसभा में जीत हासिल करने की स्थिति में दिखाई दे रहे हैं।