नौगढ़ में स्वच्छ भारत मिशन की आड़ में हुआ है करोड़ों रुपए का घपला, पति को एक और पत्नी को मिला है दो-दो शौचालय
पक्के घर, ट्रैक्टर, लग्जरी कार और बंदूक वालों को दे दी शौचालय की रकम
5 साल से 10 गांवों में चल रही है जांच-पड़ताल
नहीं मिल रहा है कोई आरोपी
कार्रवाई नहीं करना चाहते कमीशनखोर अफसर
चंदौली जिले के तहसील नौगढ़ में स्वच्छ भारत मिशन की आड़ में सरकारी खजाने से बड़ा खेल हुआ। लाइसेंसी बंदूक, दो मंजिला पक्का मकान, ट्रैक्टर और लग्जरी कार वाले भी शौचालय निर्माण की सरकारी रकम का फायदा उठा ले गए। मजे की बात तो यह है कि सरकारी दस्तावेजों में पति को एक और पत्नी को दो-दो शौचालय आवंटित किए गए। यह घोटाला सिर्फ गरीबों के अधिकारों पर डाका नहीं है, बल्कि स्वच्छ भारत मिशन की मंशा पर भी सवाल खड़ा कर रहा है।
आपको बता दें कि स्वच्छ भारत मिशन में सिर्फ गरीबों और असहायों को ही शौचालय निर्माण के लिए 12 हजार रुपये के हिसाब से रकम देने का प्रावधान है। शौचालय की रकम में गोलमाल की जांच 4 साल से जांच हो रही है। जांच के लिए डीएफओ, जिला विकास अधिकारी, उपनिदेशक मत्स्य, जिला ग्रामोद्योग अधिकारी, समेत अधिशासी अभियंता पीडब्ल्यूडी समेत अन्य अधिकारियों को जिम्मेदारी दी गई, लेकिन अब तक नतीजा शून्य है।
लाभार्थियों की सूची में है अमीरों का बोलबाला:
स्वच्छ भारत मिशन कार्यक्रम के अन्तर्गत विकास खंड नौगढ़ में गंगापुर, मझगावां, बरबसपुर, गोलाबाद, सेमर साधोपुर, देवरीकला, चमेरबांध, मलेवर, पिपराहीं, अमदहां चरनपुर, बरवाडीह, अमृतपुर समेत कई पंचायत में लाभार्थियों के चयन में बड़े पैमाने पर घपला किया गया है। सूत्रों की मानें तो लाभार्थियों की सूची में गांव के दबंग प्रधानों और उनके करीबियों के नाम दर्ज हैं। हैरानी की बात यह है कि इसमें ऐसे लोगों को भी शौचालय के पैसे दिए गए जिनके नाम पर लाइसेंसी बंदूकें, ट्रैक्टर और कारें पंजीकृत हैं। ग्रामीणों का कहना है कि वास्तविक गरीबों को शौचालय निर्माण का लाभ नहीं मिला, जबकि सक्षम और धनाढ्य लोगों ने सरकारी रकम डकार ली।
साक्ष्य के तौर पर अधिकारियों के पास हलफनामा के साथ पहुंचे फोटोग्राफ:
शौचालय निर्माण में घपले से संबंधित तथ्य को पुष्ट करने के लिए जिलाधिकारी के पास ₹10 के स्टांप पेपर पर हलकनामा के साथ साक्ष्य के तौर पर फोटोग्राफ भी पहुंचे। इन तस्वीरों में महल जैसे मकान के सामने शौचालय निर्माण का पैसा लेने वाले गरीब नजर आ रहे हैं। कुछ मामलों में प्रधानों के रिश्तेदारों, पूर्व प्रधानों के बेटों, और गांव के रसूखदार लोगों ने भी सरकारी रकम पर हाथ साफ किया है। इन लोगों के पास पहले से ही पक्के मकान और शौचालय बने हुए हैं।
आखिर कब होगी कार्रवाई ?
करोड़ों रुपए के घोटाले की गंभीरता को देखते हुए ग्रामीणों ने मांग की है कि इस मामले की उच्च स्तरीय जांच कर दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाए। लाखों के घोटाले में शामिल जिम्मेदारों का नाम उजागर होना जरूरी है, ताकि स्वच्छ भारत मिशन की साथ बचाई जा सके और गरीबों का उनका हक मिल सके। क्या यह जांच भी किसी फाइल के नीचे दब जाएगी या दोषियों पर गिरेगी गाज? नौगढ़ के ग्रामीण अब जवाब मांग रहे हैं।