यूपी में 5 बार ट्रैफिक नियम तोड़ने पर बीमा क्लेम होगा रद्द, फास्टैग गड़बड़ी पर काली सूची में शामिल
5 बार नियम उल्लंघन पर DL और गाड़ी का नंबर होगा रद्द
नहीं मिलेगा आपको कोई बीमा क्लेम
हादसे के बाद आपको अपनी जेब से भरना पड़ेगा मुआवजा
सारथी पोर्टल पर नियम उल्लंघन की जानकारी ऑनलाइन
उत्तर प्रदेश में बार-बार ट्रैफिक नियम तोड़ने वालों के खिलाफ अब और सख्त कार्रवाई होगी। यदि कोई वाहन चालक पांच या उससे अधिक बार यातायात नियमों का उल्लंघन करता है तो न केवल उसका ड्राइविंग लाइसेंस (डीएल) और वाहन का पंजीकरण (आरसी) निलंबित कर दिया जाएगा, बल्कि किसी भी सड़क दुर्घटना की स्थिति में उसे बीमा क्लेम भी नहीं मिलेगा। बीमा कंपनियां अब ऐसे मामलों में क्लेम देने से इनकार कर सकेंगी, क्योंकि राज्य सरकार ने नियम तोड़ने वालों का विवरण बीमा कंपनियों से साझा करना शुरू कर दिया है।
यह कार्रवाई “सारथी पोर्टल” के माध्यम से की जा रही है, जहां ट्रैफिक उल्लंघन से संबंधित जानकारियां जनवरी 2025 से अपडेट की जा रही हैं। यह पोर्टल अब बीमा कंपनियों से भी जुड़ा हुआ है, जिससे बीमा कंपनियों को यह जानकारी मिल सके कि संबंधित चालक ने कितनी बार नियमों का उल्लंघन किया है।
लखनऊ क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय (आरटीओ) द्वारा हाल ही में जारी आंकड़ों के अनुसार, राज्य में पहली बार एक साथ 211 ड्राइविंग लाइसेंस और 260 वाहन पंजीकरण को निलंबित किया गया है। इन सभी मामलों में संबंधित वाहन मालिक या चालक ने कम से कम पांच बार ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन किया है।
एआरटीओ (प्रशासन) प्रदीप सिंह ने बताया कि निलंबन अवधि में यदि कोई वाहन दुर्घटना में शामिल होता है तो बीमा कंपनी से क्लेम नहीं मिलेगा। साथ ही, यदि उस वाहन से किसी तीसरे पक्ष को हानि होती है तो उसका मुआवजा चालक या वाहन मालिक को अपनी जेब से देना होगा।
इस दिशा में लखनऊ आरटीओ ने लगभग 9,000 वाहन स्वामियों को नोटिस जारी करना शुरू कर दिया है, जिन पर पंजीकरण निलंबन की कार्रवाई प्रस्तावित है। जिन लोगों के डीएल या आरसी आधार कार्ड से लिंक हैं, उन्हें मोबाइल पर मैसेज और ईमेल के माध्यम से भी सूचित किया जा रहा है।
उधर, भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने फास्टैग को लेकर भी कड़ा रुख अपनाया है। एनएचएआई ने स्पष्ट किया है कि जो वाहन चालक फास्टैग को सही तरीके से विंडस्क्रीन (आगे की शीशे) पर नहीं चिपकाते, बल्कि हाथ में रखते हैं या ऐसे स्थान पर रखते हैं जहां से वह स्कैन न हो सके, उनके फास्टैग को काली सूची में डाल दिया जाएगा।
एनएचएआई अधिकारियों के अनुसार, 'लूज फास्टैग' से टोल प्लाजा पर अनावश्यक देरी होती है और स्कैनिंग में दिक्कत आती है। इससे टोल कलेक्शन में गड़बड़ी के साथ-साथ यातायात में भी बाधा उत्पन्न होती है। काली सूची में डाले जाने पर फास्टैग निष्क्रिय हो जाएगा, जिससे टोल भुगतान नहीं हो सकेगा और वाहन चालक को नया फास्टैग लेना पड़ेगा।
एनएचएआई ने ऐसे मामलों की शिकायत के लिए एक अलग ईमेल आईडी भी जारी की है, ताकि टोल प्लाजा स्टाफ या यात्री ऐसी शिकायतें दर्ज करा सकें। साथ ही, आगामी ‘मल्टी लेन फ्री फ्लो टोलिंग सिस्टम’ को देखते हुए फास्टैग के सही इस्तेमाल को अनिवार्य कर दिया गया है।
इन सख्त कदमों से राज्य सरकार और एनएचएआई का उद्देश्य सड़क सुरक्षा बढ़ाना, दुर्घटनाओं में कमी लाना और टोल व्यवस्था को और अधिक सुव्यवस्थित बनाना है।