वीर बाल दिवस पर चंदौली कलेक्ट्रेट में गूंजी साहिबजादों की गाथा, बाल विवाह मुक्त भारत की ली गई शपथ
चंदौली कलेक्ट्रेट में वीर बाल दिवस का भव्य आयोजन किया गया, जहाँ राज्यसभा सांसद दर्शना सिंह और साधना सिंह ने मेधावी छात्रों और साहसी बच्चों को सम्मानित किया। साहिबजादों के बलिदान को याद करने के साथ ही जिले को बाल विवाह मुक्त बनाने का संकल्प भी लिया गया।
साहिबजादों के बलिदान को दी गई श्रद्धांजलि
वीर बालक चंद्रिका और चंचल बनवासी सम्मानित
सांसद दर्शना सिंह ने बच्चों को सराहा
चंदौली कलेक्ट्रेट में बाल विवाह मुक्त शपथ
चंदौली जनपद स्थित कलेक्ट्रेट सभागार में महिला एवं बाल कल्याण विभाग के तत्वावधान में वीर बाल दिवस का अत्यंत भव्य और गरिमामयी आयोजन सुनिश्चित किया गया। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य सिखों के दसवें गुरु, गुरु गोविंद सिंह जी के दो छोटे साहिबजादों, बाबा जोरावर सिंह और बाबा फतेह सिंह के महान बलिदान और शौर्य को याद करना था। कार्यक्रम की शुरुआत मुख्य अतिथि राज्यसभा सांसद श्रीमती दर्शना सिंह और श्रीमती साधना सिंह द्वारा मां सरस्वती, गुरु गोविंद सिंह जी और उनके दोनों साहिबजादों के चित्रों पर माल्यार्पण और दीप प्रज्वलन के साथ हुई। इस दौरान सभागार में उपस्थित सभी लोगों ने साहिबजादों की शहादत को याद करते हुए उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की।
सांसदों ने वीरता और त्याग पर दिया बल
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राज्यसभा सांसद दर्शना सिंह ने कहा कि आज पूरा देश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में साहिबजादों के त्याग और बलिदान के प्रति कृतज्ञता व्यक्त कर रहा है। उन्होंने जोर देकर कहा कि यह दिवस हमारे गौरवमयी इतिहास और बलिदान की गाथाओं को आने वाली पीढ़ी तक पहुँचाने का एक सशक्त माध्यम है। सांसद साधना सिंह ने भी बच्चों को संबोधित करते हुए उन्हें देश के इतिहास से प्रेरणा लेने और राष्ट्र निर्माण में अपनी भूमिका निभाने के लिए प्रोत्साहित किया। कलेक्ट्रेट परिसर में उपस्थित जनसमूह ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सजीव संबोधन को भी ऑनलाइन माध्यम से सुना, जिसमें वीर बाल दिवस की महत्ता पर प्रकाश डाला गया था।
साहसी बच्चों और मेधावियों का हुआ सम्मान
इस भव्य समारोह के दौरान जिले के उन बच्चों को विशेष रूप से सम्मानित किया गया, जिन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है। ग्राम लेहराखास के निवासी बालक चंद्रिका को उनकी अदम्य वीरता के लिए अंगवस्त्र, प्रमाण पत्र और मोमेंटो देकर सम्मानित किया गया, जिन्होंने नहर में डूबते हुए तीन बच्चों की जान बचाई थी। इसके साथ ही, हाईस्कूल और इंटरमीडिएट परीक्षा 2024 के मेधावी छात्र-छात्राओं को उनकी शैक्षणिक सफलता के लिए 5000-5000 रुपये के चेक प्रदान किए गए। कस्तूरबा विद्यालयों को खेल किट वितरित की गई ताकि ग्रामीण क्षेत्रों की बालिकाओं को खेलकूद के बेहतर अवसर प्राप्त हो सकें।
बाल विवाह मुक्त भारत के लिए ली गई शपथ
वीर बाल दिवस के इस मंच का उपयोग सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ आवाज उठाने के लिए भी किया गया। 'बाल विवाह मुक्त भारत' अभियान के अंतर्गत कार्यक्रम में मौजूद जनप्रतिनिधियों, अधिकारियों और बच्चों ने सामूहिक रूप से बाल विवाह को जड़ से खत्म करने की शपथ ली। 'हक की बात जिलाधिकारी के साथ' सत्र के दौरान बाल विवाह के खिलाफ लड़ने वाली 'चैम्पियन' बालिकाओं ने जिलाधिकारी चंद्र मोहन गर्ग से सीधा संवाद किया। इन बालिकाओं ने अपनी समस्याओं और इस सामाजिक अभिशाप से मुक्त होने के अपने संघर्षपूर्ण रास्तों को साझा किया। स्वयं का बाल विवाह रुकवाकर पढ़ाई जारी रखने वाली 'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ' की ब्रांड एंबेसडर चंचल बनवासी, मनोरमा, चंचला और करिश्मा को उनके साहस के लिए विशेष रूप से पुरस्कृत किया गया।
अधिकारियों और कर्मिकों की रही गरिमामयी उपस्थिति
सम्मान की कड़ी में केवल बच्चे ही नहीं, बल्कि विभिन्न विभागों के उन कर्मिकों को भी सम्मानित किया गया जिन्होंने बाल कल्याण के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य किया है। इसमें पुलिस विभाग, शिक्षा, आंगनबाड़ी, आशा, बीसी सखी और रेलवे चाइल्ड हेल्प डेस्क के सुजीत कुमार सिंह सहित कई अन्य स्वास्थ्य एवं श्रम विभाग के कर्मचारी शामिल रहे। कार्यक्रम में जिलाधिकारी चंद्र मोहन गर्ग, मुख्य विकास अधिकारी आर जगत साई, मुख्य चिकित्साधिकारी वाई.के. राय और अन्य प्रशासनिक अधिकारी उपस्थित रहे। साथ ही, ग्राम्या संस्थान और मानव संसाधन एवं महिला विकास संस्थान जैसी स्वयंसेवी संस्थाओं ने भी अपनी सक्रिय सहभागिता दर्ज कराई, जिससे कार्यक्रम अपनी पूर्णता को प्राप्त हुआ।