ज्ञानी जैल सिंह की पुण्यतिथि पर उमड़ा जनसैलाब, विश्वकर्मा समाज ने फूंका स्वाभिमान का शंखनाद
चंदौली के मुख्यालय स्थित अरविंद वाटिका में विश्वकर्मा उत्थान मंच द्वारा 'विश्वकर्मा गौरव स्वाभिमान सम्मेलन' का आयोजन किया गया। पूर्व राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह की पुण्यतिथि पर आयोजित इस कार्यक्रम में समाज के अधिकार, भागीदारी और ऐतिहासिक योगदान पर चर्चा की गई।
चंदौली में आयोजित हुआ विशाल विश्वकर्मा गौरव स्वाभिमान सम्मेलन
पूर्व राष्ट्रपति स्वर्गीय ज्ञानी जैल सिंह को दी गई भावभीनी श्रद्धांजलि
हिंदुत्व और राष्ट्र विकास में विश्वकर्मा समाज के योगदान की चर्चा
संसद के पास ज्ञानी जैल सिंह संग्रहालय बनाने की उठी मांग
हजारों की संख्या में समाज के प्रबुद्धजनों ने दिखाई एकजुटता
चंदौली जिले में भारत के सातवें राष्ट्रपति और महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्वर्गीय ज्ञानी जैल सिंह की पुण्यतिथि के अवसर पर जिला मुख्यालय स्थित अरविंद वाटिका में 'विश्वकर्मा गौरव स्वाभिमान सम्मेलन' का भव्य आयोजन हुआ। विश्वकर्मा उत्थान मंच के तत्वाधान में आयोजित इस समागम में हजारों की संख्या में समाज के लोगों ने हिस्सा लेकर अपनी एकजुटता और शक्ति का परिचय दिया।
राष्ट्र और हिंदुत्व के रक्षक हैं विश्वकर्मा वंशी: हंसराज विश्वकर्मा
सम्मेलन के मुख्य अतिथि वाराणसी भाजपा जिलाध्यक्ष एवं सदस्य विधान परिषद (MLC) हंसराज विश्वकर्मा ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम की शुरुआत की। अपने संबोधन में उन्होंने कहा, "हिंदुत्व की रक्षा और राष्ट्र के विकास में विश्वकर्मा वंशीयों का लहू और पसीना दोनों शामिल है। मुगलों के खिलाफ युद्ध के लिए अस्त्र-शस्त्र निर्माण से लेकर आधुनिक भारत की मशीनों और कृषि औजारों तक, इस समाज ने हमेशा श्रम के सिद्धांत को सर्वोपरि रखा है।" उन्होंने आगे कहा कि आज का यह समागम सामाजिक सम्मान, पहचान और अधिकारों की दिशा में एक नई क्रांतिकारी शुरुआत है।
ज्ञानी जैल सिंह: संघर्ष से शिखर तक का सफर
स्वर्गीय ज्ञानी जैल सिंह के जीवन पर प्रकाश डालते हुए मुख्य अतिथि ने कहा कि वह विलक्षण प्रतिभा के धनी थे। बिना किसी बड़े विश्वविद्यालय की डिग्री के भी उनका ज्ञान अथाह था। उन्होंने राष्ट्रपति भवन के दरवाजे स्वतंत्रता सेनानियों के लिए खोल दिए थे। पंजाब के मुख्यमंत्री के रूप में 'गुरु गोविंद सिंह मार्ग' की स्थापना कर उन्होंने जो ऐतिहासिक कार्य किया, उसे कभी भुलाया नहीं जा सकता। वह लोकतंत्र के पक्के समर्थक और भारतीय भाषाओं के प्रबल पैरोकार थे।
शिल्पकारों के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार की मांग
कार्यक्रम के संयोजक और भाजपा पिछड़ा मोर्चा के जिला उपाध्यक्ष श्रीकांत विश्वकर्मा ने सामाजिक गैर-बराबरी के खिलाफ आवाज बुलंद की। उन्होंने मांग रखी कि केंद्र सरकार ज्ञानी जैल सिंह के नाम पर देश के शिल्पकारों और दस्तकारों के लिए 'राष्ट्रीय पुरस्कार' की घोषणा करे। साथ ही, भारतीय संसद के समीप उनकी स्मृति में एक संग्रहालय स्थापित कर प्रतिमा लगाई जानी चाहिए। उन्होंने समाज से आह्वान किया कि जब तक हम एकजुट नहीं होंगे, तब तक हमारी भागीदारी और अधिकारों का संघर्ष अधूरा रहेगा।
विशिष्ट जनों का सम्मान और भारी उपस्थिति
कार्यक्रम का आरंभ भगवान विश्वकर्मा, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और पंडित मदन मोहन मालवीय के चित्रों पर माल्यार्पण के साथ हुआ। अतिथियों को अंगवस्त्र, पगड़ी और समाज के प्रतीक चिन्ह 'हथौड़ा' भेंट कर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर एडवोकेट अरविंद विश्वकर्मा, श्रीमती अनीता शर्मा, कालिका विश्वकर्मा सहित हजारों कार्यकर्ता और समाज के लोग उपस्थित रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता श्रीकांत विश्वकर्मा और संचालन राजेश कुमार विश्वकर्मा 'राजू कवि' ने किया।