RTE की फीस रिम्बर्समेंट लटकाए हुए है योगी सरकार, 2.72 करोड़ रुपये बकाया
पिछले 10 वर्षों से है करोड़ों की फीस का है बकाया
हर साल होता है सैकड़ों बच्चों का लॉटरी विधि से प्रवेश
5000 बच्चों की शुल्क प्रतिपूर्ति का नहीं कर पाया है शिक्षा विभाग
बेसिक शिक्षा अधिकारी दे रहे हैं आश्वासन की घुट्टी
चंदौली जिले में शिक्षा के अधिकार के तहत करीब 556 विद्यालयों में पिछले 10 वर्षों में सैकड़ों बच्चों का लॉटरी विधि से प्रवेश हुआ। इनमें 105 विद्यालयों के 5304 बच्चों की शुल्क प्रतिपूर्ति के 2.72 करोड़ रुपये का भुगतान नहीं हुआ। सबसे ज्यादा सत्र 2020- 21 के 1.27 करोड़ रुपये लंबित हैं।
आपको शिक्षा का अधिकार (आरटीई) के तहत गरीब बच्चों को निजी विद्यालयों में निशुल्क शिक्षा के लिए प्रवेश दिया जाता है। प्रति वर्ष दो हजार बच्चों को चार चरणों में लॉटरी विधि से चयन किया जाता है। आरटीई के तहत निजी विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों के अभिभावकों के खाते में करीब पांच हजार रुपये स्टेशनरी, ड्रेस आदि के लिए सरकार देती है। बीते दस साल में 100 विद्यालयों में पढ़ाई करने वाले 5304 बच्चों को शुल्क प्रतिपूर्ति नहीं मिली है।
बेसिक शिक्षा विभाग की वेबसाइट के मुताबिक सत्र 2016-17 में चार विद्यालयों के 27 बच्चों का एक लाख 45 हजार 800 रुपये लंबित हैं। सत्र 2017-18 के 10 विद्यालयों के 27 बच्चों का तीन लाख 40 हजार 200 रुपये और सत्र 2018-19 के 24 विद्यालयों के 217 बच्चों के एक लाख 13 हजार 70 रुपये की प्रतिपूर्ति लंबित है।
वहीं, कोरोना के दौरान सत्र 2019-20 के 32 विद्यालयों के 397 बच्चों के 20 लाख 55 हजार 600 रुपये, सत्र 202021 के 105 विद्यालयों 2399 बच्चों का एक करोड़ 27 लाख 6 हजार 800 रुपये बकाया हैं। सत्र 2021-22 के 64 विद्यालयों 2144 बच्चों का एक करोड़ 15 लाख 27 हजार 680 रुपये और सत्र 2022-23 के दो विद्यालयों 56 बच्चों का तीन लाख दो हजार 400 रुपये लंबित है। इसके अलावा सत्र 2023-24 में पंजीकृत एक भी बच्चे को अभी तक प्रतिपूर्ति की धनराशि नहीं मिली।
इस संबंध में बेसिक शिक्षा अधिकारी प्रकाश सिंह का कहना है कि बच्चों की शुल्क प्रतिपूर्ति की राशि अभिवावकों के खाते में भेजी जा रही है। सत्र 2023-24 में पंजीकृत बच्चों की शुल्क प्रतिपूर्ति की धनराशि मार्च में आने उम्मीद है।