शासन में लटकी है नाले के सफाई की योजना, हर दिन गंगा हो रही है मैली

पंडित दीनदयाल उपाध्याय नगर के कस्बे व रेलवे कालोनियों से हर रोज तीस एमएलडी पानी सीधे गंगा नदी में गिर रहा है। सीवेज को गंगा नदी में गिरने से पहले साफ करने के लिए 2018 में एसटीपी निर्माण के लिए जमीन की तलाश शुरू हुई।
 

कब मिलेगी शासन से मंजूरी, 2 साल से अटकी है फाइल

सचिव नगर विकास को देना 3.57 करोड़ रुपये की मंजूरी

2018 में एसटीपी निर्माण के लिए शुरू हुयी थी पहल

चंदौली जिले के मुगलसराय इलाके के रौना गांव में भूमि चिह्नित होने के दो साल बाद अधिग्रहण नहीं किया जा सका है, जिससे एसटीपी का निर्माण अधर मे लटका हुआ है और गंगा लगातार मैली होती जा रही हैं। वहीं नगर व रेलवे कालोनी से निकलने वाले गंदे पानी को गंगा में गिरने से रोकने के लिए छह वर्षों से एसटीपी बनाये जाने की कवायद केवल कछुए की गति से चल रही है।  विधायक रमेश जायसवाल को तो जैसे इसके बारे में कुछ सोचना ही नहीं है।

मामले में बताया जा रहा है कि लगभग दो वर्ष पूर्व रौना गांव में जमीन चिह्नित कर लिया गया था। जहां 2.1056 हेक्टेयर में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट बनना था। यहां भूमि अधिग्रहण के लिए डीएम ने सचिव नगर विकास को पत्र भेजकर 3.57 करोड़ रुपये की मांग की थी। अब शासन से जमीन अधिग्रहण के लिए धनराशि नहीं मिलने से एसटीपी निर्माण का कार्य अधर में लटका हुआ है। जिससे नगर का गंदा पानी गंगा लगातार गंगा मे गिर रहा है।
पंडित दीनदयाल उपाध्याय नगर के कस्बे व रेलवे कालोनियों से हर रोज तीस एमएलडी पानी सीधे गंगा नदी में गिर रहा है। सीवेज को गंगा नदी में गिरने से पहले साफ करने के लिए 2018 में एसटीपी निर्माण के लिए जमीन की तलाश शुरू हुई। काफी समय तक जमीन नहीं मिली। लगभग दो वर्ष पूर्व राजस्व विभाग ने रौना गांव में 2.1056 हेक्टेयर जमीन एसटीपी के लिए चिह्नित किया गया।
गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई की ओर से 31 एमएलडी एसटीपी प्लांट के लिए 277.54 करोड़ का डीपीआर तैयार किया गया। जमीन अधिग्रहण के लिए अधिकारियों ने किसानों के साथ कई दौर की बैठक की। किसानों के राजी होने के बाद जिलाधिकारी की ओर से 27 जुलाई 2023 को जमीन अधिग्रहण के लिए प्रमुख सचिव नगर विकास को पत्र भेजकर 3.57 करोड़ रुपये की मांग की गई थी। पांच माह बीतने के बाद अब तक शासन की ओर से जमीन अधिग्रहण के लिए अब अवमुक्त नहीं किया गया है।
इससे साफ जाहिर होता है कि स्थानीय अधिकारियों व राजनेताओं के साथ-साथ सरकार के अधिकारियों की प्राथमिकता में गंगा की सफाई का काम नहीं है। इसकी न तो कोई पैरवी कर रहा है और न ही इस पर कोई ध्यान दे रहा है।