बलिदान दिवस के रूप में मनाई गई महारानी दुर्गावती की पुण्यतिथि
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चंदौली जिले के पीडीडीयू नगर में भारतवर्षीय गोंड आदिवासी महासभा समिति के तत्वाधान में कैंप कार्यालय परशुरामपुर मुगलसराय पर महारानी दुर्गावती का बलिदान दिवस मनाया गया।
इस दौरान सर्वप्रथम उनके तैल चित्र पर माल्यार्पण किया गया और उनके जीवन शैली पर त्याग बलिदान आन बान शान वीरता एवं साहस का वर्णन किया गया।
इस दौरान जिला मंत्री श्री कृष्ण गोंड ने महारानी दुर्गावती के जीवन पर प्रकाश डालते हुए बताया कि गोंडवाना राज्य के संग्राम शाह मरावी के पुत्र दनपत शाह के साथ महारानी दुर्गावती का विवाह हुआ। पति दनपत शाह के मृत्यु के बाद राजगद्दी अपने पुत्र वीर नारायण को सौंपी। स्वयं इस राज्य की देखरेख की । आजीवन अकबर की मुगल सेना के साथ गोंडवाना की रक्षा हेतु संघर्ष करती रही।
उनकी सेना मे तीर धनुष बाला कटार हाथी घोड़ा पैदल सेना चलते थे। जब रानी 24 जून 1564 ई को नरई नाल बिछवा पहाड़ी में अधिक वर्षा के कारण गिर गई थी । अपनी सुरक्षा को खतरा महसूस कर स्वयं अपनी कटार से अपने को बलिदान कर दी। ताकि दुश्मन के हाथ न लगे इसी प्रकार युद्ध क्षेत्र में अपनी वीरता दिखाते हुए 20 वर्षीय वीर नारायण भी वीरगति को प्राप्त हो गए। मां बेटे के अपूर्ण शौर्य साहस त्याग और बलिदान से इतिहास को आलोकील हो गया । किंतु देश अपने ऐसे वीरों के विक्षो से व्याकुल हो गया। तमाम आदिवासियों का गोंड आदिवासियों के साथ अन्य लोग सेना में थे।
इस दौरान सभा में मुख्य रूप से प्यारेलाल गोंड, कृष्ण गोंड, सुरेश प्रसाद, संतोष कुमार, संजय कुमार, राज कुमार आदि लोग उपस्थित रहे ।