DDU जंक्शन के आसपास अवैध वेंडरों का बोलबाला, रेलवे प्रशासन को नहीं दिखती ये खामियां
स्टेशन से खुलने वाली ट्रेनों में ऐसे घुसते हैं फर्जी वेंडर
हर जगह अवैध वेंडरों की धड़ल्ले से आवाजाही
सुरक्षा एजेंसियों की मिलीभगत का लगता है आरोप
कब होगी इन पर भी कार्रवाई
चंदौली जिले के पंडित दीन दयाल उपाध्याय (डीडीयू) जंक्शन पर अवैध वेंडरों का प्रभाव दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है। स्टेशन परिसर हो या ट्रेनों का अंदरूनी हिस्सा, हर जगह ये वेंडर खुलेआम सामान बेचते नजर आते हैं। खास बात यह है कि ये अवैध वेंडर रेलवे की निर्धारित वर्दी पहनकर यात्रियों को भ्रमित करते हैं, जिससे असली और नकली वेंडरों में अंतर करना मुश्किल हो जाता है।
सूत्रों के अनुसार, यह पूरा नेटवर्क एक संगठित प्रणाली की तरह काम कर रहा है। आरोप है कि कुछ जीआरपी और आरपीएफ कर्मियों की मौन सहमति के साथ ये वेंडर हर माह 'महीना' देकर निर्बाध रूप से अपना अवैध कारोबार चला रहे हैं। आखिर जो बात आम लोगों को दिखती है वो चीज जीआरपी और आरपीएफ कर्मियों को क्यों नहीं दिखती है। स्टेशन पर पहुंचने के पहले यार्ड में उतर जाया करते हैं और ट्रेन के स्टेशन से खुलने के बाद फिर से चढ़ जाया करते हैं।
कार्रवाई के नाम पर होता है सिर्फ दिखावा
हाल ही में जीआरपी द्वारा कुछ वेंडरों पर कार्रवाई की गई थी, लेकिन जानकारों का दावा है कि यह केवल उन वेंडरों के खिलाफ हुई जो 'नियमित भुगतान' नहीं कर रहे थे। ऐसे में इस कार्रवाई की निष्पक्षता पर सवाल उठना लाजमी है।
रेल प्रशासन की भूमिका रहती है संदिग्ध
रेल प्रशासन की चुप्पी और निष्क्रियता पूरे मामले को और गंभीर बना देती है। यदि सुरक्षा एजेंसियां सच में चाहें तो इस अवैध गतिविधि पर रोक लगाना कोई मुश्किल काम नहीं है। लेकिन जब जिम्मेदार अधिकारी ही इस व्यवस्था से लाभान्वित हो रहे हों, तो सख्त कदमों की उम्मीद धुंधली पड़ जाती है।
वायरल वीडियो से खुलती है रेलवे के दावों की पोल
अब सवाल यह है कि वायरल वीडियो सामने आने के बाद क्या रेलवे प्रशासन नींद से जागेगा या फिर हमेशा की तरह इस अवैध धंधे पर आंखें मूंदे रहेगा? यात्रियों को सुरक्षित, पारदर्शी और व्यवस्थित माहौल देना रेलवे की प्राथमिक जिम्मेदारी है, जिसे अब नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।