पति की मौत के बाद अपनों ने ठुकराया, अंतिम समय इस बेटी ने कहा- “मैं हूं ना मां”
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चंदौली जिले की एक बेटी ने बेटा बनकर अपनी मां की अंत्येष्टि की और दिखा दिया कि बेटियों को बेटों की तरह ही समझना चाहिए, क्योंकि बेटियां अपने मां-बाप सगे संबंधियों को कभी नहीं छोड़ती हैं।
चंदौली जिले के मुगलसराय इलाके के रौना गांव की रहने वाली एक बेटी मीनाक्षी ने समाज के लोगों को आईना दिखाने का काम किया है। उसने मां को मुखाग्नि देकर साबित कर दिया कि बेटियां भी बेटों का फर्ज निभा सकती हैं। पुरानी रूढिय़ों और मान्यताओं को दरकिनार करते हुए बेटी ने अपनी दिवंगत मां के पार्थिव शरीर को मुक्तिधाम में मुखाग्नि दी।
रौना गांव निवासी राजकुमारी (51) व मीनाक्षी की कहानी ने हर किसी को झकझोर दिया। 1990 में कोतवाली क्षेत्र के रौना गांव की मूल निवासी राजकुमारी देवी के पति सेना में जवान थे। 12 दिसंबर 1990 में गांव में ही आपसी विवाद के समय दो पक्षों खूनी संघर्ष के दौरान पति दयाशंकर तिवारी की धारदार हथियार से हत्या कर दी गई। पति की मौत के बाद राजकुमारी अपने एक वर्ष के पुत्र रंजीत के साथ मुगलसराय मकान बनवाकर रहने लगी थी। उनके पुत्र रणजीत तिवारी (25) की बीमारी के कारण मौत हो गई। परिवार के सगे संबंधियों ने भी साथ नहीं दिया तो वह हर तरफ से टूट गई।
कुछ दिन बाद उन्हें नगर में एक छह माह की मासूम लड़की मिली। उसे अपना मानकर पालन-पोषण करने लगी। मां लंबे समय से बीमार चल रही थी, उनका निधन हो गया। सगे संबंधियों का साथ न मिलने पर 17 साल की मीनाक्षी ने अंतिम समय में अपनी मुंह बोली मां राजकुमारी को वाराणसी के मणिकर्णिका घाट पर मुखाग्नि दी। हर किसी ने बेटी के जज्बे को सलाम किया।
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