सही समय पर लिया गया अनलॉक का निर्णय, बैंकों में है पूरी सावधानी व तैयारी
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कोरोना संक्रमण के बढ़ते खतरे को देखते मार्च में अचानक जनता कर्फ़्यू लगाकर विश्वव्यापी महामारी से निपटने के लिए मजबूत इरादों के साथ लिए गए निर्णय से ही भविष्य की नींव रख दी गई थी । इस निर्णय से पूरा देश सदमें में आ गया जिसका प्रभाव वर्तमान में भी अर्थव्यवस्था पर देखने को मिल रहा है ।
सिटीजन जर्नलिस्ट के रूप में भारतीय स्टेट बैंक मुख्य प्रबंधक संजय कुमार चौधरी का कहना है कि विश्वव्यापी महामारी के दौरान जब सारी गतिविधियां पूरी तरह से बंद हो चुकी थी। इस विषम परिस्थिति में दुकान, बाजार, स्कूल, ऑफिस सम्पूर्ण लॉक डाउन के संकट में गुजर रहा था जो शायद ही किसी ने सोचा और देखा होगा । कोरोना वायरस को लेकर व्यापार पूरी तरह से बंद हो चुका था । अर्थव्यवस्था में गिरावट, आर्थिक मंदी और सबसे ज्यादा युवा और मजदूर वर्ग पर असर पड़ा। कारखाने बंद होने से उनका रोजगार छिन गया । पर्यटन उधोग बन्द होने से बहुत छोटे-छोटे व्यापार पर इसका गहरा असर पड़ा है।
संजय का कहना है कि इस मंदी से उभरने में समय लगेगा । सरकार द्वारा अनलॉक की प्रक्रिया का निर्णय सही समय पर लिया गया। अगर कुछ महीने की भी देरी होती तो शायद भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति और कमजोर होती । धीरे-धीरे स्थितियां मज़बूत हो जा रही हैं । कोरोना काल में आम लोगों ने भी अपनी ज़िम्मेदारी निभायी, एक दूसरे की मदद की। लॉक डाउन के दौरान लोगों में बहुत दहशत थी लेकिन इस दहशत में लोग ज्यादा सतर्क व जागरूक थे। बैंक में लोगों का आना बेहद कम हो गया था ।
वैसे भी 50% स्टाफ के साथ कार्यालय का कार्य किया गया । बैंक आने वाले लोगों को टोकन के साथ शारीरिक दूरी बना कर निकासी व जमा की जा रही थी। लॉक डाउन से हीं नोटों की गिनाई के लिए पानी की जगह सेनेटाइजर का प्रयोग किया जा रहा है। अनलॉक के बाद हम सभी की ज़िम्मेदारी और भी बढ़ गई है जब तक टीका (वैक्सीन) नहीं आ जाता और टीका आने के बाद भी कोशिश यह हो कि जन सामुदायिक ज्यादा से ज्यादा सुरक्षित रहने के लिए कोविड-19 नियमों के साथ जीवन को गति देने के साथ आगे बढ़ना होगा |
सुरक्षित जीवन के लिए आर्थिक स्थिति को मजबूत बनाने के साथ कोविड-19 पर विजय पाना होगा| कोविड-19 के डर से घर में नहीं बल्कि कोविड को हरा कर देश को पटरी पर लाने की लिए, देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए अनलॉक की प्रक्रिया को सकारात्मक विचार के साथ लेना होगा, बंद पड़े कारखाने, ऑफिस को खोलना होगा | अब कोविड से डर नहीं, निडर हो कर जीना होगा। स्वास्थ्य, समृद्धि और स्वच्छता के साथ आर्थिक विकास और स्वस्थ समाज के संकल्प के साथ देश को मजबूत बनाना होगा।
लॉकडाउन के दौरान डर का कारण था वायरस की जानकारी न होना और अचानक से इस बीमारी का आना । दूसरी ओर विदेशों से आनें वाली खबरें लोगों के मृत्यु दर आंकड़ों से भी लोगों के दिल में डर था। शुरुआत में लोगों को यह जानकारी नहीं थी कि इससे कैसे बचाव करना है, कैसे रहना है आदि लेकिन अब सभी को कोविड-19 से बचाव की पूरी जानकारी है। आज लोग खुद ही अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक हैं। लेकिन अभी भी कुछ लोग गाइड लाइन का पालन नहीं कर रहे हैं। इसलिए कार्यालय के गेट पर थर्मल स्क्रीनिंग, सेनेटाइजेशन की सुविधा उपलब्ध है।
‘मास्क नहीं तो ट्रांजैक्शन नहीं’ के साथ लोगों को जागरूक किया जा रहा है। आखिर में संजय का कहना है कि कोविड से बचाव के लिए महत्वपूर्ण नियमों के पालन जैसे मास्क का प्रयोग, दो गज की दूरी, सेनेटाइजर का प्रयोग, बेवजह कहीं न जाए, भीड़ का हिस्सा न बनें। सुरक्षित जीवन के लिए यह संकल्प बेहद जरूरी है ।
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