नवजात को हाइपोथर्मिया से बचाएगी कंगारू मदर केयर विधि, शीतलहर में शरीर के तापमान को सामान्य रखने में मददगार
डॉ अंशुल सिंह की टिप्स
कोरोना के दौरान भी जारी रखें स्तनपान
स्तनपान से माँ के स्वास्थ्य में भी होता है सुधार
शीतलहर से सभी परेशान हैं लेकिन सबसे अधिक परेशानी नवजात शिशु की माताओं को उनके पालन-पोषण में रहती है। शीतलहर में कई रोगों से बचाने के लिए नवजात की अतिरिक्त देखभाल की आवश्यकता पड़ती है। यह कहना है जिला महिला चिकित्सालय की मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. अनुरिता सचान का ।
डॉ सचान ने कहा कि नवंबर से जनवरी के बीच जन्में नवजात के प्रति थोड़ी सी भी लापरवाही भारी पड़ सकती है, क्योंकि नवजात की रोग-प्रतिरोधक क्षमता कम रहती है और ठंड के समय बच्चों के शरीर के तापमान को सामान्य रखना काफी आवश्यक है। हाइपोथर्मिया (ठंडा बुखार) से बचाव के लिए कंगारू मदर केयर विधि बेहद कारगर है। जन्म के तुरंत बाद यानि एक घंटे के भीतर नवजात को स्तनपान कराना बेहद जरूरी है। इससे बच्चे का सर्वांगीण विकास होता है। स्तनपान से नवजात पोषण की सभी आवश्यकताओं को पूरा करने में सक्षम रहता है।
ब्लॉक चकिया प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ अंशुल सिंह ने कहा कि नवजात शिशु के लिए कंगारू मदर केयर एक ऐसा उपाय है, जिससे न सिर्फ शिशु का तापमान सामान्य रहता है बल्कि सर्दी से बचाव भी करता है। असमय व कम वजन के साथ जन्म लेने वाले शिशु को संक्रमण से बचाने और शीतलहर में स्वास्थ्य में सुधार लाने के लिए भी अपनाया जाता है। शिशु को मां के सीने से प्रत्यक्ष चिपका कर (त्वचा से त्वचा का संपर्क) रखा जाता है जिससे मां के शरीर की गर्माहट आसानी से और जल्दी से शिशु तक पहुँच सके।
नवजात को वयस्कों के मुकाबले श्वसन तंत्र के इंफेक्शन (सर्दी-खांसी, फ्लू, टॉसिलाइटिस, कफ वाली सर्दी और निमोनिया) से सुरक्षित बनाना ज्यादा जरूरी होता है। सर्दी में नवजात को हाइपोथर्मिया से भ बचाना जरूरी रहता है। इसलिए शिशु को चार तह का कपड़ा पहनाएं। 2.5 किग्रा से कम वजन शिशु को कंगारू थैरेपी दें। ऐसा दिन में आठ घंटे तक करें, इससे बच्चे का विकास होगा। इसके साथ ही मां के लगातार संपर्क में रहने से दूध भी बढ़ता है| मां के अलावा पिता या परिवार का कोई भी सदस्य नवजात को कंगारू मदर केयर दे सकता है।
शिशु को दिन में 7 से 8 बार पेशाब होना जरूरी है। पेशाब न होने पर डिहाइड्रेशन की आशंका बढ़ती है। नवजात शिशु को हर दो घंटे के अंतराल पर दूध पिलाना चाहिए। ऐसा न करने से डिहाइड्रेशन और पीलिया होने का खतरा रहता है।
ठंड से लड़ने में भी सहायक - छह माह तक केवल स्तनपान ही नवजात के रोग प्रतिरोधक क्षमता में विकास के साथ उनके लिए ठंड से लड़ने में भी सहायक होता है। शिशुओं को लगातार छह महीने तक सिर्फ मां का दूध ही पिलाना चाहिए। नवजात के शरीर में हो रहे सभी प्रकार के मानसिक एवं शारीरिक विकास के लिए यह आवश्यक है।
प्रतिरोधक क्षमता बनाता है मां का दूध - कोरोना के दौरान नवजात की प्रतिरोधक क्षमता व शिशु का पोषण को संतुलित बनाए रखने में भी मां का दूध बेहद महत्वपूर्ण है| स्तनपान नवजात को स्वस्थ बनाता है और आजीवन उसके अच्छे स्वास्थ्य और विकास में मदद करता है। स्तनपान से माँ के स्वास्थ्य में भी सुधार होता है। अभी तक सक्रिय कोविड-19 संक्रमण माँ के दूध या स्तनपान कराने से नहीं फैला है।
अतः कोविड-19 के दौरान भी माँ को स्तनपान जारी रखना चाहिये, और इसके लिये उसे सहयोग व प्रोत्साहन दोनों की आवश्यकता होगी जिसको देने में आपकी भूमिका महत्वपूर्ण है।
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