रोजगार की तलाश में 41 प्रतिशत मजदूर अब फिर वापस शहर लौटने को तैयार, ऐसी सुविधा दे रहे मालिक
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कोरोना के चलते गावों में लौटे 70 फीसदी प्रवासी मजदूर फिर से शहर लौटने के फिराक में हैं। गांवों में रोजगार नहीं मिलने और कमाई घटने से प्रवासी मजदूर शहर की ओर रुख कर रहे है।एक सर्वे से यह पता चला है कि चंदौली सहित उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, ओेडिशा, पश्चिम बंगाल और छत्तीसगढ़ के नियमित वेतन या मजदूरी पाने वाले प्रवासी मजदूर सबसे बुरी तरह से प्रभावित हुए है।
वहीं, गैर-कृषि क्षेत्र में सामयिक मजदूर सबसे कम प्रभावित थे।सर्वे के अनुसार, शहरों से पलायन करने के चलते प्रवासी मजदूरों की आय 85 फीसदी कम हो गई है।उत्तर प्रदेश और झारखंड के प्रवासी मजदूरों की आय 94 फीसदी कम हुई, इसके चलते एक बार फिर से 70 फीसदी प्रवासी मजदूर इन राज्यों के शहरों में वापस लौटने को तैयार हैं।उत्तर प्रदेश और झारखंड में यह आंकड़ा 90 फीसदी से अधिक है। सेवानिवृत्त सांख्यिकी और आर्थिक सेवा अधिकारियों, और शिक्षाविदों की एक टीम द्वारा किए गए अध्ययन से यह पता चला है, सर्वे के अनुसार, प्रवासी मजदूरों को गांवों में काम नहीं मिलने और पुराने नियोक्ता द्वारा फिर से रोजगार देने के आश्वासन के बाद शहर लौट रहे हैं। ऑनलाक-5 शुरू होने के बाद से देश की अर्थव्यवस्था 90 फीसदी से अधिक खुल चुकी है, इससे कंपिनयों में फिर से काम शुरू हुआ है।ऐसे में कंपनियां प्रवासी मजदूरों को अधिक मजदूरी देने का आवश्वासन देकर बुला रही है। वहीं, 41 फीसदी मजदूर नए जॉब की उम्मीद में शहर को लौट रहे हैं।
चंदौली के विभिन्न क्षेत्रों से लौट रहे अधिकांश प्रवासी मजदूरों ने कहा कि उसके पुराने नियोक्ता नौकरी देने और अधिक वेतन देने को तैयार है।इसलिए वह फिर से शहर जा रहे हैं।लॉकडाउन खत्म होने के बाद कारोबारी श्रमिकों को वापस बुलाने के लिए उन्हें यात्रा भुगतान, वेतन बढ़ोतरी और एक-दो महीने का अग्रिम वेतन भी दे रहे हैं।इतना ही नहीं कई व्यापारी तो अपने राज्य से एसी स्पीपर बस, स्पीपर बस भी भेज रहे हैं।
इसी तरह कुछ व्यापारी श्रमिकों के लिए ट्रेन में एसी कोच की बुकिंग करा रहे हैं इसके अलावा अधिकतर श्रमिकों को रहने और खाने की सुविधा का भी आश्वासन दिया जा रहा है।लॉकडाउन के दौरान एक करोड़ से अधिक प्रवासी मजदूर अपने घरों को लौटे थे, इनमें से 63.19 श्रमिक तो रेलवे की ओर से चलाई गई 4,621 श्रमिक स्पेशल ट्रेनों से वापस लौटे थे।इसी तरह 41 लाख से अधिक श्रमिकों को पैदल और अन्य तरीकों से वापस लौटना पड़ा था। वापस लौटने वालों में सबसे ज्यादा श्रमिक उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल राज्यों से थे।
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