एक देश, एक विधान का नारा, एक पेंशन पर खत्म..आखिर क्यों..!
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उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ जनपद चंदौली ने भारत रत्न भारत के प्रधानमंत्री रहे स्व. अटल बिहारी बाजपेयी जी की पुण्यतिथि पर शत शत नमन किया है और देश हित में किये जाने वाले कार्यों को याद किया गया। वहीं शिक्षक कर्मचारियों ने इसलिये भी याद किया कि शिक्षकों कर्मचारियों की बुढ़ापे की लाठी को बाजपेयी जी के द्वारा उनके सरकार के कार्यकाल में खत्म कर दिया गया था।
लोगों ने कहा कि आज के पीढ़ी के नौजवानों को बुढ़ापे में दर दर की ठोकरें खाने के लिए मजबूर करने का जो काम उनकी सरकार के कार्यकाल में हुआ है, उसे कौन भूल सकता है। जब जब अटलजी को ये कर्मचारी व शिक्षक याद करेंगे उनका यह काम अपने आप याद आ जाएगा।
इस अवसर पर पूर्व प्रधानमंत्री को नमन करते हुए सत्यमूर्ति ओझा, जिला संयोजक ने कहा कि नई पेंशन लागू किये हुए 10 वर्ष से भी ऊपर हो गए हैं, उसमें बहुत सी खामियां हैं। वह शेयर मार्केट को समर्पित है। यही नहीं, कुछ शिक्षक कर्मचारियों को जो नई नीति में अवकाश पाये हैं..उन्हें 800 से लेकर 1500 मासिक पेंशन मिल रही है। यही नहीं, यदि कर्मचारियों शिक्षकों के नौकरी में रहते मौत हो जाती हैं तो पारिवारिक पुरानी पेंशन अनुमन्य है, जबकि शिक्षक कर्मचारियों के अतिरिक्त माननीय लोगों जैसे विधायक सांसद जी लोगों को पुरानी पेंशन क्यों मिलती है। यह बहुत बड़ा सवाल है।
इतना ही नहीं..यदि सांसद फिर विधायक बने तो डबल पेंशन भी दी जाती है । इस नीति का विरोध और जोरशोर से होना चाहिए।
आज के इस पावन अवसर पर एक देश एक विधान का नारा देने वाले अटलजी व उनके फॉलोवर मोदी जी को दोहरी पेंशन नीति पर सोचना चाहिए..और एक जैसे पेंशन की नीति कर्मचारी, शिक्षक व नेता सभी के लिए बनानी चाहिए।
अपने इस बयान को बहुत ही बेबाकी से माध्यमिक शिक्षक संघ जारी करते हुए मांग करता है और सरकार से अपील करता है कि अटलजी को सच्ची श्रद्धांजलि तब होगी जब शिक्षक कर्मचारियों की पुरानी पेंशन लागू होगी।
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