ऐसा भी होता है : जब शिक्षक जाता है तो सरकारी स्कूल का बच्चा रोता है
टॉप व चकिया विदाई के समय अपने अध्यापक से लिपट कर रोने लगे बच्चे, भावुक कर देने वाली तस्वीर आई सामने, नम आंखों से बोले गुरुजी-मन से पढ़ना..खूब तरक्की करना
चंदौली जिले के चकिया विकास क्षेत्र के एक स्कूल की तस्वीरें सोशल मिडिया पर लोगों को भावुक कर रही हैं। कंपोजिट स्कूल के छोटे छोटे बच्चे अपने टीचर को फेयर वल देते वक्त रो पडे़। कारण यह है कि इन बच्चों के शिक्षक का दूसरे जिले में ट्रांसफर हो गया है और नन्हें से बच्चे अपने शिक्षक को जाने नहीं देना चाहते हैं। शायद बच्चों के यह आंसू इसी के पर्याय हैं। यह तस्वीर चंदौली जिले के बबुरी इलाके के उस स्कूल से उलट है, जहां गुरु पूर्णिमा के दिन एक बच्चे के पिता ने स्कूल टीचर की पिटाई कर दी थी।
आपको बता दें कि चकिया क्षेत्र के रतिगढ़ गांव स्थित कम्पोजिट विद्यालय के टीचर शिवेंद्र सिंह का अब दूसरे जिले में ट्रांसफर हो गया है। यह खबर जब उनके स्कूल पहुंची तो स्टूडेंट आखों में आंसू निकलकर बाहर आ गये। शिवेंद्र सिंह बघेल ने इस स्कूल में 7 सितंबर 2018 से लेकर 12 जुलाई 2022 तक बच्चों को पढ़ाने लिखाने का काम किया। शायद उनकी कमाई यही थी कि जब उनका ट्रांसफर हुआ तो उनके क्लास के बच्चे अपने टीचर से ही लिपट कर रोने लगे।
कहा जा रहा है कि इन बच्चों को पढ़ाने के लिए हर रोज शिवेंद्र ने 2 घंटे का सफर तय किया और तमाम तैयारियां कीं। अब वह बच्चे उन्हें अपने स्कूल से जाने नहीं देना चाहते। सामान्य घरों से आने वाले बच्चे अपने शिक्षक से लिपटकर रोने लगे और न जाने की अपील करने लगे। सारे स्टूडेंट यही चाहते थे कि शिक्षक कहीं और न जाएं। लेकिन उन्होंने बच्चों को समझाया कि सरकारी नौकरी में आना और जाना एक सामान्य नियम और प्रक्रिया है। बच्चों को समझाते हुए शिवेंद्र ने भावुक होकर सिर्फ इतना ही कहा- मन से पढ़ना। खूब तरक्की करना।
वहीं आपको बताते चलें कि ऐसे वक्त में जब शिक्षा कामर्सियल हो गई है, ऐसे वक्त में जब शिक्षकों को दो से 4 हजार देकर सर्विस प्रोवाइडर माना जाता है। उसी वक्त में बच्चों का अपने अध्यापक से कुछ ऐसा रिश्ता भारत के गुरु शिष्य परंपरा को जीवंत करता है।
प्राथमिक विद्यालय की यह तस्वीरें दिखाती हैं कि गुरु जीवन में सबसे बड़ा स्थान रखता है। यह छोटे बच्चे जिस तरह से इसे समझ पाए हैं। यह बात हर बच्चे को समझाने की जरूरत है।
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