बड़े पूंजी घरानों व उच्च धनिकों पर लगाया जाए अतिरिक्त टैक्स, अजय राय की ये है मांग
रोजगार अधिकार अभियान का समर्थन
आईपीएफ नेता अजय राय की है मांग
कल्याणकारी व्यय के लिए सरकार को पैसे जुटाने होंगे
बड़े पूंजी घरानों व उच्च धनिकों लगे अतिरिक्त कर
चंदौली जिले में आईपीएफ राज्य कार्य समिति सदस्य अजय राय ने युवा मंच के द्वारा चल रहे रोजगार अभियान को समर्थन करते हुए कहा कि इधर के वर्षों में देश में अरबपतियों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है। ऊपर के एक फीसद अमीरों के पास 40 फीसद संपत्ति हो गई। सरकारी खजाने का अधिकांश हिस्सा आम नागरिकों पर प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष टैक्स से आता है। ऐसे में यह बेहद जरूरी है कि बड़े पूंजी घरानों व उच्च धनिकों की संपत्ति पर समुचित टैक्स लगाया जाए। इससे आसानी से 15-20 लाख करोड़ रुपए जुटाए जा सकता है।
इससे केंद्र सरकार के 48 लाख करोड़ रुपए बजट में इस 15-20 लाख करोड़ रुपए की अतिरिक्त धनराशि से न सिर्फ देश में खाली पड़े एक करोड़ पदों पर युवाओं को सरकारी नौकरी मुहैया कराई जा सकती है, बल्कि सभी नागरिकों को बेहतर शिक्षा व स्वास्थ्य, हर व्यक्ति की सम्मानजनक जिंदगी और सामाजिक सुरक्षा जैसे ओल्ड एज पेंशन, ओपीएस की गारंटी और आऊटसोर्सिंग व संविदा की जगह नियमित भर्ती , आंगनबाड़ी , पंयाचत सहायक जैसे मानदेय कर्मचारियों को उचित वेतनमान, असंगठित क्षेत्र के मजदूरों की सामाजिक सुरक्षा जैसे उपाय भी किए जा सकते हैं।
उन्होंने कहा कि हर समय योगी जी सरकार द्वारा युवाओं ने प्रदेश में रोजगार सृजन के दावे को महज प्रोपेगैंडा बताया जिसका जमीनी हकीकत से कोई सरोकार नहीं है। समय-समय पर ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के आयोजनों में अरबों रुपए पानी की तरह बहाया गया लेकिन अभी तक पूंजीनिवेश व रोजगार सृजन के जो सरकारी दावे किए गए हैं उसका 10 फीसद लक्ष्य को हासिल करने की भी कोई रिपोर्ट नहीं है।
रोजगार अधिकार अभियान के प्रथम चरण शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार की गारंटी करो,सरकारी विभागों में खाली पदों को तत्काल भरो,हर व्यक्ति के सम्मानजनक जिंदगी की गारंटीअभी हमारा मुद्दा 10 लाख से ज्यादा लोगों तक पहुंचा है और लगातार विस्तार जारी है। केंद्र सरकार का बजट 48 लाख करोड़ है। सुपर रिच टैक्स से आसानी से बजट में 15-20 लाख करोड़ बढ़ाया जा सकता है। इससे न सिर्फ युवाओं के सवालों को हल किया जा सकता है बल्कि आंगनबाड़ी, पंचायत सहायक जैसे मानदेय पर काम करने वाले कर्मचारियों को उचित वेतनमान दिया जा सकता है।
असंगठित क्षेत्र के मजदूरों की सामाजिक सुरक्षा और पुरानी पेंशन बहाली सुनिश्चित करना भी मुमकिन होगा। सभी लोग जानते हैं कि कैसे अडानी, अंबानी जैसे कारपोरेट्स ने बिना किसी पूंजी निवेश के भी अकूत संपत्ति अर्जित की है। ऐसे में इनकी संपत्ति पर टैक्स लगाने के विरुद्ध तर्क का कोई औचित्य नहीं है। असमानता की बढ़ती खाई को पाटने के लिए भी यह जरूरी उपाय है।
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