25 रूपया महीना पर काम कर रहा है यह कर्मचारी, 10 वर्षों से नहीं मिली फूटी कौड़ी
चंदौली जिला के शहाबगंज विकासखंड अंतर्गत सरैया, बसाढ़ी के आयुर्वेद चिकित्सालय में पीटीएस के पद पर कार्य कर रहे एक ऐसे कर्मचारी का मानदेय सुनकर आप हैरान हो जाएंगे। मानदेय भी 500 या 1000 नहीं बल्कि मात्र 25 रूपया महीना है। जी हां यह कोई कहानी या फिल्म की स्टोरी नहीं बल्कि सच्चाई है।
बता दें कि बसाढ़ी गांव का अनिल कुमार मौर्य आयुर्वेद चिकित्सालय सरैया, बसाढ़ी में पीटीएस के पद पर 8 दिसंबर 2008 से कार्यरत है। जिसे मानदेय के तौर पर महज 25 रूपया महीने दिया जाता है। 13 वर्षों तक कार्य करने के बाद भी अभी तक अनिल को मात्र 700 रूपया ही मानदेय मिला है। अंतिम बार 5 अप्रैल 2011 को मानदेय मिलने के बाद 10 वर्षों से आज तक उसे फूटी कौड़ी भी नहीं मिला है। जिससे इस महंगाई के जमाने में अनिल के लिए परिवार का भरण पोषण करना मुश्किल भरा काम हो गया है।
दिहाड़ी के मजदूरों से भी बदतर जिंदगी जी रहे अनिल को मानदेय न मिलने के बाद भी मरीजों की सेवा में बराबर लगा रहने वाला यह सख्स परिवार तथा स्वयं के जान की परवाह किए बगैर कोरोना काल के वक्त योद्धा की तरह अपनी ड्यूटी का बखूबी निर्वहन किया। परिवार की माली हालत झेल रहे अनिल ने अपना दर्द सुनाते हुए कहा कि वह पैसे की परवाह किए बगैर 13 वर्षों से लगातार जनता का सेवा समझकर कार्य करता रहा है। उसे यह उम्मीद रहा की एक अन्य संविदा कर्मियों की तरह उसे भी मानदेय मिलने लगेगा, मगर 10 वर्षों से उसे फूटी कौड़ी तक नहीं मिला।
जिससे अब शादी होने के बाद पत्नी के आ जाने के कारण घर का खर्च चलाना मुश्किल भरा काम हो गया है। अपनी व्यथा विभागीय अधिकारियों से करते थक चुका अनिल इन दिनों अपनी शिकायत मुख्यमंत्री पोर्टल के माध्यम से किया है। उसे उम्मीद है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के यहां से उसे न्याय जरूर मिलेगा।
क्या कहते हैं अधिकारी
क्षेत्रीय कार्यालय वाराणसी की आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी डॉक्टर भावना द्विवेदी ने बताया कि चंदौली और भदोही जिले में काफी लंबे समय से कुछ पीटीएस संविदा कर्मी कार्य कर रहे हैं। जिन्हें शासन से मानदेय बढ़ाने हेतु बहुत पहले ही पत्र भेजा गया था। लेकिन उसके बारे में अभी तक पूरी जानकारी ज्ञात नहीं हो पाई है।
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