मिशन शक्ति 4.0 : जिले में अब और सुदृढ़ होगी महिला बीट प्रणाली, समन्वय बनाकर टीम करेंगी काम
चंदौली जिले में महिला बीट प्रणाली अब और सुदृढ होगी। इसके लिए मिशन शक्ति 4.0 के तहत महिला पुलिस अधिकारियों, कर्मियों का 7 दिवसीय प्रशिक्षण सोमवार को सम्पन्न हो गया। प्रशिक्षण में उन्हें महिलाओं, बच्चों के हितों का विशेष ख्याल रखने, उनसे सम्बन्धित हितकारी योजनाओं की जानकारी उपलब्ध कराने के साथ ही उन सरकारी, गैर सरकारी संस्थाओं के साथ समन्वय बनाकर काम करने के सम्बन्ध में जानकारी दी गयी। महिलाओं और बच्चों के हितों के लिए काम करने वाली संस्थाओं पर जोर दिया जा रहा है।
जिला महिला कल्याण अधिकारी दीक्षा अग्रहरी ने बताया कि मुख्य विकास अधिकारी अजितेन्द्र नारायण के निर्देश पर जिले के सकलडीहा, धानापुर, चहनिया, चकिया, नियामताबाद, सदर, बरहनी, नौगढ, शहाबगंज विकास खण्ड के सम्बन्धित थानों की महिला बीट पुलिस अधिकारियों, कर्मचारियों का सात दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जो 23 मई से शुरू होकर 30 मई तक चला।
प्रशिक्षण में शामिल महिला पुलिसकर्मियों को महिलाओं व बच्चों के मान, सम्मान की सुरक्षा के साथ ही उन्हें महिलाओं, बच्चों से जुड़ी हितकारी योजनाओं की जानकारी भी दी गयी। प्रशिक्षण के दौरान महिला पुलिसकर्मियों को सरकार द्वारा संचालित महिलाओं, बच्चों से जुड़ी कल्याणकारी योजनाओं का ई-बुकलेट भी प्रदान किया गया। जिसमें मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना, निराश्रित महिला पेंशन योजना, जननी-शिशु सुरक्षा योजना, प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना जैसी अन्य कर्इ हितकारी योजनाओं से सम्बन्धित महत्वपूर्ण जानकारियां दर्ज हैं।
खंड विकास अधिकारी तारकेश्वर तिवारी ने बताया कि महिलाओं के हितों की रक्षा के लिए महिला सहायता प्रकोष्ठ, महिला अपराध शाखा एवं बाल कल्याण समिति, महिला एवं बाल सुरक्षा संगठन की जनपदीय इकाई बनाई गई है। इनमें सभी का उद्देश्य महिलाओं, बच्चों के हितों की रक्षा करना है। प्रशिक्षण के दौरान सभी महिला पुलिसकर्मियों को इन प्रकोष्ठों से समन्वय बनाकर कार्य करने पर भी जोर दिया गया। प्रशिक्षण में कुल 96 महिला पुलिस अधिकारियों एवं कर्मियों ने भाग लिया।
प्रशिक्षिण में दी गयी जानकारी -
महिलाओं के अधिकारों का व्यापक प्रचार प्रसार करना।
महिलाओं के लिए कार्य करने वाले संगठनों से समन्वय बनाना ।
प्रताड़ित महिलाओं को तत्परता से उचित सहायता उपलब्ध कराना।
महिला एवं बाल उत्पीडन की रोकथाम के लिए सामाजिक चेतना विकसित करना।
जनपद स्तर पर चिकित्सीय, न्यायिक, मनोवैज्ञानिक परामर्शी सेवाएं उपलब्ध कराना।
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